स्वप्न मेरे: देश का बदला हुवा वातावरण है

सोमवार, 16 नवंबर 2009

देश का बदला हुवा वातावरण है

एक बार फिर से हिन्दी में ग़ज़ल कहने का प्रयास है ....गुरुदेव पंकज जी के आशीर्वाद ने इसको संवारा है .... आपके स्नेह, सुझाव और आशीर्वाद की आकांक्षा है .......

आज प्रतिदिन सत्य का होता हरण है
देश का बदला हुवा वातावरण है

काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है

बस गयी बारूद की खुशबू हवा में
इस तरह से सड़ चुका पर्यावरण है

भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है

हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
सांप से ज्यादा विषैला आचरण है

प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है

62 टिप्‍पणियां:

  1. "प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है"

    बेहतरीन पंक्तियाँ । हिन्दी में लिखी एक सुन्दर गज़ल ।

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  2. हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है

    बिल्कुल सही कहा आपने।

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  3. हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है

    प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है

    बहुत सुन्दर, नासवा साहब आज की सच्चाई !

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  4. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है

    हर दौर की जरूरत है , आज की तो खासतौर पर

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  5. दिगंबर जी, सत्य आपका कथन है
    सिर्फ समस्याओं का वरन है :)

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  6. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिस ने ढूँढा ताल छंद व्याकरण है|
    अच्छा प्रयोग |

    बहुत खुबसुरत और दिल को छूती हुई सच्ची गजल है |
    abhar

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  7. प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है.......
    amol shabd hain
    --dhanyabaad

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  8. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है ||

    बेहतरीन्! हर पंक्ति एक सच ब्यां करती हुई....
    आभार्!

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  9. हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है
    sachhci baat

    प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण
    Dil ke bahut kareeb lagti hain ye panktiyan...bahut achcha likhahai aapne.

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  10. वाह...दिगंबर जी वाह...ताज़े हवा के झोंके सी ये ग़ज़ल खुशनुमा एहसास करा गयी...एक नए काफिये को क्या खूब निभाया है आपने...बधाई...सारे शेर असरदार हैं...किसी एक को क्या अलग करूँ...वाह...
    नीरज

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  11. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है ||

    कितने सहजता से हर एक पहलू को छुआ है आपने, हर मन की सच्‍ची बात, भावमय प्रस्‍तुति, आभार ।

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  12. दिगंबर जी ,
    देश के मौजूदा वातावरण की झलक ग़ज़ल में मिल रही है .

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  13. बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है
    आपने काबिलेतारीफ बेहतरीन


    SANJAY KUMAR
    HARYANA
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  14. हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है
    ..........
    saanp bhi ab ghabrane lage hain insaani fitrat dekhkar

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  15. हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है
    बहुत सुन्दर
    भावपूर्ण और अर्थपरक

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  16. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है
    क्य पंक्तियां है,ग़ज़ल के कई शे’र दिल में घर कर गए। ग़ज़ल जीवन के यथार्थवादी क्रूर पाखण्ड का चेहरा सामने आता है। इस पर एक शे’र
    सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है
    मगर जब गुफ्तगू करता है तो चिनगारी निकलती है।

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  17. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिस ने ढूँढा ताल छंद व्याकरण है

    -वाह!!

    सुन्दर गज़ल कह गये.आनन्द आ गया.

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  18. प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण

    सभी शेर सच्चे अच्छे हैं ...विष में डूबा हुआ मन प्रेम की बाते न समझ सकता है न कर सकता है ..बहुत सुन्दर .यह शेर याद रहेगा ..शुक्रिया

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  19. आज कल के समाजिक हालात पर बहुत अच्छी गजल कही है.

    यह शेर बहुत उम्दा लगा-:

    'भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिस ने ढूँढा ताल छंद व्याकरण है'

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  20. हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है

    प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है

    bahut khoob,digambar ji, behad pasand aain ye panktiyan , badhaai.

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  21. प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अंतःकरण है
    --वाह! लाजवाब शेर।

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  22. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है

    प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है

    काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है
    पूरी गज़ल ही लाजवाब है मगर ये शेर बहुत अच्छे लगे आज के हालात की सटीक अभिव्यक्ति हैं इस गज़ल के लिये बधाई

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  23. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है....


    कड़वा है पर सच है

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  24. क्या तल्ख ग़जल कही है सर जी एक-एक शेर जैसे हकीकत की पुड़िया..कड़वी दवा के जैसे..

    बस गयी बारूद की खुशबू हवा में
    इस तरह से सड़ चुका पर्यावरण है

    सौ फ़ीसदी हकीकत..

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  25. बेहद खूबसूरत बात कही आपने ये सिर्फ़ ग़ज़ल नही है दिगंबर जी यह कुछ सीख है जिसे हमारे समाज के लोगो को समझना चाहिए हम लोगो के रहन-सहन,भाषा शैली,आचार विचार सब जगह इतने बदलाव हो रहे है की हम मनुष्य होकर भी कहलाने के अधिकार खोते जा रहे है...बेहतरीन ग़ज़ल आपकी..हर एक पंक्ति लाज़वाब..बहुत बहुत धन्यवाद

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  26. प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है

    वाह क्या बात है बहुत सुंदर जी

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  27. बस गयी बारूद की खुशबू हवा में
    इस तरह से सड़ चुका पर्यावरण है

    सरल सी प्यारी सी और सरोकारों वाली गजल..

