tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post871638088833576611..comments2024-03-29T12:24:01.636+05:30Comments on स्वप्न मेरे: जिंदगी का गीत हो वो गीत लाजवाबदिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-17242031408722916832009-03-03T15:08:00.000+05:302009-03-03T15:08:00.000+05:30बहुत उम्दा ...बहुत-बहुत बधाई...बहुत उम्दा ...बहुत-बहुत बधाई...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-58766616600047719122009-02-26T13:51:00.000+05:302009-02-26T13:51:00.000+05:30हरेक शेर एक से बढ़कर एक......किसकी बात करूँ और किस...हरेक शेर एक से बढ़कर एक......किसकी बात करूँ और किसे छोडूं....बस पढ़ते गए और वाह वाह करते गए.<BR/>एक मुक्कम्मल और लाजवाब ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाइयाँ.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-75439658902482120832009-02-26T12:17:00.000+05:302009-02-26T12:17:00.000+05:30पोथियाँ पढता रहा कुछ मिल पाया ढाई आखर प्रेम से गुल...पोथियाँ पढता रहा कुछ मिल पाया <BR/>ढाई आखर प्रेम से गुलज़ार मेरा ख्वाब <BR/>ढाई आखर प्रेम का पढ़े जो पंडित होय ....बहुत सुन्दर !!!प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh)https://www.blogger.com/profile/08654132523168281005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-8802396090892234342009-02-25T17:55:00.000+05:302009-02-25T17:55:00.000+05:30यूँ तो सारे गीत होते खूबसूरत जिंदगी का गीत हो वो ग...यूँ तो सारे गीत होते खूबसूरत <BR/>जिंदगी का गीत हो वो गीत लाजवाब <BR/>वाकई लाजवाब!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-80745159598724765432009-02-25T16:27:00.000+05:302009-02-25T16:27:00.000+05:30खूबसूरत शेरों से सजी गजल...बधाईखूबसूरत शेरों से सजी गजल...बधाईMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-52763689493854211672009-02-25T07:35:00.000+05:302009-02-25T07:35:00.000+05:30यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर जिंदगी की स्याह...यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर <BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब <BR/>... बहुत खूब, प्रभावशाली अभिव्यक्ति।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-41990693284172366572009-02-25T00:20:00.000+05:302009-02-25T00:20:00.000+05:30दिगंबर जी, सभी ने बहुत तारीफ़ की , मेरे लिये तो कुछ...दिगंबर जी, सभी ने बहुत तारीफ़ की , मेरे लिये तो कुछ छोडा ही नही....<BR/>घर मेरा कुछ यूँ सजा आने से तेरे <BR/>रात रानी खिल उठी खिलता रहा गुलाब <BR/>आप की रचना मै सभी लाईने एक से बढ कर एक. बहुत ही अच्छा लगा. इन्तार रहेगा, अग्ली रचना का. धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-68679989218046408352009-02-24T22:29:00.000+05:302009-02-24T22:29:00.000+05:30वाहवा दिगंबर जी बहुत बढ़िया लेकिन आप पतली गली से न...वाहवा दिगंबर जी बहुत बढ़िया लेकिन आप पतली गली से निकल गये ये अच्छी बात नहीं... चलो कोई बात नहीं...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-1361571487493819102009-02-24T19:42:00.000+05:302009-02-24T19:42:00.000+05:30दिल को छू लेने वाली रचना..आभार प्रस्तुति का.शुभकाम...दिल को छू लेने वाली रचना..आभार प्रस्तुति का.<BR/>शुभकामनाएं........Devhttps://www.blogger.com/profile/07812679922792587696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-61445925158652938232009-02-24T01:30:00.000+05:302009-02-24T01:30:00.000+05:30बेहतरीन ग़ज़ल है। लाजवाब शे'र है:यूँ अंगूठा टेक हू...बेहतरीन ग़ज़ल है। लाजवाब शे'र है:<BR/>यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर<BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब <BR/><A HREF="http://mahavirsharma.blogspot.com" REL="nofollow">महावीर शर्मा</A>महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-28631035532608518422009-02-23T12:56:00.000+05:302009-02-23T12:56:00.000+05:30Digambar ji ,aapki yaatra aur is nazm ne to ranga ...Digambar ji ,<BR/><BR/>aapki yaatra aur is nazm ne to ranga bhiker diye hai ... wah ji wah .. maza aa gaya . kabhi hamare ghar bhi aayinga..