स्वप्न मेरे: मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब ...

सोमवार, 14 जुलाई 2014

मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब ...

किसी के हाथ में ख़ंजर, कहीं फरमान होता है
तुम्हारी दोस्ती में ये बड़ा नुक्सान होता है

नहीं आसान इसकी सरहदों तक भी पहुँच पाना
बुलंदी का इलाका इसलिए सुनसान होता है

मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब
शहर का आइना ये देख कर हैरान होता है

जो तिनके के सहारे तैरने का दम नहीं रखते
भंवर में थामना उनको कहाँ आसान होता है

लड़कपन बीत जाता है, जवानी भी नहीं रहती
बुढापा उम्र भर इस जिस्म का मेहमान होता है 

35 टिप्‍पणियां:

  1. मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब
    शहर का आइना ये देख कर हैरान होता है

    जो तिनके के सहारे तैरने का दम नहीं रखते
    भंवर में थामना उनको कहाँ आसान होता है
    बहुत उमदा अशआर हैं शुभकामनायें

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  2. लड़कपन बीत जाता है, जवानी भी नहीं रहती
    बुढापा उम्र भर इस जिस्म का मेहमान होता है

    बहुत खूब.. उम्र के साथ ही विदा होती है वृद्धावस्था सभी शेर लाजवाब हैं..

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  3. जो तिनके के सहारे तैरने का दम नहीं रखते
    भंवर में थामना उनको कहाँ आसान होता है
    बहुत खूब !

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  4. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  5. नहीं आसान इसकी सरहदों तक भी पहुँच पाना
    बुलंदी का इलाका इसलिए सुनसान होता है

    Behtreen panktiyan....

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  6. कुछ जिन्दगानियां लडकपन और बचपन के बिना ही बुढ़ापे को थामे बैठे होती है !!
    मुखौटे अपने चेहरे पर , सच किसी का ढूंढते रहे हैं हम !!
    बेहतरी से अपने भावों को ग़ज़ल में पिरोते हैं आप !!

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  7. हर अशआर लाज़बाब । हमेशा की तरह ही यह रचना भी गहरी और अर्थपूर्ण ।

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  8. लड़कपन बीत जाता है, जवानी भी नहीं रहती
    बुढापा उम्र भर इस जिस्म का मेहमान होता है!

    एक एक शे'र एक फ़लसफ़ा बयान करता है और इस मक़्ते को दिल से लगा लेने को जी चाहता है.. हमारी हक़ीक़त जो छिपी है इसमें!

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  10. लड़कपन बीत जाता है, जवानी भी नहीं रहती
    बुढापा उम्र भर इस जिस्म का मेहमान होता है

    हर शेर बेहतरीन,,,,लाजवाब
    साभार!

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  11. सच की आधारशिला पर बेहतरीन एहसास ......

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  12. जो तिनके के सहारे तैरने का दम नहीं रखते
    भंवर में थामना उनको कहाँ आसान होता है
    बहुत सुन्दर

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  13. नहीं आसान इसकी सरहदों तक भी पहुँच पाना
    बुलंदी का इलाका इसलिए सुनसान होता है

    लड़कपन बीत जाता है, जवानी भी नहीं रहती
    बुढापा उम्र भर इस जिस्म का मेहमान होता है

    बहुत खूब... खूबसूरत ग़ज़ल...हर एक शेर अपने में गहरे अर्थ लिए हुए है.

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  14. मुखोटे ओढ कर सच की हकी्कत ढूंढते हैं लोग--
    बुढापा उम्र भर---
    सच तीर भी है---खंजर भी--
    सीने में लहू को तर रखना होता है ताकि,चोट गहरी ना लगे.कां्टों के साथ एक फूल उम्मीद होती है.
    भावों से महकती रचना.

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  15. मुखोटे ओढ कर सच की हकी्कत ढूंढते हैं लोग--
    बुढापा उम्र भर---
    सच तीर भी है---खंजर भी--
    सीने में लहू को तर रखना होता है ताकि,चोट गहरी ना लगे.कां्टों के साथ एक फूल उम्मीद होती है.
    भावों से महकती रचना.

    जवाब देंहटाएं
  16. आपकी गजल हमेशा ही उम्दा होती है सो इसबार भी हमेशा की तरह है एकसे एक नायाब शेर कहे है नासवा जी, बहुत खूब !

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  17. किसी के हाथ में ख़ंजर, कहीं फरमान होता है
    तुम्हारी दोस्ती में ये बड़ा नुक्सान होता है

    हर शैर अपनी जगह खूबसूरत अर्थ लिए है।

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  18. मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब.…
    कैसे सांस लेते हैं जीवन भर मुखौटों की ओट में लोग
    लाज़वाब हर बार की तरह …

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  19. जो तिनके के सहारे तैरने का दम नहीं रखते
    भंवर में थामना उनको कहाँ आसान होता है
    ......... बिल्‍कुल सच कहा है आपने
    बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  20. बहुत खूब...सुंदर प्रस्तुति||| हमेशा की तरह...

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  21. वाह। बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  22. नहीं आसान इसकी सरहदों तक भी पहुँच पाना
    बुलंदी का इलाका इसलिए सुनसान होता है

    क्या बात कही है सर जी.

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  23. मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब
    शहर का आइना ये देख कर हैरान होता है

    जो तिनके के सहारे तैरने का दम नहीं रखते
    भंवर में थामना उनको कहाँ आसान होता है

    ​बहुत खूब

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  24. मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब
    शहर का आइना ये देख कर हैरान होता है

    bahut hi umdaah..gahre bhaawo uthaaye har pankti

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  25. मुखौटे ओढ़ कर सच की हकीकत ढूंढते हैं सब
    शहर का आइना ये देख कर हैरान होता है.

    SACH!!!!!!!!!

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