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  28. नासवा जी यह बिलकुल सही मीटर है .. हिन्दी गज़ल की परम्परा को इसी तरह आगे बढ़ाएँ ।शुभकामनायें

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  29. " waaah ! bahut hi badhiya ..dil ko chu gaye her alfaz "

    " aapko dhero badhai sir "

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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  30. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है

    बस गयी बारूद की खुशबू हवा में
    इस तरह से सड़ चुका पर्यावरण है
    sach hai ki aaj baarood hi baarood hai

    भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है
    achchha kataksh hai

    हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है
    bahut sateek abhivyakti....
    sundar aur sateek vicharon ke liye badhai

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  31. bahut hi sundar prastuti..........har pankti jhakjhorti hai...........sochne ko majboor karti hai.

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  32. जिंदगी की तमाम विकृतियों को आपने बहुत सलीके से गजल में उतार दिया है। बधाई।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  33. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है

    Naswan bhai, gajal nahin mukammal bayan hai yah ...
    behtareen.... andar tak bhed gayee ...

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  34. कितनी करुणा है इस काश में !!!!! सफेदपोश काश इस शब्द का अर्थ समझ पाते!!!!!

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  35. आज प्रतिदिन सत्य का होता हरण है
    देश का बदला हुवा वातावरण है

    काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है

    बस गयी बारूद की खुशबू हवा में
    इस तरह से सड़ चुका पर्यावरण है

    भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है

    हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है

    प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है
    poori ki poori rachna bahut shaandaar hai main kisi ek line ke baare me soch hi nahi paayi ,aaj ke badalte daur ka chitran

    जवाब देंहटाएं
  36. हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है

    प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है

    हिन्दी में लिखी गयी एक बेहतरीन गज़ल्।
    पूनम

    जवाब देंहटाएं
  37. एक सार्थक गज़ल.
    बहुत धनयवाद आपका.


    - सुलभ

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  38. सांप से ज्यादा विषैला आचरण है... satik line.

    जवाब देंहटाएं
  39. बस गयी बारूद की खुशबू हवा में
    इस तरह से सड़ चुका पर्यावरण है

    भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है

    दिगम्बर जी,
    सुन्दर गज़ल की सुन्दर पंक्तियां-----
    हेमन्त कुमार

    जवाब देंहटाएं
  40. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है
    आज के दौर में ये पूरा सच तो नहीं है?
    वैसे, शुद्द हिन्दी का प्रयोग करके अपनी भावनाओं को प्रदर्शित किया है आपने
    बहुत अच्छा लगा..
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

    जवाब देंहटाएं
  41. क्या जबरदस्त ख्याल है दिगंबर जी... वाह.. और हम तो गुरुभाई निकले... :)
    जय हिंद...

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  42. प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है ....
    haan aajkal to aisa hi lagta hai .in chijon ko ham bhulne lage hai......

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  43. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है

    यथार्थ अभि‍व्‍यक्‍ि‍त।

    जवाब देंहटाएं
  44. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है
    ... behatreen !!!!

    जवाब देंहटाएं
  45. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है
    हैं मेरे भी मित्र क्या तुमको बताऊँ
    सांप से ज्यादा विषैला आचरण है...
    वाह बहुत सुंदर और शानदार रचना लिखा है आपने जो दिल को छू गई! देश में बदलते हुए वातावरण को आपने बखूबी प्रस्तुत किया है जो प्रशंग्सनीय है!

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  46. प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है
    Bahut achha laga. Yahi अन्तःकरण kaash logon ka shudh ho pata...
    Bhavpurn yathartha se bhari prastuti ke liye badhai.

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  47. छंद और व्याकरण के साथ ताल का मिलाप किया गया है ताल के साथ छंद और व्याकरण ढूडेगा तो भूखों मरेगा ही ताल के साथ लय ढूंढेगा तो कुछ कमा खायेगा । सांप जहरीला होता है मगर उसका आचरण कहां विषैला होता है ।खैर । हर शेर उत्तम है । सही है प्रेम के बोल तो अब सपने की बाते रह गई है ।जब पर्यावरण सड चुका है तो बारूद की खुशबू भी बदबू मे बदल जानी चाहिये

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  48. bahut hee sunder gazal hai aur isaka ek ek sher anmol hai .Tareef karana sooraj ko diya dikhana hoga.

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  49. किस एक पंगती को उधृत कर कहूँ की ये लाजवाब है ... मुझे तो हर छंद लाजवाब लग रहे हैं |

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  50. भूख से वो उम्र भर लड़ता रहेगा
    जिसने ढूंढा ताल छंद और व्‍याकरण है

    ये सबसे अच्छा लगा।

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  51. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है


    मेरे इस देश के सारे ही नेता साफ़ दीखते हैं,
    सुना है गंग का पानी अभी भी पाप धोता है,
    यहाँ हर एक मंज़र का विरोधाभास होता है,


    प्रेम के दो बोल हैं सपनों की बातें
    विष में डूबा आज हर अन्तःकरण है


    सच और एक कटु सच !
    और पर्यावरण वाला शे'र भी भाया.

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  52. काश मन से भी वो होते साफ़ सुथरे
    जिनके तन पर साफ़ सुथरा आवरण है
    बहुत खूब दिगंबर जी | पांच लिंक पर आज आपकी इस पूरानी रचना को पाकर अच्छा लगा | समसामयिक विषयों केलक्ष्य भेदती रचना हमेशा की तरह बहुत बढ़िया लगी | सादर

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है