स्वप्न मेरे: अनबुझी प्यास

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

अनबुझी प्यास

1)

अचानक बोलते हुवे
तेरा रुक जाना
दांतों में दुपट्टा दबाये
हौले हौले दीवार खुरचते
मेरी आगोश में सिमिट आना
मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
सत्य शिवम् में खो जाना
देखो .................
प्रेम के उन्मुक्त गगन में
इन्द्रधनुष के रंग बिखर आये हैं

2)

नीले सागर के साथ
मीलों चलता रेत का सागर
किनारे तोड़ कर आती
उन्मुक्त सागर की लहरें
सूखी रेत को लील लेने की
अनबुझी प्यास
लहरों के नर्तन में
शामिल है शायद
मेरी अनंत चाहत का जवाब

51 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी आगोश में सिमिट आना
    मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
    सत्य शिवम् में खो जाना

    वाह क्या भावनाओ और शब्दो का तालमेल है.............जिसमे मन मधुर एह्सास मे खो सा गया..........
    लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब

    जबाव नही इन पंक्तियो की...........लहरे जो चाहत व्यान करती है क्या कहने .......वाह
    प्यार की पराकाष्ठा दिखाती हुई ........मन मोह लिया आपने

    सादर

    ओम आर्य

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  2. देखो .................
    प्रेम के उन्मुक्त गगन में
    इन्द्रधनुष के रंग बिखर आये हैं
    प्रेम का यह मनोरम परिचय ---
    बहुत खूब

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  3. लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब

    ये पंक्तियां,
    बहुत देर तक गूंजती रहीं कानों में, तटों पर आती-जाती लहरों की तरह।
    बधाई

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  4. मेरी आगोश में सिमिट आना
    मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
    सत्य शिवम् में खो जाना

    jwaab nahi aapka
    behtareen abhivyakti..
    badhayi

    जवाब देंहटाएं
  5. अचानक बोलते हुवे
    तेरा रुक जाना
    दांतों में दुपट्टा दबाये
    हौले हौले दीवार खुरचते
    मेरी आगोश में सिमिट आना
    मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
    सत्य शिवम् में खो जाना
    देखो .................
    प्रेम के उन्मुक्त गगन में
    इन्द्रधनुष के रंग बिखर आये हैं

    aur kya chahiye ek premi ko. atisundar!!!!!!!!!!

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  6. बहुत सुंदर कविता प्यार के रंग बिखेरती..
    धन्यवाद

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  7. लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब
    -अद्भुत !
    खूबसूरत अभिव्यक्ति!

    दोनों रचनाएँ अच्छी लगीं...दूसरी वाली ज्यादा पसदं आई!

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  8. adbhut abhivyakti..........kya khoob likha hai.......lajawaab........prem ke sagar mein doobi rachna.

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  9. बहुत दिन से आपकी पोस्ट का इन्तज़ार था और लगता था कि इस बार जरूर कुछ खास ले कर आने वाले हैं बहुत सुन्दर प्रेमभियक्ति है शुभकामनायें और आभार्

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  10. लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब

    -बहुत सुन्दर अहसास! वाह!

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  11. ऐसा लगता है कि प्रेम विषय पर आपकी दक्षता है । क्‍योंकि जिस सुंदरता के साथ प्रेम आपकी कविताओं में आता है वो कम ही देखने को मिलता है । आपकी कविताओं का प्रेम जीवंत प्रेम होता है जो शब्‍दों में ढलकर इंद्रधनुष की तरह आसमान पर नजर आता है । और दो अच्‍छी कविताओं के लिये बधाई ।

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  12. मेरी आगोश में सिमिट आना
    मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
    सत्य शिवम् में खो जाना

    अत्यंत सुंदर और लाजवाब रचनाएं.

    रामराम.

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  13. "प्रेम के उन्मुक्त गगन में"
    बेहतरीन अभिव्यक्ति।

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  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  15. नासवा जी!
    "अनबुझी प्यास"
    आपका अति सुन्दर चित्र-गीत है।
    बधाई।

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  16. सुन्दर कविता. इन्द्रधनुष के रंग सचमुच बिखर आये हैं.

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  17. प्रेम के उन्मुक्त गगन में
    इन्द्रधनुष के रंग बिखर आये हैं...
    वाह भाई दिगंबर जी, वाह , आप लिखते है काफी दिनों बाद पर जब लिखते हैं तो काफी दमदार...

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  18. लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब

    बहुत ही सुन्‍दर वर्णन लहरों और अनंत चाहत का बेहतरीन ।

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  19. digambhar ji

    pranaam , main kareeb 2 ghante se aapke blog par hoon....aapko dono haatho pranaam . sir aap kitna accha likhte ho... aapki prem kavitao ne to mujhe jhakjhor diya hai ...main kis kis ki tareef karun....anbujhi pyaas....mahkata ahsaas...tum...shabd kuch bhatke hue ...waqt se churaye kuch pal.. main kis kis ki tareef karun... boss .. aap to ustaad ho ji .... mera pranaam aur aapki lekhni ko mera salaam ..ye dono kabul kariye ... kabhi bharat aaye to ek din ke liye hyderabad aa jaye..pls

    ye meri request hai ..aaj aapki poems saari raat padunga sir..

    aapka

    vijay

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  20. Bahut sundar rachana...aapki kavita me sabdon aur bhavo ki etani sundar prastuti hai ki mai kay kahoo.really its awesome...

