tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post8366340963653331883..comments2024-03-28T14:28:13.874+05:30Comments on स्वप्न मेरे: ग़ज़ल ...दिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comBlogger73125tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-38284785904618910432011-06-28T18:48:24.833+05:302011-06-28T18:48:24.833+05:30अपने आप में यह एक सुन्दर रचना है किन्तु या हिंदी श...अपने आप में यह एक सुन्दर रचना है किन्तु या हिंदी शब्दावली होती या केवल उर्दू शब्दों का प्रयोग होना चाहिए.जिस तरह एक ही रचना (कविता या नज्म कुछ भी हो) में 'तु' तुम' ठीक है किन्तु उसी में 'आप' का प्रयोग बहुत खटकता है जबकि बड़े बड़े रचनाकारों कवियों को मैंने ये सब करते देखा,सुना,पढा है.दोनों का प्रयोग व्याकरणीय,कव्यशिल्प दोष कहलाता है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-84535448880627996472011-06-28T18:44:39.702+05:302011-06-28T18:44:39.702+05:30है इश्क़ ही मेरी इबादत इश्क़ है मेरा खुदा
दानिश नह...है इश्क़ ही मेरी इबादत इश्क़ है मेरा खुदा<br />दानिश नही आलिम नही मुल्ला हूँ न मैं मौलवी<br /><br />महबूब तेरे अक्स में है हीर लैला सोहनी<br />मीरा कहूँ राधा कहूँ मुरली की मीठी रागिनी<br /><br />इस इब्तदाए इश्क़ में अंज़ाम क्यों सोचें भला<br />जब यार से लागी लगन तो यार मेरी ज़िंदगी<br />.......बहुत खूब शे'र कहे हैं मेरे मनके करीब आके दस्तक देने लगे हैं कि...देख तुझ-से हैं हम या हम जैसी ही है तु? तेरे अक्स को उतारा है शायर ने कूंची से नही अपने लफ्जों से ' और मैं ??? ऐसिच हूँ मैं तो प्यार जिसके लिए ईश्वर है.<br />किन्तु.............<br />तुम आग पानी अर्श में, पृथ्वी हवा के अंश में<br />ये रूह तेरे नूर से कैसे कहूँ फिर अजनबी' इस शे'र में शुद्ध हिंदी के शब्दों का प्रयोग नही सुहा रहा,खटक सा रहा है.अपने गुरूजी से कहिये 'पृथ्वी' 'हवा' 'अंश' के स्थान पर उर्दू के शब्द बताए.इससे नीचे लिखे शे'र में भी हिंदी के सब्द अखर रहे हैं.मेरे ख्याल से नज्म और गीत में उसी के अनुसार उर्दू /हिंदी शब्दों का प्रयोग ही होना चाहिए. मुझे इसका ज्ञान नही.बस पढते हुए एक रवानी सी ना होने पर ऐसा लगता है.उसी तरह जैसे हमे रागों का ज्ञान नही होते हुए भी हम गीत की मधुरता को पहचान लेते है. है ना?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-43079883722475118102011-04-07T18:46:30.223+05:302011-04-07T18:46:30.223+05:30वहां दी बधाई (गुरुदेव के ब्लॉग पर)....यहाँ लो बधाई...वहां दी बधाई (गुरुदेव के ब्लॉग पर)....यहाँ लो बधाई...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-74943332508511259822011-04-07T18:46:22.803+05:302011-04-07T18:46:22.803+05:30वहां दी बधाई (गुरुदेव के ब्लॉग पर)....यहाँ लो बधाई...वहां दी बधाई (गुरुदेव के ब्लॉग पर)....यहाँ लो बधाई...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-64679464649968316742010-11-18T15:49:28.160+05:302010-11-18T15:49:28.160+05:30ekdam roohani hai..!ekdam roohani hai..!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-16891655613579339962010-11-12T12:07:34.154+05:302010-11-12T12:07:34.154+05:30behad sunder.behad sunder.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-54372147524859223792010-11-11T21:00:47.403+05:302010-11-11T21:00:47.403+05:30तुम आग पानी अर्श में, पृथ्वी हवा के अंश में
ये रू...तुम आग पानी अर्श में, पृथ्वी हवा के अंश में <br />ये रूह तेरे नूर से कैसे कहूँ फिर अजनबी <br /><br />नज़रें झुकाए तू खड़ी है थाल पूजा का लिए <br />तुझमें नज़र आए खुदा तेरी करूँ मैं बंदगी <br /><br />ठोकर तुझे मारी सदा अपमान नारी का किया <br />काली क्षमा दुर्गा क्षमा गौरी क्षमा हे जानकी<br />bahut hi badhiya gazal ,har baat laazwaab .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-31533075875799777052010-11-11T13:25:21.097+05:302010-11-11T13:25:21.097+05:30उम्दा कविता के लिए हार्दिक बधाई.
