स्वप्न मेरे: अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

बुधवार, 16 सितंबर 2009

अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा

गोलियों से बात होती है जहां दिन भर
मैं तो क्या मेरा वहां साया न जाएगा

फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

बेरुखी से आज हमको देख न साकी
उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा

65 टिप्‍पणियां:

  1. आह-आह ! बहुत देर के बाद कुछ पढ़कर दिल बहुत खुश हुआ, बधाई नासवा साहब एक " और " बढिया रचना के लिए !

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  2. गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा

    वाह बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है ......

    फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

    क्या बात है .......बिल्कुल सही.....

    सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    यह भी सही कहा आपने,ऐसे लोगो को स्वयम ब्राम्हा भी नही जगा सकते.........सुन्दर


    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा

    गज़ब का तेवर है इन पंक्तियो मे ........वाह वाह वाह ................

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  3. गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा


    यह शेर मुझे इस ग़ज़ल का सिरमौर लगा.....बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हमेशा की तरह.....
    बधाई.

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  4. सुन्दर भाव लिये सुन्दर सी रचना ।

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  5. na bhi gana chaho kayee cheeze khud b khud gayee jati hai..or ansuo pe kiska bas chala hai...बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा ....ye sabse achha laga....har kadam pe udhar mudke dekha unki mahfil se hum utth to aaye....

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  6. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

    सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा ।।

    वाह्! हमेशा की तरह ही आज भी एक लाजवाब गजल पेश की आपने.....हर शेर उम्दा!!
    बधाई!!

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  7. गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा .......
    bhaawpurn rachna .......

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  8. एक और बेहतरीन ग़ज़ल . जागती आँखों से स्वप्न देखने का परिणाम है शायद

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  9. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा


    सुन्दर भाव, सुन्दर रचना

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  10. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा.....................सीधे ..............बात समझ में आ गयी जी .....................ऐसी बातें आप थोड़ा जल्दी-जल्दी किया करे .................उन्गने लगता हूँ .........अब सोया ना जायेगा ....................................

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  11. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएga

    bahut hi achchi lines hain....... laut kar na ayega.....

    bahut hi achchin....

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  12. wah , digambar blog ka naya praroop dil ko bhaya.

    गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा

    in panktiyon ne to hriday chura liya , behatareen rachna ke liye badhai.

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  13. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  14. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

    सकारत्मक सोच वाली सुन्दर पन्क्तियां।
    पूनम

    16 सितंबर, 2009 9:47 अपराह्न

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  15. बहुत ही प्यारी कविता ....
    कविता पढ़ कर दुष्यंत की याद ताजा हो गयी..बहुत बहुत आभार ..

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  16. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा
    बहुत खुब जी, बहुत सुंदर लगे आप के सारे शेर
    धन्यवाद

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  17. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा
    vah kya bat hai .
    lajvab .
    svami vivekannd ne kha tha mujhe bheed nhi chhiye mujhe aisekuch aise yuvachhiye jo apne lksh prapti tak anvart chlta rhe
    kuch isi trh ke bhav hai in pnktiyo me .
    abhar

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  18. बहुत प्यारी गजल है मुबारक हो

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  19. sach hi to likha ki
    गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा
    aansuo ka bhaar uthana..sachmuch kathin hota he aour virah me geet gaanaa usase jyada takleefdey/
    goliyo se ho yaa gaaliyo se ho,agar vo insaan he to esi jagah to dam hi ghutega/ jindagi ko svabhimaan se jeene ka naam he ki
    फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा
    aour is she'r me aapne kitana bhetreen likhaa he ki
    सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा
    jaage hue kumbhkarno ko jagaana badaa dushkar he/
    digambarji, khoobsoorat rachna/ me ye sab padhhkar prabhaavit hu ki kavita ho yaa geet ho yaa gazal..har vidha me aapake shbd dil ko chhute he/

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  20. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा .
    ati sundar rachana .

