स्वप्न मेरे: छुप गया जो चाँद

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

छुप गया जो चाँद

दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया

था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया

इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया

छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया

आप आ गए थे भूल से कभी इधर
वादियों में आपका जमाल रह गया

इस शेर में शुतुरगुर्बा का ऐब बन रहा था जिसका मुझे ज्ञान नहीं था ... गुरुदेव पंकज ने बहुत ही सहजता से इस दोष को दूर कर दिया ... पहले ये शेर इस प्रकार था ...
(आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
वादियों में आपका जमाल रह गया)
गुरुदेव का धन्यवाद ...

छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
आ न पाए वो शबे विसाल रह गया

89 टिप्‍पणियां:

  1. छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया

    वाह वाह वाह ...बहुत ही सुन्दर.

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  2. आदरणीय नासवा जी
    नमस्कार !
    आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया

    छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
    अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

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  3. बहुत बहुत ही सुन्दर
    यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!

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  4. था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया

    बहुत सुन्दर ।

    इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

    बहुत आशिकाना ।

    बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है भाई ।

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  5. आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया

    bahut khoob !

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  6. देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
    waah

    जवाब देंहटाएं
  7. दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
    मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया

    बहुत खूब बहुत बढ़िया ... बधाई

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  8. इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

    दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
    मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया bahut romantic...

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  9. छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया

    -खूबसूरत ग़ज़ल....

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  10. छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया
    ...वाह!

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  11. रूमानी खयालों को बहुत नाजुक तरीके से बाँधा है साहब :)
    लिखते रहिये ...

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  12. देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
    बहुत ही खुबसूरत गज़ल, दाद को मोहताज नहीं पर दिल ने कहा बहुत खूब .

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  13. इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

    वाह नासवा जी वाह, क्या रूमानी शेर है.

    खूबसूरत ग़ज़ल.

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  14. बेहद रोमांटिक ग़ज़ल... खास तौर पर यह शेर...
    " इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया "

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  15. था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया

    बहुत सुंदर ...... प्रेम के भावों में रंगी ग़ज़ल

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  16. दिगंबर जी ,

    बहुत खूबसूरत अशार ..बहुत अच्छे भाव ..से भरी ग़ज़ल लिखी है आप ..एक एक शेयर लाजबाब है खास कर यह शेयर बहुत पसंद आये

    था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया

    छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया

    बहुत बहुत मुबारक

    जवाब देंहटाएं
  17. badhiya ,
    था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया

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  18. छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया

    सकारात्मक सोच का प्रतिबिंब है ये शेर...
    बहुत खास.
    हर शेर बार बार पढ़ा जाने वाला है...

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  19. बहुत खूबसूरत गज़ल ..हर शेर अपने आप में गज़ब ढाता हुआ ...

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  20. इस मासूम और बेहद हसीन ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल करें बंदापरवर...हम तो आपकी कलम के मुरीद हो गए हैं .

    नीरज

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  21. था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया

    अच्छी ग़ज़ल का बहुत ख़ूबसूरत और नाज़ुक शेर

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  22. मुझे सबसे अच्छा यह लगा..
    छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया

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  23. आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया
    बहुत सुंदर गजल, धन्यवाद

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  24. छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया ,,,,
    यूँ तो गजल बेहतरीन रही.. लेकिन उक्त पंक्तियों ने अपने दिल को छू लिए....

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  25. सुंदर भावपूर्ण पोस्ट बधाई|
    आशा

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  26. daad dene padegi aapki post ki jai hoooooooooo

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  27. देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया.

    खूबसुरत गजलों का सुन्दर नजराना...

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  28. आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया
    बहुत ही रोमान्टिक ।

    जवाब देंहटाएं
  29. था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया

    बहुत खूब।

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  30. bahut khub... kya umda gazal hai... main humesha soncha karta hun ki main kab koi gazal likh sakunga... par mere paas shabdon kee bahut kami hai...

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  31. इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गय
    वाह नास्वा जी क्या बात है लाजवाब ।

    छ्त न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
    बहुत ही अच्छी लगी आपकी गज़ल। वैसे तो हमेशा ही होती है मगर इसमे कुछ खास बात जरूर है। बधाई।

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  32. छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया........

    बहुत खूब, खूबसूरत, बेमिसाल....
    दिल को छू लिया आपकी इस ग़ज़ल ने....

    जवाब देंहटाएं
  33. देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया

    क्या बात है...बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल....सारे के सारे शेर बेहतरीन हैं....

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  34. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  35. आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया

    छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया

    bahut sundar...rachna

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  36. सगुण ही याद आते है ! सभी याद नहीं आते ! बहुत ही सुन्दर भाव !

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  37. था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
    यह ग़ज़ल तरल संवेदनाओं के कारण आत्‍मीय लगती है|

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  38. देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया

    आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया

    गज़ल का हर शेर दिल मे उतर गया…………बेहद गज़ब के अन्दाज़ मे लिखी है ये गज़ल्।

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  39. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  40. वाह वाह वाह ...बहुत ही सुन्दर.

    कुँवर जी,

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  41. देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया

    छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
    waah ,bahut khoob man khush kar diya .

