स्वप्न मेरे: ज़रा नज़दीक जा कर देखिये जीवन के रंगों को ...

सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

ज़रा नज़दीक जा कर देखिये जीवन के रंगों को ...

बुझा दो रोशनी छेड़ो नहीं सोए पतंगों को
जगा देती हैं दो आँखें जवाँ दिल की उमंगों को

जो जीना चाहते हो ज़िन्दगी की हर ख़ुशी दिल से
जरा रोशन करो उजड़ी हुई दिल की सुरंगों को

जिसे मेहनत की आदत है उसे ये राज़ मालुम है
बुलंदी दे ही देती है हवा उड़ती पतंगों को

दबा दो लाख मिटटी में सुलग उठते हैं अंगारे
छुपाना है नहीं आसान उल्फत की तरंगों को

ये खुशबू, फूल, तितली, रेत, सागर, आसमां, मिटटी
ज़रा नज़दीक जा कर देखिये जीवन के रंगों को 

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