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  21. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

    सच्चे शेर हैं जी!
    बधाई हो!

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  22. Wah bhai sa'ab !

    main kya ,aur mera comment kya....
    ...kisi bhi comment se upar, kisi bhi samalochna se upar , roshan nazm ...

    "फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा "

    wow !! flawless....

    ab aur comment nahi kiya jaiyega

    office main login nahi kar pa raha hoon isliye open id se comment kar raha hoon !!

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  23. दिगम्बर भाई सही लिखा है आपने !

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  24. गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा
    yahan to jaise dil nikal kar rakh diya ho.

    गोलियों से बात होती है जहां दिन भर
    मैं तो क्या मेरा वहां साया न जाएगा

    फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

    सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    aur ye teen sher to jaise kah rahe hon ki hummein deshprem ka jazba koot-kootkar bhara hai.
    yahan gazal deshprem se labrej hai,vaise chahe jis bhi sandarbh mein dekhein.

    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा

    aur yahan phir ek aashiq ke dil ki baat jubaan par aa gayi hai.

    waah adbhut sangam hai ek hi gazal mein anek bhav hain.

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  25. sakaratmak bhaav हैं इस gazal में.
    हर sher बहुत khoob कहा है.

    यह ख़ास pasand आया-
    'गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा '

    -बहुत achchee prastuti!

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  26. बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना मुझे बेहद पसंद आया!

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  27. namaskar ji ,
    jaage huye soton ko jagaya na jayega ..
    waah waah ...
    renu..

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  28. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा


    वाह!लाजवाब रचना।

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  29. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    बहुत खूब कहा आपने सुन्दर लगी आपकी यह रचना ..

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  30. बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा
    .... bahut khoob !!!!!!

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  31. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    बहुत अच्छे लगे इस ग़ज़ल के शेर!

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  32. गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा

    बहुत ही बेहतरीन शब्‍द रचना, हर पंक्ति लाजवाब, आभार

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  33. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा



    बार-बार पढने को जी चाहता है .
    अपनी कमीज़ फटी ही सही , दागदार तो नहीं न ...
    क्या होगा पैबंद लगाकर, गर लगा भी लिए तो अपने से संभाला नहीं जायेगा ...
    इस रचना को गले लगाने का मन करता है .

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  34. गोलियों से बात होती है जहां दिन भर
    मैं तो क्या मेरा वहां साया न जाएगा
    फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

    दिगम्बर जी,
    एक बेहतरीन यथार्थवादी रचना---बहुत सरल शब्दों में लिखी हुयी।बधाई स्वीकारें।
    हेमन्त कुमार

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  35. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा
    kitni sahii baat kahi aapne..

    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा
    ek suroor bhari aatmasamman ki shiddat hai is sher mein
    bahut khoob

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  36. सुन्दर प्रस्तुति . धन्यवाद . ईद और नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाये

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  37. सुंदर मिस्‍रे हैं दिगम्बर जी...बहुत सुंदर!

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  38. गोलियों से बात होती है जहां दिन भर
    मैं तो क्या मेरा वहां साया न जाएगा

    बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई!!

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  39. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा
    बहुत खूब
    क्या भाव है बहुत सुन्दर

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  40. 'सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा'
    - वास्तव में तो आज जागे हुए सोतों को जगाने का ही प्रयास करना पड़ेगा.

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  41. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा
    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा
    बहुत खूब नासवा जी ! ये अशआर तो बहुत ही खूबसूरत बन पड़े है !

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  42. गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा
    बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आया जिस आस के साथ आया था वो पूरी हुई........ बढ़िया शब्द मोती

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  43. दिगम्बर जी,

    सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    अशआर फिर चिंता जगा गया कि कि :-

    हालातों में बदलाव अभी भी मुश्किल ही है
    कि जागते हुये सोने वाली की फौज बड़ी है

    बहुत ही अच्छी गज़ल।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  44. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा

    दिगंबर जी ... मन्त्रमुग्ध कर दिया आपने |

    विडम्बना ये है की आज ज्यादातर लोग जागे हुवे सोतों की श्रेणी मैं ही आते हैं | ...

