स्वप्न मेरे: बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना ...

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना ...


किसी को उम्र भर सर पर बिठाना
बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना

हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
उसी पत्थर को सीने से लगाना

मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
कभी तन्हाई में सुनना सुनाना

बड़ी मासूम सी उनकी अदा है
उठा कर के गिराना फिर उठाना

जुनूने इश्क में होता है अक्सर
लगी हो चोट फिर भी मुस्कुराना

जला कर ख़ाक कर सकते हैं घर को
चरागों से है रोशन यूँ ज़माना

कहाँ आसान होता है किसी को 
किसी भी गैर का हंसना हँसाना

नहीं आती है सबको रास शोहरत
बुलंदी पर नही रहता ठिकाना 

86 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...........
    बहुत बढ़िया सर.

    हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    लाजवाब शेर....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह...........
    बहुत बढ़िया सर.

    हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    लाजवाब शेर....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह...........
    बहुत बढ़िया सर.

    हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    लाजवाब शेर....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  4. किसी को उम्र भर सर पर बिठाना
    बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना

    और जो ऐसा कर जाते हैं वही गोपियों की तरह अमर हो जाते हैं... बहुत सुंदर गजल !

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  5. वाह...........
    बहुत बढ़िया सर.

    हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    लाजवाब शेर....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह...........
    बहुत बढ़िया सर.

    हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    लाजवाब शेर....

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत प्यारी गज़ल......

    मगर मेरी दाद आप तक पहुँच नहीं रही....
    :-(

    शायद स्पाम में मिले मेरी टिप्पणियाँ.

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  9. यही है खासियत ग़ज़लों की इनकी,
    नहीं आसान है इनको भुलाना!

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  10. बेहद गहरे अर्थों को समेटती खूबसूरत और संवेदनशील रचना....आपके लेखन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है नासवा जी आभार आपका !!

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  11. अच्छा लिखा है आपने.. बस एक जगह थोड़ा खटक रहा है - बड़ी मासूम सी उनकी अदा है
    उठा कर के गिराना फिर उठाना.. यहां स्पष्टता नहीं है हालांकि समझ आ रहा है कि पलकों के गिराने उठाने की बात हो रही है..

    जवाब देंहटाएं
  12. मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना
    वाह!

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  13. किसी को उम्र भर सर पर बिठाना
    बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना

    हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    sach mein badi mushkil hai.....

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  14. बड़ी मासूम सी उनकी अदा है
    पलकें उठाना उठा कर के गिराना

    मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना

    बहुत खूबसूरत अंदाज़...

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  15. सुंदर गजल हमेशा कि तरह ही हर एक शेर लाजवाब अपने आपमें एक जीवन दर्शन समेटे

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  16. बड़ी मासूम सी उनकी अदा है
    उठा कर के गिराना फिर उठाना

    सच में यह अदा जीवन में बहुत बार सामने आती है ....!

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  17. हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना.... बाप रे बाप ... मुश्किल नहीं , जीते जी मर जाना है

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  18. आप तो ऐसे ना थे ! ये शिकवा किस लिए :)

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  19. खूबसूरत ग़ज़ल ।

    कहाँ आसान होता है किसी को
    किसी भी गैर का हंसना हँसाना

    ये कैसा रहेगा --

    कहाँ आसान होता है किसी का
    किसी भी गैर को हंसना हँसाना

    जवाब देंहटाएं
  20. अति सुन्दर अभिव्यक्ति।
    सार्थक गज़ल। शब्द-शब्द
    में चिन्तन और मनन।
    धन्यवाद।

    आनन्द विश्वास।

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  21. जला कर ख़ाक कर सकते हैं घर को
    चरागों से है रोशन यूँ ज़माना
    haan vakt se ru -baa ru

    जवाब देंहटाएं
  22. जुनूने इश्क में होता है अक्सर
    लगी हो चोट फिर भी मुस्कुराना ..waah sir

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  23. जला कर ख़ाक कर सकते हैं घर को
    चरागों से है रोशन यूँ ज़माना,....
    वाह!!!!सुन्दर गजल ,बेहतरीन लाजबाब प्रस्तुति,.....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

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  24. नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना
    एकदम वजा फ़रमाया जी . जो ऊपर चढ़ा है नीचे भी आएगा . सुँदर ग़ज़ल

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  25. मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना

    वाह...बेहतरीन!!

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  26. किसी को उम्र भर सर पर बिठाना
    बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना

    आपका लिखा पढ़ने की बात ही कुछ और है सर!

    सादर

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  27. आपकी यह गज़ल बार-बार पढने लायक है । खूबसूरत

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  28. किसी को उम्र भर सर पर बिठाना
    बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना


    Bahut Badhiya....

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  29. हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना
    यही सबसे मुश्किल ...

    जवाब देंहटाएं
  30. जुनूने इश्क में होता है अक्सर
    लगी हो चोट फिर भी मुस्कुराना
    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल हर शेर लाजबाब , मुबारक हो

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत खूब, सच में बड़ा मुश्किल है यह।

    जवाब देंहटाएं
  32. मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना


    जुनूने इश्क में होता है अक्सर
    लगी हो चोट फिर भी मुस्कुराना


    वाह ,....बहुत खूबसूरत गजल

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  33. इसे पढ़कर बहुत आनन्द आया.हर एक शेर का अलग आनन्द है.