धन्यवाद.
WWW.CHAN...उम्दा कविता के लिए हार्दिक बधाई.<br />धन्यवाद.<br />WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COMचन्द्र कुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-26550934245080709372010-11-11T11:14:19.617+05:302010-11-11T11:14:19.617+05:30.....ठोकर तुझे मारी सदा अपमान नारी का किया,
काली क........ठोकर तुझे मारी सदा अपमान नारी का किया,<br />काली क्षमा दुर्गा क्षमा गौरी क्षमा हे जानकी .<br />बेहतरीन<br />बधाई स्वीकारें।<br /><br />regard ><br />P.S.Bhakuni (Paanu)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-1205644090515439902010-11-11T10:54:06.747+05:302010-11-11T10:54:06.747+05:30वाह ..क्या उम्दा ग़ज़ल है .
आभार ..वाह ..क्या उम्दा ग़ज़ल है .<br />आभार ..वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-8769803049258027562010-11-11T10:16:27.293+05:302010-11-11T10:16:27.293+05:30भावों को मोतियों की तरह सुन्दर शब्दों में पिरोया ह...भावों को मोतियों की तरह सुन्दर शब्दों में पिरोया है. बहुत खूब.शुभकामनायें.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-5033606668359779582010-11-10T22:00:38.524+05:302010-11-10T22:00:38.524+05:30ठोकर तुझे मारी सदा अपमान नारी का किया
काली क्षमा ...ठोकर तुझे मारी सदा अपमान नारी का किया <br />काली क्षमा दुर्गा क्षमा गौरी क्षमा हे जानकी <br />...वाह क्या बात है!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-85891018438455657132010-11-10T21:46:22.685+05:302010-11-10T21:46:22.685+05:30तुम आग पानी अर्श में, पृथ्वी हवा के अंश में
ये रूह...तुम आग पानी अर्श में, पृथ्वी हवा के अंश में<br />ये रूह तेरे नूर से कैसे कहूँ फिर अजनबी !<br /><br />वाह! दिगम्बर जी, गजल बहुत ही बढिया लगी....<br />आभार्!Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-35198086744281992482010-11-10T17:44:54.610+05:302010-11-10T17:44:54.610+05:30दिगम्बर भाई, बहुत प्यारी गजल कही है। बधाई स्वीक...दिगम्बर भाई, बहुत प्यारी गजल कही है। बधाई स्वीकारें।<br /><br />---------<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">इंटेलीजेन्ट ब्लॉगिंग अपनाऍं, बिना वजह न चिढ़ाऍं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-3582223029535797922010-11-10T10:57:43.401+05:302010-11-10T10:57:43.401+05:30महबूब तेरे अक्स में है हीर लैला सोहनी
मीरा कहूँ रा...महबूब तेरे अक्स में है हीर लैला सोहनी<br />मीरा कहूँ राधा कहूँ मुरली की मीठी रागिनी<br /><br />नज़रें झुकाए तू खड़ी है थाल पूजा का लिए<br />तुझमें नज़र आए खुदा तेरी करूँ मैं बंदगी <br /><br />बेहतरीन गज़ल ………………शानदार शेर्।Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-91691506838109669092010-11-10T06:12:09.755+05:302010-11-10T06:12:09.755+05:30तुम आग पानी अर्श में, पृथ्वी हवा के अंश में
ये रूह...तुम आग पानी अर्श में, पृथ्वी हवा के अंश में<br />ये रूह तेरे नूर से कैसे कहूँ फिर अजनबी<br />एक दम दर्शन की अभिव्यक्ति और वो भी सटीक, लाजबाब रचना <br />"नासवा" जी मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया , इसी तरह उत्साहवर्धन करते रहिये ताकि लेखन का क्रम अनवरत जारी रहे.....शुक्रियाकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-30859380140047736302010-11-10T00:50:19.858+05:302010-11-10T00:50:19.858+05:30आपके लिए कहूंगा काइम रहे ये रौशनी...........