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  45. गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा


    दिगंबर जी, बहुत सुंदर. धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  46. ग़ज़ल के सरे शेर बेहतरीन भावों से भरे है.
    हार्दिक बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  47. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा


    आपकी रचना पर वाह और आह दोनों आते है ! लाजवाब!

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  48. क्यों विरह के गीत गाये और क्यों आंसुओं का भार उठाये ,क्या इसीलिये आये है |गोलियों से भी और गालियों से भी जहाँ बाते होंगी वहा क्यों जाएँ ,अपन अच्छे अपना घर भला |हम तो फटी हुई कमीज़ ही पहनेगे क्योंकि अन्दर बनयान तो नई है |सवाल ये है कि सकी ने बेरुखी से देखा क्यों ,क्या फटी कमीज़ देख ली इसलिए या जेब में पर्स नहीं दिखा इसलिए
    |माफ़ कीजियेगा क्षमा प्रार्थी हूँ मैंने अच्छी ग़ज़ल का मजाक बनाया ,असल में मैं साकी के यहाँ से ही उठ कर आरहा था इसलिए गुस्ताखी हो गई

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  49. सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    wah...kitani sahi baat ki hai....jagte huye logon ko kaise jagaya jaye.....bahut sundar

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  50. सर जी /मुझे बेहद अफ़सोस है कि कल न जाने किस मूड में आपकी रचना पर बेहूदा टिप्पणी कर गया ,रात को बहुत पश्चाताप हुआ ,सुबह से अभी तक इन्टरनेट खुल नहीं पाया ,ग्रामीण क्षेत्र में यही समस्या होती है |कृपया मुझे मुआफ कीजियेगा

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  51. बृजमोहन जी ........
    आप मेरे ब्लॉग पर आये .... इसी बहाने पोरी ग़ज़ल को पढ़ा, ये मेरे लिए सोभाग्य की बात है ........ हास्य दृष्टि से आपने कुछ गलत नहीं लिखा ..... हर बात में हास्य ढूंढ़ना हर किसी के बस की बात नहीं है .........मुझे अच्छा लगा आपका लिखना ........

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  52. आउर मुझे बेहद अफसोस है कि मुझ से ये गज़ल कैसे छूट गयी। मैं तो बडी शिद्द्त से आपकी पोस्ट का इन्तज़ार करती हूँ ।च्लो देर आये दुरुस्त आये।
    सो रहे जो लोग वो तो जाग जायेंगे
    जागे हुवे सोतों को जगाया न जाएगा

    बेरुखी से आज हमको देख न साकी
    उठ गया तो लौट कर आया न जाएगा
    लाजवाब गज़ल है मगर उपर वाले शेर बहुत पसंद आये
    गीत कोई विरह का गाया न जाएगा
    इन आंसुओं का भार उठाया न जाएगा
    हम दुया करते हैं कि आपको कभी विरह का गीत ना गाना पडे और ना ही कभी आँसू आपकी आंम्ख मे आयें शुभकामनायें

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  53. बहुत ही सुंदर गजल कही है आपने। आज इसे दूसरी बार पढ रही हूं तो यह और अच्छी लगी।
    दुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    ( Treasurer-S. T. )

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  54. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा
    शानदार गजल का शानदार शेर

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  55. आंसू तो मन को हल्का कर देते हैं, मित्र! उनमें भार कहाँ.
    सुंदर रचना.

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  56. फट गयी कमीज तो भी पहन लेंगे हम
    अब टाट का पैबंद लगाया न जाएगा

    Wah wah kya baat kahi hai...bahut khoob.

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  57. racunovodsko svetovanje [url=http://www.vzajemniskladi.info]vzajemni skladi[/url]

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