<BR/><BR/>aapko shivraatri ki shubkaamnaayen ..<BR/><BR/>Maine bhi kuch likha hai @ www.poemsofvijay.blogspot.com par, pls padhiyenga aur apne comments ke dwara utsaah badhayen..vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-19791922975464459392009-02-22T15:22:00.000+05:302009-02-22T15:22:00.000+05:30puri gazal bahtareeb hai lekin yah sher bahut badh...puri gazal bahtareeb hai lekin yah sher bahut badhaiya hai<BR/>यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर <BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब<BR/><BR/>kabhi waqt mile to mera blog bhi dekhenShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-45702063995290383072009-02-22T15:07:00.000+05:302009-02-22T15:07:00.000+05:30'यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर जिंदगी की स्या...'यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर <BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब '<BR/>बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल और ख्याल हमेशा नए नए से ही लाते हैं आप.<BR/>गौतम जी से मिलना और समीर जी बात कर पाना इतने छोटे से अन्तराल में सच में <BR/>बहुत सुखद रहा होगा.<BR/>देखें ,एक ही देश में रहते हुए एमिरात के सभी ब्लॉगर कब मिल पाते हैं?<BR/><BR/>शुभकामनाओं सहित.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-14704896673021008892009-02-22T14:16:00.000+05:302009-02-22T14:16:00.000+05:30जिसमें कोई दाग न धब्बे पड़े होंक्यूँ नही फ़िर ढूंढ...जिसमें कोई दाग न धब्बे पड़े हों<BR/>क्यूँ नही फ़िर ढूंढ लें हम ऐसा माहताब <BR/><BR/>वाह्! दिगम्बर जी, क्या खूब लिखा है.अब तो तारीफ के लिए मेरे पास कोई शब्द भी शेष नहीं रहे है. सब के सब तो पहले ही आप की कविताओं के बदले खर्च हो चुके हैं. <BR/>आगे आपकी रचनाऎं तभी पढ पाऊंगा <BR/>गर तारीफ के लिए नऎ शब्दों को घड पाऊंगा <BR/>अरे वाह्! ये तो अपने आप में शेर बन गया.<BR/>लगता है कि आपकी संगत धीरे धीरे अपना असर दिखाने लगी है.Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-65026841467382068752009-02-22T13:08:00.000+05:302009-02-22T13:08:00.000+05:30दिगम्बर जी...अब शब्द तो सारे गुम हो गये हैं आपकी इ...दिगम्बर जी...अब शब्द तो सारे गुम हो गये हैं आपकी इस लाजवाब गज़ल को पढ़कर....्महज तारीफ़ करने के लिये तारीफ़ नहीं कर रहा ....<BR/>एक तो आपकी वो विस्तृत व्योम सी फैली मुस्कुराहट की स्मृति है और वो आपके साथ की काफी,मुझे नहीं लगता कि ’बरिस्ता’ फिर कभी मुझे उतनी हसीन काफी पिला पायेगा....<BR/>आपका करम..!!!!<BR/>और इस गज़ल के हर शेर,गज़ब के हर शेर...एकदम नपी-तुली बहर,कहीं भी कोई कमी नहीं...बेहतरीन काफ़िये....और ख्याल तो उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़..."यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर / जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब"<BR/>कमाल का शेर और ये भी " पोथियाँ पढता रहा कुछ मिल पाया / ढाई आखर प्रेम से गुलज़ार मेरा ख्वाब"...खुल कर दादगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-17705436057795136512009-02-22T01:25:00.000+05:302009-02-22T01:25:00.000+05:30क्या बात है, अपने अनुभव को शब्दो में बखुब पिरोय है...क्या बात है, अपने अनुभव को शब्दो में बखुब पिरोय है आपने....<BR/><BR/>"यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर<BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब "<BR/><BR/>बेह्तरिन लिख है आपने.....Dinesh Sarojhttps://www.blogger.com/profile/02759944802321750841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-20396444192903508222009-02-21T23:58:00.000+05:302009-02-21T23:58:00.000+05:30दिगंबर जी ,वैसे तो पूरी रचना ही अच्छी है लेकिन इन ...