स्वप्न मेरे: इस तरह परिणय न हो

सोमवार, 21 मार्च 2011

इस तरह परिणय न हो

कष्ट में भी हास्य की संभावना बाकी रहे
प्रेम का बंधन रहे सदभावना बाकी रहे

यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे

इस तरह से ज़िन्दगी का संतुलन होता रहे
जय पराजय की कभी ना भावना बाकी रहे

आप में शक्ति हे फिर चाहे के दर्शन दो न दो
पर ह्रदय में आपकी अवधारना बाकी रहे

सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे

कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे

थाल पूजा का लिए चंचल निगाहें देख लूं
हे प्रभू फिर और कोई चाह ना बाकी रहे

72 टिप्‍पणियां:

  1. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे .

    बहुत खूबसूरत गज़ल ...

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  2. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे....

    सादगी भरी ये पंक्तियाँ बहुत सुन्दर सन्देश लायी हैं..शानदार रचना एवं मेरे ब्लॉग के साथ जुड़ने के लिए आपका धन्‍यवाद......

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  3. आदरणीय नासवा जी
    नमस्कार !
    बहुत सुन्दर सन्देश.....शानदार रचना

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  4. परिणय में जीवन की संभावना बाकी रहे।

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  5. होली की हार्दिक शुभ कामनाएं आपको और आपके पूरे परिवार को

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  6. सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे
    bahut sundar vichaar

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  7. थाल पूजा का लिए चंचल निगाहें देख लूं
    हे प्रभू फिर और कोई चाह ना बाकी रहे

    ati sundar bhaavokti!

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  8. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे

    थाल पूजा का लिए चंचल निगाहें देख लूं
    हे प्रभू फिर और कोई चाह ना बाकी रहे
    Wah! Kya gazab likha hai!

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  9. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे
    कमाल है..कितनी ही बार पढ़ गई लगता है खत्म ही न हो
    बेहतरीन प्रवाह सुन्दर भाव.
    बहुत अच्छा लिखा है .

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  10. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे

    इस तरह से ज़िन्दगी का संतुलन होता रहे
    जय पराजय की कभी ना भावना बाकी रहे

    वाह, नासवा जी,
    क्या ख़ूब लिखा है आपने।
    हर शेर में सद्भावना व्यक्त की गई है।
    यह कामना सफलीभूत हो।

    होली पर्व की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं।

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  11. सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे


    बहुत ही भावभीनी गज़ल ………ह्रदय स्पर्श कर गयी।

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  12. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे

    अति सुन्दर ।
    होली का भी यही सन्देश है । शुभकामनायें नासवा जी ।

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  13. थाल पूजा का लिए चंचल निगाहें देख लूं
    हे प्रभू फिर और कोई चाह ना बाकी रहे

    बेहतरीन!!!!

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  14. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे
    ग़ज़ल के हर शेर पर भी जितनी भी दाद दी जाय कम है !
    बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल है !
    शुक्रिया !

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  15. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  16. इस तरह से ज़िन्दगी का संतुलन होता रहे
    जय पराजय की कभी ना भावना बाकी रहे.

    बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल अच्छे भावों के साथ. होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  17. बहुत अच्छी गजले लिखते हैं आप. यह गजल भी मन को छू गई.होली की शुभकामनाएँ.

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  18. वाह! बहुत ही बेहतरीन रचना है...

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  19. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे
    बहुत ही खुबसूरत शेर, दाद का मोहताज नहीं पर दिल ने कहा बहुत खूब .

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  20. आप में शक्ति हे फिर चाहे के दर्शन दो न दो
    पर ह्रदय में आपकी अवधारना बाकी रहे

    इसे कहते है सार्थक आस्था!!

    ज्ञानवान अभिव्यक्ति है।

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  21. थाल पूजा का लिए चंचल निगाहें देख लूं
    हे प्रभू फिर और कोई चाह ना बाकी रहे
    अति सुन्दर ।

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  22. इस तरह से ज़िन्दगी का संतुलन होता रहे
    जय पराजय की कभी ना भावना बाकी रहे

    बहुत सुंदर भावनाओं से ओत प्रोत रचना

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  23. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे ....
    पूरी रचना शानदार... लेकिन ये पंक्तियाँ डायिरेक्ट अपने दिल में घुस गईं....

