स्वप्न मेरे: आओ मिल कर चाँद बुनें

रविवार, 16 नवंबर 2008

आओ मिल कर चाँद बुनें

दुःख में रोना आता है,सुख में आप निकलते हैं
मेरी आंखों के आंसू तो ख़ुद मुझको ही छलते हैं


सांसों का है खेल ये जीवन, जीत मौत की होनी है
फ़िर भी क्यों भँवरे गाते हैं, फूल रोज ही खिलते हैं


तेरे मेरे उसके सपने, सपनो से कैसा जीवन
सपने तो सपने होते है, आंखों में ही पलते हैं


दुःख सब का साँझा होगा, मिल कर खुशियाँ बाँटेंगे
एसे जुमले कभी कभी अब किस्सों में ही मिलते हैं


आओ मिल कर चाँद बुनें और सूरज मिल कर खड़ा करें
इस दुनिया के चाँद और सूरज, समय चक्र से चलते हैं

20 टिप्‍पणियां:

  1. बाप रे बाप....रब्बा मेरे रब्बा....मौला मेरे मौला....हाय माँ कित्ता...कित्ता...कित्ता अच्छा लिखते हो आप.....

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  2. सांसों का है खेल ये जीवन, जीत मौत की होनी है
    फ़िर भी क्यों भँवरे गाते हैं, फूल रोज ही खिलते हैं


    तेरे मेरे उसके सपने, सपनो से कैसा जीवन
    सपने तो सपने होते है, आंखों में ही पलते हैं
    waah bahut khubsurat

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  3. तेरे मेरे उसके सपने, सपनो से कैसा जीवन
    सपने तो सपने होते है, आंखों में ही पलते हैं
    सटीक यथार्थ बेहतरीन सुंदर saushthav पूर्ण शब्द rachnaa

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  4. तेरे मेरे उसके सपने, सपनो से कैसा जीवन
    सपने तो सपने होते है, आंखों में ही पलते हैं
    " so touching thoughts and expression, great"

    regards

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  5. दुःख में रोना आता है,सुख में आप निकलते हैं

    behtreen pankti
    aapko badhaiiii....

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  6. सांसों का है खेल ये जीवन, जीत मौत की होनी है
    फ़िर भी क्यों भँवरे गाते हैं, फूल रोज ही खिलते हैं
    दुःख सब का साँझा होगा, मिल कर खुशियाँ बाँटेंगे
    एसे जुमले कभी कभी अब किस्सों में ही मिलते हैं
    भाई वाह..वा...क्या कहूँ दोनों शेर सवा शेर हैं....बेहतरीन ग़ज़ल...आनंद आ गया...वाह...
    नीरज

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  7. तेरे मेरे उसके सपने, सपनो से कैसा जीवन
    सपने तो सपने होते है, आंखों में ही पलते हैं

    वाह क्या बात है? बहुत अच्छा दिगम्बर भाई।

    जिन्दगी के भले दिन हैं कम ही तो क्या,
    हसरतें हों बड़ी और लगन चाहिए।
    दिल की चाहत ही ख्वाबों में ढ़लती सदा,
    ऐसे ख्वाबों को धरती गगन चाहिए।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  8. सांसों का है खेल ये जीवन, जीत मौत की होनी है
    फ़िर भी क्यों भँवरे गाते हैं, फूल रोज ही खिलते हैं
    BAHUT BAHUT BAHUT HI ACCHA LIKHA HAI MAN KO CHU GAI YE POORI KI POORI RACHNA EK ALAG ANUBHAV HUA YE PADKAR BAHUT ACCHA LAGA .......
    AAPKO NAMAN......

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  9. Dear Digambar,

    " दुःख में रोना आता है,सुख में आप निकलते हैं
    मेरी आंखों के आंसू तो ख़ुद मुझको ही छलते हैं "

    क्या सुंदर सत्य लिखा है मेरे भाई ..
    बहुत सुंदर , बधाई .

    विजय
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  10. बहुत सुन्दर मनोभिव्यक्ति!

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  11. तेरे मेरे उसके सपने, सपनो से कैसा जीवन
    सपने तो सपने होते है, आंखों में ही पलते हैं

    आपके ब्लॉग पर आना बहुत अच्छा लगा ..बहुत बढ़िया लिखते हैं आप

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  12. gahri baat ko kitni saralta aur sundarta se sankshipt shabdom me varnit kar diya aapne...sachmuch great !
    Bahut sundar

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  13. क्या चीज लिखते हो भाई!!

    वो तो जब भी आते हैं./..
    बादल बनके छा जाते हैं..//..


    बहुत उम्दा कलाम>>>

    आओ मिल कर चाँद बुनें और सूरज मिल कर खड़ा करें
    इस दुनिया के चाँद और सूरज, समय चक्र से चलते हैं

    ..वाह!!!

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  14. कल 18/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  15. दुःख सब का साँझा होगा, मिल कर खुशियाँ बाँटेंगे
    एसे जुमले कभी कभी अब किस्सों में ही मिलते हैं
    सच है!

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  16. बहुत ही भावपूर्ण रचना !
    मेरे ब्लॉग पे आपका हार्दिक स्वागत है ..

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  17. सांसों का है खेल ये जीवन, जीत मौत की होनी है
    फ़िर भी क्यों भँवरे गाते हैं, फूल रोज ही खिलते हैं
    खूबसूरत लिखा है

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है