दिगंबर जी ,<BR/>वैसे तो पूरी रचना ही अच्छी है लेकिन इन पंक्तियों की बात ही अलग है ....<BR/>हमने अपने दर्द को कुछ यूँ छुपाया <BR/>ओस की बूंदों में पिघलता रहा अज़ाब .....<BR/>बहुत खूबसूरत भावः .<BR/>हेमंत कुमारडा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03899926393197441540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-61114226318313700302009-02-21T20:30:00.000+05:302009-02-21T20:30:00.000+05:30यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ परजिंदगी की स्याही...यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर<BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब<BR/><BR/>पोथियाँ पढता रहा कुछ मिल पाया<BR/>ढाई आखर प्रेम से गुलज़ार मेरा ख्वाब <BR/><BR/>DIGAMBAR JI , GAZAL KI TAREEF KE LIYE SHABDON KI KAMI MEHSOOS KAR RAHA HUN, ATI UTTAM, BAHUT KHOOB, WAH, BAHUT MUBARAK................Yogesh Verma Swapnhttps://www.blogger.com/profile/01456159788604681957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-60715797609328067232009-02-21T19:25:00.000+05:302009-02-21T19:25:00.000+05:30"इक नज़र अज़ीम आ के दे गयी सुकून , लफ्ज़-लफ्ज़ झूमता..."इक नज़र अज़ीम आ के दे गयी सुकून ,<BR/> लफ्ज़-लफ्ज़ झूमता है हो के कामयाब..."<BR/><BR/>हुज़ूर , बहुत ही उम्दा ग़ज़ल ...<BR/>नफ़ीस शायरी , सटीक इज़हार ....<BR/>हर शेर आपके हसीं फन की तर्जुमानी कर रहा है ....<BR/>मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं . . . .<BR/>और ...आपकी आमद का शुक्रिया <BR/>मुझे प्रेरणा और प्रोत्साहन दोनों मिले . . . .<BR/>---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-16480167414207489452009-02-21T19:22:00.000+05:302009-02-21T19:22:00.000+05:30वाह जी बहुत लाजवाब. आप चुपके २ आये और चले भी गये?ख...वाह जी बहुत लाजवाब. आप चुपके २ आये और चले भी गये?<BR/><BR/>खैर अगली बार सही.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-39517831665779368972009-02-21T18:04:00.000+05:302009-02-21T18:04:00.000+05:30यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर जिंदगी की स्याह...यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर <BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब <BR/><BR/>बहुत खूब...आप गौतम जी से मिले जान कर बहुत खुशी हुई...मुझे उम्मीद है वो मुलाकात आप शायद कभी भुला नहीं पाएंगे क्यूँ की अच्छे और सच्चे इंसानों से मुलाकात विरले लोगों को ही नसीब होती है..<BR/><BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-68453752850103522302009-02-21T17:59:00.000+05:302009-02-21T17:59:00.000+05:30दिगंबर जी , आप के मित्रवत स्नेह का अनुभव आपके द्वा...दिगंबर जी , <BR/>आप के मित्रवत स्नेह का अनुभव आपके द्वारा कविता से पूर्व लिखे विचार उदघाटित कर ही देते है, आप जेसो की संगत का इच्छुक हूँ. <BR/>अब आपकी गौतम जी के लिए लिखी गई कविता पर आता हूँ. <BR/>वैसे तो कविता अपनी आत्मा से निकली आवाज़ है, किन्तु जब इसमें जिंदगी का तत्व और जुड़ जाए तो वाकई ये ईश्वरीय आनंद बन जाती है, जहा भावना बहकर अपने प्रिय को जिंदगी के खूबसूरत भाव से सराबोर कर देती है. <BR/>आपके भाव-भावनायो को मेरा कोटि कोटि नमन. <BR/>यूं ही खिलती रहे जिन्दगी, और आप सा प्यारा व्यक्तित्व इस फिजा में सदा महकता रहे , मेरी शुभकामनाये.अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-44269641644063514472009-02-21T16:02:00.000+05:302009-02-21T16:02:00.000+05:30'यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर जिंदगी की स्या...'यूँ अंगूठा टेक हूँ, बे इल्म हूँ पर <BR/>जिंदगी की स्याही से लिक्खी मेरी किताब'<BR/>- जीवन के अनुभव बड़े से बड़े इल्म से ऊपर हैं .Anonymousnoreply@blogger.com