शानदा...आपके लिए कहूंगा काइम रहे ये रौशनी...........<br />शानदार गजल है, बिल्कुल आपके जुदा अंदाज की तरह।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-85449634099703656162010-11-09T22:42:02.409+05:302010-11-09T22:42:02.409+05:30नासवा जी!
"है ग़ज़ल आप की, वाक़ई टाप की।
बैट...नासवा जी!<br />"है ग़ज़ल आप की, वाक़ई टाप की। <br />बैटरी चार्जर है ये उत्ताप की॥"<br />सराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ.<br /> सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-5667054364020131502010-11-09T18:57:58.690+05:302010-11-09T18:57:58.690+05:30है इश्क़ ही मेरी इबादत इश्क़ है मेरा खुदा
दानिश नह...है इश्क़ ही मेरी इबादत इश्क़ है मेरा खुदा<br />दानिश नही आलिम नही मुल्ला हूँ न मैं मौलवी<br /> <br />वाह-वा !!<br />ये शेर अपनी मिसाल आप बन गया है<br />एक खूबसूरत ग़ज़ल से मिलवाने के लिए<br />आपका बहुत बहुत शुक्रिया .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-23380757999753181242010-11-09T18:07:02.707+05:302010-11-09T18:07:02.707+05:30मीरा राधा हीर को एक साथ देखना अच्छा लगामीरा राधा हीर को एक साथ देखना अच्छा लगाpalashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-53907527631751099832010-11-09T16:56:29.285+05:302010-11-09T16:56:29.285+05:30हाँ ... शायद अब पूरी तरह समझ में आ गया है
दानिश और...हाँ ... शायद अब पूरी तरह समझ में आ गया है<br />दानिश और आलिम दोनों सम्बंधित हैं<br />जैसे ज्ञान और ज्ञानी या बुद्दी और बुद्दिमान<br />और इसी के साथ हुयी एक नयी खोज ..मेरी अगली पोस्ट में जरूर पढियेगा :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-88554456726059152112010-11-09T16:46:20.354+05:302010-11-09T16:46:20.354+05:30महबूब तेरे अक्स में है हीर लैला सोहनी
मीरा कहूँ र...महबूब तेरे अक्स में है हीर लैला सोहनी <br />मीरा कहूँ राधा कहूँ मुरली की मीठी रागिनी<br />sundar!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-44011955973469481192010-11-09T16:46:05.837+05:302010-11-09T16:46:05.837+05:30@अल्पना जी
सही कहा आपने... "दानिश" का अर...@अल्पना जी<br />सही कहा आपने... "दानिश" का अर्थ नहीं मिला था :(<br />बहुत बहुत धन्यवाद आपका :)<br /><br />मुझे भी मेरे ढूंढें अर्थ अधूरे से ही लग रहे थे :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-15448144044681440782010-11-09T15:04:38.035+05:302010-11-09T15:04:38.035+05:30'महबूब तेरे अक्स में है हीर लैला सोहनी
मीरा कह...'महबूब तेरे अक्स में है हीर लैला सोहनी<br />मीरा कहूँ राधा कहूँ मुरली की मीठी रागिनी '<br />-बेहद बेहद खूबसूरत बात कही है !<br />बहुत अच्छी लगी गज़ल<br /><br />----@Gaurav-<br />दानिश का अर्थ नहीं मिला आप को शायद..उस का अर्थ मेरे ख्याल से 'ज्ञानी' होता है.<br />और आलिम का अर्थ 'विद्वान, /बुद्धिमान / सुबोध'.<br />और ...'उफ़क 'का सटीक अर्थ क्षितिज[horizon] होगा.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-30304443449513470482010-11-09T12:45:11.812+05:302010-11-09T12:45:11.812+05:30बहुत समय लगा इस खोज में
आलिम = ज्ञान वाला,
इब्...बहुत समय लगा इस खोज में <br /><br />आलिम = ज्ञान वाला, <br /><br />इब्तदा = शुरूआत, <br /><br />उफक = आसमान<br /><br />थैंक्स टू गूगलएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.com