    जवाब देंहटाएं
  34. नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना
    sahi hai bahut sundar gajal.....badhai,

    जवाब देंहटाएं
  35. नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना .....waah bahut khoob

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  36. बड़ी मासूम सी उनकी अदा है
    उठा कर के गिराना फिर उठाना

    नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना

    Waah !

    जवाब देंहटाएं
  37. मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना.
    वाह ! दिगम्बर जी, क्या अंदाज है,
    टूटा कुछ- ना आई आवाज है
    कुछ हमारी भी......
    कह गया जोकर सारा जमाना
    आधी हकीकत आधा फसाना.
    इसी अंदाज पे मिटा जमाना
    आधी हकीकत ही जतलाना.
    समझे अजी ! समझने वाले
    क्या है हकीकत,क्या है फसाना.
    मन मंदिर की प्रतिमा बताकर
    पत्थर को सीने से लगाना
    चाहे वह ठोकर भी मारे
    लेकिन फिर भी सर पे बिठना
    मन को छूती, अद्भुत पंक्ति
    "कभी तनहाई में सुनना-सुनाना"

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  38. किसी को उम्र भर सर पर बिठाना
    बड़ी मुश्किल है यूँ रिश्ता निभाना
    हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    ye sher bahut hi acche lage ..bandhaaii ho

    जवाब देंहटाएं
  39. बड़ी मासूम सी उनकी अदा है
    उठा कर के गिराना फिर उठाना
    .....अपने ही अक्सर ऐसा करते हैं ....सुन्दर भाव !
    अग्नि में जो कुछ भी डालो

    जवाब देंहटाएं
  40. अपने आपमें एक जीवन दर्शन समेटे बहुत खुबसूरत ग़ज़ल बहुत खूब, बार-बार पढने लायक.लाजवाब!!!

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  41. बड़ी मासूम सी उनकी अदा है
    उठा कर के गिराना फिर उठाना.....बहुत खूबसूरत गजल...

    जवाब देंहटाएं
  42. बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल....हर शेर उम्दा और बेहतरीन....वाह ।

    जवाब देंहटाएं
  43. waah kya khoob likha hai Digambar ji

    जुनूने इश्क में होता है अक्सर
    लगी हो चोट फिर भी मुस्कुराना

    जवाब देंहटाएं
  44. हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना
    नि:शब्‍द कर दिया आपने इन पंक्तियों में ...बहुत ही लाजवाब लिखा है ..

    जवाब देंहटाएं
  45. कहाँ आसान होता है किसी को
    किसी भी गैर का हंसना हँसाना

    नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना

    ..bahut sundar gahan chintan karati sundar rachna...aabhar!

    जवाब देंहटाएं
  46. आपकी गज़लें लाजवाब कर देतीं हैं...उम्दा शेर...बेहतरीन ग़ज़ल...

    जवाब देंहटाएं
  47. हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल..

    जवाब देंहटाएं
  48. सचमुच रिश्‍तों को निभाना मुश्किल काम है।

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  49. दाद देने के लिए किसी एक शे'र को चुनना कठिन लग रहा है...
    पूरी ग़ज़ल शानदार!

    जवाब देंहटाएं
  50. सभी शेर बहुत अच्छे, ये खास पसंद आया...

    कहाँ आसान होता है किसी को
    किसी भी गैर का हंसना हँसाना

    नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना

    दाद स्वीकारें.

    जवाब देंहटाएं
  51. हर शेर बहुत ही संजीदगी से लिखा हुआ हैं ...बहुत बढिया

    जवाब देंहटाएं
  52. नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना

    वाह! बोलते हुए शेर....बहुत खूब ग़ज़ल....मुबारक हो..

    जवाब देंहटाएं
  53. हज़ारों ठोकरें मारीं हो जिसने
    उसी पत्थर को सीने से लगाना

    मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना
    .....waah bahut sunder .........aapki gajal waah bahut acchi hoti hai
    hardik badhai

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  54. सही कहा आपने....रिश्ते बनाने से ज्यादा तो उन्हें निभाना कठिन होता है!...बहुत सुन्दर रचना!

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  55. कमाल की रचना ...बधाई नासवा जी

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  56. नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना
    भाई साहब आपकी टिप्पणियाँ स्पैम जी ले उड़तें हैं ,छुडानी पड़तीं हैं .

    जवाब देंहटाएं
  57. मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना

    बहुत खूब ....

    जवाब देंहटाएं
  58. मेरे गीतों में खुद को पाओगे तुम
    कभी तन्हाई में सुनना सुनाना

    नई जमीन पर लिखी गई सुंदर ग़ज़ल

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  59. नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना

    बहुत सुंदर गजल ...बेहतरीन रचना के लिए बधाई,....
    मेरे पोस्ट आइये स्वागत है,.....
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  60. नहीं आती है सबको रास शोहरत
    बुलंदी पर नही रहता ठिकाना ....sacchi bat.....

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  61. मगर हुजुर आपके शेरो सुखन की ये बलंदी बनी रहे...लाजवाब!

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