    जवाब देंहटाएं
  42. इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

    देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया


    बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  43. आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया

    छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया

    गज़ल का हर शेर बेमिसाल है...
    हार्दिक शुभकामनायें।

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  44. ....bahut achhi gajal!
    ye panktiya bahut kuch kah gayee
    देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया

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  45. छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया.

    गज़ल का हर शेर अनमोल ओर लाजवाब. भावनाओं को शब्दों का जामा पहनाया है.

    जवाब देंहटाएं
  46. छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया........

    बहुत ही ग़जब का शेर कहा है...बेहतरीन ग़ज़ल

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  47. इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

    गजब है यह रुमाल का रह जाना

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  48. छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया

    आसमां की छत...वाह क्या बात है, बहुत गहरी बात।
    लाजवाब ग़ज़ल है, नासवा जी।
    बहुत-बहुत बधाई।

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  49. अति उत्तम ,अति सुन्दर और ज्ञान वर्धक है आपका ब्लाग
    बस कमी यही रह गई की आप का ब्लॉग पे मैं पहले क्यों नहीं आया अपने बहुत सार्धक पोस्ट की है इस के लिए अप्प धन्यवाद् के अधिकारी है
    और ह़ा आपसे अनुरोध है की कभी हमारे जेसे ब्लागेर को भी अपने मतों और अपने विचारो से अवगत करवाए और आप मेरे ब्लाग के लिए अपना कीमती वक़त निकले
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

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  50. बहुत ही सुंदर गज़ल भाई दिगम्बर नासवा जी बधाई और शुभकामनाएं |

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  51. देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया !
    हर पंक्ति सुंदर बनी है !

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  52. छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
    वाह. यही है बड़ी सोच. बधाई स्वीकारें

    जवाब देंहटाएं
  53. बहुत भावपूर्ण पंक्तियाँ

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
    मिलिए हमारी गली के गधे से

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  54. बढ़िया प्रस्तुति नासवा जी ....शुभकामनायें !

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  55. छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया

    गजल की हर पंक्ति लाजवाब ... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  56. अच्छी ग़ज़ल......
    सारे शेर प्यारे बन पड़े हैं...... सुबीर साहब का धन्यवाद जो उनकी मार्फ़त इतनी अच्छी ग़ज़ल हमें नसीब हुयी...
    हमें ये शेर तो लाजवाब लगा.
    देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
    वाह वाह !!!!!!!!!

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  57. आदरणीय नासवा जी, नमस्कार !


    दिल को छू लिया आपकी इस बेमिसाल ग़ज़ल ने....

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  58. था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
    बहुत खूबसूरत एहसास की गजल

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  59. था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया ...

    बहुत खूब! हरेक शेर लाज़वाब...आभार

    जवाब देंहटाएं
  60. jitnee bhee tareef kee jae kum hee hai ise gazal kee.
    kal pada tha Shastree jee ke blog par best Gazalkar ka award aapko mil raha hai.bahut bahut badhaee banbhoo.
    aasheesh aur shubhkamnae.

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  61. वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
    आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
    बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
    अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
    आपका मित्र दिनेश पारीक

    जवाब देंहटाएं
  62. छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
    आ न पाए वो शबे विसाल रह गया.....



    bahut hi umda gajal

    जवाब देंहटाएं
  63. इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

    waah digambar ji! bahut khoob!

    जवाब देंहटाएं
  64. मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया


    मान गए उस्ताद

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  65. आप आ गए थे भूल से कभी इधर
    वादियों में आपका जमाल रह गया ...

    Very appealing lines !

    .

    जवाब देंहटाएं
  66. छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया


    वाह.....लाजवाब...बस लाजवाब...

    जवाब देंहटाएं
  67. इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
    फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया

    देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
    मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
    ....
    लाज़वाब ग़ज़ल ...आभार

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  68. aadarniy sir
    vilamb se post par aane ke liye bahut bahut xhma chahti hun.
    aapke gazal ki saari ki saari hi panktiyanbehtreen lagin .
    दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
    मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया

    था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
    bahut hi shandar tareeke se shabdo ko ek khoobsurat aayaam diya hai
    aapne .
    behatrren prastuti
    sadr dhanyvaad
    ponam

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  69. आपको और गुरदेव पंकज जी दोनों को बधाई..
    बहुत खूब लिखा है.

    मेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है.
    चलने की ख्वाहिश...

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  70. "छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
    आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया"

    "ऊपरवाला जब भी देता
    देता छप्पर फाड़ के...!"

    इस संसार रूपी घर की
    छत इतनी बड़ी है कि
    उसके बाद नीचेवाले की
    छत छोटी लगने लगती है..!!

    बहुत खूब.....

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  71. sabhi ne apko achhe comments kiye hain mere blog par bhi ek comment likh dijiye

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  72. दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
    मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया

    था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
    मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया'

    फिर भावनाओं में बहा ले गई ये शेरनिया हा हा हा शेर से ज्यादा तेजतर्रार तो शेरनियां ही होती है ना?हा हा हा जानते हैं कहाँ ले गए मुझे ये दो शे'र? मेरे कृष्ण के पास...उस कृष्णा के पास जो युगों पहले छोड़ गया था अपनी राधे को और.....उसकी बंद मुट्ठियों में गुलाल आज् भी है. 'उसे' मालूम भी है या नही,नही मालूम.पर...मेरी प्रतीक्षा खत्म नही हुई बाबु! कभी कभी बहुत भावभीना लिखते हो.

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है