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  24. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे
    सुंदर उपमाएं लिए रचना ...बेहतरीन

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  25. सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे

    बहुत खूब नाशवा जी.
    शुद्ध हिंदी में शुद्ध ग़ज़ल.
    बहुत ही खूब.

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  26. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे

    आमीन. मन को छू गयी ये पंक्तिया . होली की हार्दिक शुभकामनाये .

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  27. थाल पूजा का लिए चंचल निगाहें देख लूं
    हे प्रभू फिर और कोई चाह ना बाकी रहे
    बेहतरीन प्रस्तुति...

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  28. खुबसूरत शब्दों में रची रचना |

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  29. खुबसूरत शब्दों में रची रचना |

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  30. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे .

    वाह ...हर पंक्ति लाजवाब ।।

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  31. स्पर्श - शूल - यातना
    जिंदगी - जय पराजय
    परिणय - स्वीकारोक्ति
    निर्माण - प्रेम की फसलें

    हालाँकि आप की इस ग़ज़ल को किसी अग्रज की ग़ज़ल के समकक्ष रख कर उस से तुलना की जा सकती है| परंतु मित्र मैं इसे आप के स्वरूप में स्वीकारना ही श्रेयस्कर समझूंगा| बहुत बहुत बधाई दिगम्‍बर भाई|

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  32. कष्ट में भी हास्य की संभावना बाकी रहे
    प्रेम का बंधन रहे सदभावना बाकी रहे
    ek bahut hi sundar kavita....

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  33. सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे !!
    शब्द और भाव का संतुलन का दूसरा नाम है आपकी गजल !!

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  34. ग़ज़ल का एक-एक शे’र बार-बार पडःअने को जी चाहता है।
    हर बार की तरह, एक और उम्दा ग़ज़ल।

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  35. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे

    कमाल की पंक्तियाँ हैं....बहुत ही सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  36. सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे

    bahut khoob....aabhar

    जवाब देंहटाएं
  37. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे

    BEAUTIFUL WORDS !

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  38. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे
    सलाम इस जज्बे को

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  39. अत्यंत सुंदरतम उपमाएं लिये एक बेहतरीन रचना.

    होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  40. आपकी तो हर गज़ल बेहतरीन ही रहती है...ये वाली भी बेहतरीन है :)

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  41. इस तरह से ज़िन्दगी का संतुलन होता रहे
    जय पराजय की कभी ना भावना बाकी रहे ...

    बेहतरीन ग़ज़ल...
    हर शे‘र में आपका निराला अंदाज झलक रहा है।

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  42. इस तरह से ज़िन्दगी का संतुलन होता रहे
    जय पराजय की कभी ना भावना बाकी रहे
    अपने खास अंदाज़े बयान के साथ बेमिसाल गज़ल लिखी है आपने ! हर शेर लाजवाब है और भाँ अनमोल ! बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें !

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  43. नासवा जी!
    एक झील के पानी पर कंकड़ फेंकने से जैसी लहरें बनती हैं, बस हर छंद के साथ दिल में वैसी ही स्वरलहरी जलतरंग की तरह बजती रही.. बहुत सुन्दर!!

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  44. कष्ट में भी हास्य की संभावना बाकी रहे
    प्रेम का बंधन रहे सदभावना बाकी रहे

    bahut sundar rachna

    .

    जवाब देंहटाएं
  45. सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे

    vaah vaah.

    शेर में वाक़ई नयापन है .
    नासवा जी, गज़ब का चिंतन है.

    जवाब देंहटाएं
  46. यूँ करो स्पर्श मेरा दर्द सब जाता रहे
    शूल हों पग में मगर ना यातना बाकी रहे
    Bahut accha likha hai aapne...chaliye aapki tareef ko apne in udgaron se sahla deta hun....

    kanton ki chubhan phoolon ki chhuan ho gayi,
    dard itna badha ki peera saghan ho gayi,
    main to unki yaad mein ashru ko jal sa peeta raha,
    kya pata tha hamko ki peete hi agan wo ho gayi.