    Regards..
    DevSangeet

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  21. गूढ बातों को सरल ढंग से कहना कोई आप से सीखे।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  22. दिगंबर जी,
    प्रेम और प्रकृति का अनूठा संगम है आपकी इन दोनों कविताओं में.
    अच्छी कवितायेँ.
    हेमंत कुमार

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  23. हमेशा की तरह बहुत ख़ूबसूरत कविता लिखा है आपने! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है! लिखते रहिये!

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  24. लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब



    वाह्! अति सुन्दर भाव.....एक बेहतरीन प्रस्तुति!

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  25. गुरूजी से मैं भी सहमत और इस दक्षता को नमन दिगम्बर जी!

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  26. सबसे पहले आपका ह्रदय से धन्यवाद की आप आये और मुझे और मेरी कविता को सम्मान दिया...

    एक तो आपके ब्लॉग का नाम ही मेरे लिए बिलकुल अपना सा है, क्यों की यह मेरे नाम से जुड़ गया है, मेरा नाम 'स्वप्न मंजूषा' है,

    अब आपकी कवितायेँ:

    यही बता रही हैं की आपके ह्रदय मैं प्रेम का महासागर हिलोरें ले रहा है, उसकी लहरों के कुछ छीटें हमें भी सराबोर कर गए हैं, इस अमृत का आनंद हमने भी ले लिया...

    बहुत सुन्दर रचना, अमूल्य भावः.......

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  27. chamtkrat karte shbdo ka ek aour saagar, jiski lahro me gote hi nahi balki doob jaane kaa man kartaa he, me to doob hi jaataa hoo, ubarne ka man hi nahi karta/ laazavaab/

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  28. कुछ ऐसे भी पल होते ,जब छा जाती है खामोशी ,तब शोर मचाती है धड़कन ,एक मेला जैसा लगता ,बिखरा -बिखरा ये सुनापन ,यादो के साए ऐसे करने लगते है आलिंगन .हर सांझ पतझड़ में फूल खिलाता है .
    aapki rachana se bahut shabd ubhar gaye .apne shabo se is rachana ki khoobsurati ki dad deti hoon .

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  29. 'लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब '

    - सुन्दर.

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  30. bahut sunder likhte hain aap puraana vakt yaad aa jaata hai .shubhkamnayen --prem

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  31. मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
    सत्य शिवम् में खो जाना
    ... बेहद प्रभावशाली !!!!!

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  32. "लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब"
    इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...

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  33. मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
    सत्य शिवम् में खो जाना
    देखो ................. sunder....

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  34. दिगंबर जी आज आपकी कवितायें देखी-पढ़ी शब्दों का चयन सटीक है लेकिन उन्हें बेतरतीब ना रखें ...इससे भावों की अभिव्यक्ति मैं खलल पड़ता है ...कविता अच्छी लिखी जाए इसके लिए एक ही तरिका है की उसे एक दो बार नही दस बार लिखें जब तक संतुष्टि ना हो ...हर बार नये-नये शब्द मन से कागज़ पर उतरते जायेंगे...बस सुझाव है ...उसे प्रकाशित करने की जल्दबाजी भी ना करें ....आपकी कविताओं मैं एक संभावना है ....इसलिए कहा

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  35. Vidhu जी
    आपके sujhaav मेरे sar maathe ........ मैं कोशिश karoonga poora poora paalan करने की.
    ये तो मेरा soubhagy है की आप जैसी sheersh rachnaakaar को मेरी कविता pasand aayee..........
    शुक्रिया

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  36. मेरी आगोश में सिमिट आना
    मेरा पूर्ण से सम्पूर्ण हो जाना
    सत्य शिवम् में खो जाना....
    bhaawpurn rachna ....thanks for posting...

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  37. लहरों के नर्तन में
    शामिल है शायद
    मेरी अनंत चाहत का जवाब

    हर बार की तरह एक बेहतरीन रचना ......!!

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  38. नासवा जी ,
    मैं आप का आभारी हूँ जो कबीरा की झोपडी पर आये और इस अकिंचन के पास उपलब्ध रुखा-सूखा स्वीकार कर और उसकी प्रशंसा का आभारी हूँ ,|

    बहुत भाव -पूर्ण रचना अच्छी लगीं

    आप की प्रेरणा
    आप को सादर समर्पित :---

    जैसे सहयात्री हो नीले सागर का ,
    कोसों कोस साथ चले ये रेत-समुन्दर भी ,
    ........
    ..........
    ..........
    ...........
    ऐसे ही क्षण इन्द्रधनुषी रंग बिखर जातें है ,
    पर प्यास अनन्त अतः ये मिलन पुनः
    दोहराए जाते हैं||

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  39. Alagse kya kahun??In sabhee ke saath shaamil hun..!

    http://shamasansmaran.blogspot.com

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  40. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...... दिगंबर जी, आप ऐसे ही लिखते रहें....यही हमारी कामना है.

    जवाब देंहटाएं
  41. कुछ रचनायें ऐसी होती है, जिनपर टिपण्णी करना बे-मानी हो जाता है, क्योंकि शब्द अपना अर्थ खो देते हैं...
    आपकी इस रचना के लिए मेरे ह्रदय में कुछ ऐसे ही उदगार हुए है....

    जवाब देंहटाएं
  42. कुछ रचनायें ऐसी होती है, जिनपर टिपण्णी करना बे-मानी हो जाता है, क्योंकि शब्द अपना अर्थ खो देते हैं...
    आपकी इस रचना के लिए मेरे ह्रदय में कुछ ऐसे ही उदगार हुए है....

    जवाब देंहटाएं

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