    जवाब देंहटाएं
  47. बेहतरीन ...लाजबाब !

    बहुतेरे ब्लॉग पढ़े मगर इस फील्ड में आपके कद का फिलहाल कोई नहीं !

    जवाब देंहटाएं
  48. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे ...
    ... बहुत खूबसूरत गज़ल

    जवाब देंहटाएं
  49. कष्ट में भी हास्य की संभावना बाकी रहे
    प्रेम का बंधन रहे सदभावना बाकी रहे ......

    सुंदर शुभिच्छा.

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  50. किसी एक शेर को उद्धृत करना चाह रहा था | समझ नहीं आया किसे छोड़ दूं | अतः सभी पदों के लिए साधुवाद भेजता हूँ |

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  51. बहुत खूबसूरत गज़ल|धन्यवाद|

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  52. इस तरह से ज़िन्दगी का संतुलन होता रहे
    जय पराजय की कभी ना भावना बाकी रहे

    आप में शक्ति हे फिर चाहे के दर्शन दो न दो
    पर ह्रदय में आपकी अवधारना बाकी रहे
    bahut hi badhiya .

    जवाब देंहटाएं
  53. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे.
    really nice


    Vivek Jain (vivj2000.blogspot.com)

    जवाब देंहटाएं
  54. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे
    Ati sunder.
    hamesha kee tarah ek alag rang me rangee rachna

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  55. सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो स्वीकारना बाकी रहे
    ******************************
    बहुत सुन्दर शेर .......बेहतरीन ग़ज़ल

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  56. आप में शक्ति हे फिर चाहे के दर्शन दो न दो
    पर ह्रदय में आपकी अवधारना बाकी रहे ..

    बहुत सार्थक और प्रेरक रचना...अहसास मन को छू जाते हैं...बहुत सुन्दर

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  57. aadarniy sir
    bahut hi sakaratmakta liye hue hai aapki yah rachna .sabhi panktiyan dil me utarne wali hain .lazwab

    सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे
    आप में शक्ति हे फिर चाहे के दर्शन दो न दो
    पर ह्रदय में आपकी अवधारना बाकी रहे
    behad -behad bhav pravan aabhivykti
    dhanyvaad sahit
    poonam

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  58. भाई दिगम्बर नासवा जी सुंदर गज़ल के लिए आपको बहुत बहुत बधाई |

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  59. बहुत खूबसूरत भाव! आप अपनी अभिव्यक्ति में सफल रहे हैं भाई जी !!

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  60. कर सको निर्माण तो ऐसा करो इस देश में
    प्रेम की फंसलें उगी हों काटना बाकी रहे

    सुभान अल्लाह...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...दाद कबूल करें...
    मुझे अफ़सोस है और मैं हैरान हूँ....मैं इन ग़ज़लों तक पहले कैसे नहीं पहुंचा, कहाँ रह गया...

    नीरज

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  61. सचमुच बहुत प्यारी कविता है सिवा एक पंक्ति के जो मुझे स्पष्ट समझ में नही आ रही'

    ' सात फेरे डालना है आत्माओं का मिलन
    इस तरह परिणय न हो, स्वीकारना बाकी रहे '
    पहली पंक्ति समझ में आ गई किन्तु दूसरी पकती का उसके साथ ताल मेल ,समझ नही आ रहा.विरोधाभास है यहाँ???

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  62. दूसरी पंक्ति में में यह कहना चाहता हूँ .. की विवाह इस तरह से नहीं होना चाहिए की स्वीकार ही न हो दिल से .... क्योंकि विवाह के सात फेरे डालना आत्माओं का मिलन है ... इसलिए परिणय ऐसा नहीं होना चाहिए जो बस नाम का हो .... परिणय में एक दूजे को खुल के स्वीकारना चाहिए ...
    आशा है मैं समझाने के प्रयास में सफल रहा होऊंगा ...

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है