स्वप्न मेरे: वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी

गुरुवार, 26 मई 2011

वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी

बातें पुरानी छेड़ना अच्छा नही होता
ज़ख़्मों की मिट्टी खोदना अच्छा नही होता

जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता

जो हो गया सो हो गया अब छोड़ दो उसको
गुज़रे हुवे पल सोचना अच्छा नही होता

ये रोशनी रफ़्तार तेज़ी चार दिन की है
बस दौड़ना ही दौड़ना अच्छा नही होता

बातें नसीहत हैं ज़माने में बुज़ुर्गों की
कहते में उनको रोकना अच्छा नही होता

कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता

वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

मैं वो करूँगा, ये करूँगा है मेरी मर्ज़ी
बच्चों का ऐसा बोलना अच्छा नही होता

कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता

79 टिप्‍पणियां:

  1. जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता
    ...bahut badhhiya shikshaprad rachana, jo kavya vidha mein prastut hai!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर नसीहत देती आपकी अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आप आये इसके लिए भी आपका शुक्रिया.अति सुन्दर टिपण्णी दे कर निहाल कर दिया है आपने मुझको.

    जवाब देंहटाएं
  3. ये रोशनी रफ़्तार तेज़ी चार दिन की है
    बस दौड़ना ही दौड़ना अच्छा नही होता ...
    आधुनिक जीवन को रेखांकित करती खूबसूरत शेर और पूरी ग़ज़ल मुकम्मल...

    जवाब देंहटाएं
  4. वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    -क्या बात है. बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  5. बातें नसीहत हैं ज़माने में बुज़ुर्गों की
    कहते में उनको रोकना अच्छा नही होता

    कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता

    bahut bahut achche bhaav hain is rachna me.awesome,great.aapko badhaai.

    जवाब देंहटाएं
  6. सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता ....
    अच्छी नसीहत है... वर्तमान में सब सच्चाई से ही तो मुहं मोड़ रहे हैं.....

    जवाब देंहटाएं
  7. माँ-बाप ने बच्चो की अंगुलिया पकड़ , उन्हें बड़ा किया और बड़ा होते ही बच्चे उन अंगुलियों को छोड़ दिए ..कितनी बिडम्बना है !

    जवाब देंहटाएं
  8. टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    ये रोशनी रफ़्तार तेज़ी चार दिन की है
    बस दौड़ना ही दौड़ना अच्छा नही होता
    बातें नसीहत हैं ज़माने में बुज़ुर्गों की
    कहते में उनको रोकना अच्छा नही होता..
    बहुत सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! लाजवाब और भावपूर्ण रचना ! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!

    जवाब देंहटाएं
  9. जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता --- बस ये पंक्तियाँ भा गई....

    जवाब देंहटाएं
  10. कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता

    bhali bhali si baat hai saab...
    badi badi see baat hai sahab

    जवाब देंहटाएं
  11. मैं वो करूँगा, ये करूँगा है मेरी मर्ज़ी
    बच्चों का ऐसा बोलना अच्छा नही होता per bolte hain aur her baar yah kahna galat hi nahi hota . kai baar bachche bhi sikha jate hain

    जवाब देंहटाएं
  12. कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता
    अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।

    जवाब देंहटाएं
  13. अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय नासवा जी
    नमस्कार !
    कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता
    वाह जी वाह, एक दम सही बात कह दी है आपने
    ..........दिल को छू लेने वाली ... बहुत अच्छी रचना !

    जवाब देंहटाएं
  15. पूरी रचना बहुत ही खूब.कुछ भी छोड़ दूं तो नाइंसाफी होगी.........

    जवाब देंहटाएं
  16. ये रोशनी रफ़्तार तेज़ी चार दिन की है
    बस दौड़ना ही दौड़ना अच्छा नही होता
    वाह नासवा जी, बिल्कुल सच्चा शेर कहा है...

    कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता
    और
    वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता
    ये दोनों शेर तो नसीहत हैं समाज के लिए...
    उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद.

    जवाब देंहटाएं
  17. वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    behtareen abhivykti.......
    aaj to aapne motee bikher diye .
    Aasheesh

    जवाब देंहटाएं
  18. क्या गहरी सम्वेदना प्रकट हुई है।

    वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    जवाब देंहटाएं
  19. ये रोशनी रफ़्तार तेज़ी चार दिन की है
    बस दौड़ना ही दौड़ना अच्छा नही होता .

    फिर भी सब एक अंधी दौड़ में शामिल हैं...
    सुन्दर रचना....

    जवाब देंहटाएं
  20. बातें पुरानी छेड़ना अच्छा नही होता
    ज़ख़्मों की मिट्टी खोदना अच्छा नही होता

    जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता

    नसीहत देती गज़ल का हर शेर लाजवाब है।

    जवाब देंहटाएं
  21. बातें नसीहत हैं ज़माने में बुज़ुर्गों की
    कहते में उनको रोकना अच्छा नही होता

    bahut shi kaha hai, sir...

    bujurgon se ek sath do cheeze milti hain..anubhav aur aashirwad jo har uplabdhi ke liye aawashyak hai....

    apko saadar pranam!!!

    जवाब देंहटाएं
  22. जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता

    बहुत सही कहा है आपने....

    जवाब देंहटाएं
  23. दिल को छू लेने वाली अनुपम प्रस्तुति| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  24. .सभी शेर लाजवाब हैं। बेहतरीन गज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  25. वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता


    बहुत खूबसूरत गज़ल ... जीवन को सुखमय बनाए का मन्त्र देती हुई :)

    जवाब देंहटाएं
  26. बिलकुल सही कह रहे हैं नासवा जी ! बढ़िया रचना , बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  27. नसीहत देती हुई सुदंर गजल। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  28. कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता
    Jitnee khoobsoorat ye panktiyan hain,pooree rachana bhee utnee hee khoobsoorat hai!

    जवाब देंहटाएं
  29. ये रोशनी रफ़्तार तेज़ी चार दिन की है
    बस दौड़ना ही दौड़ना अच्छा नही होता


    कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता
    waah bahut khoob likha hai ,har sher laazwaab

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत सही बात है सर बच्चों से इस तरह से नहीं बोलना चाहिये वरना बडे होकर कहेंगे मेरी मरजी। बुजुर्ग जब नसीहत देते है तो फौरन टोक देते है उन्हे बस आप अव रहने देा।दौडते ही रहोगे या अपने लिये कुछ वक्त भी निकालोगे। बीती ताहि विसार दे आगे की सुधि ले। धूप थी नसीव मे तो धूप में लिया है दम या छाव में सो गये । गडे मुर्दे न उखाडना ही अच्छा वरना बदबू देंगे। हां एक पद और रह गया मां बाप को छोड देना कितनी बार ठंडी सांसे भरु सरकार

    जवाब देंहटाएं
  31. बड़ी ही सशक्त लगी भावों की तरंग।

    जवाब देंहटाएं
  32. शेर दर शेर दिल में उतरती इस निहायत खूबसूरत ग़ज़ल के लिए सिर्फ एक ही लफ्ज़ ज़ेहन में आता है..."सुभान अल्लाह..." वाह दिगंबर जी वाह...दाद कबूल करें.

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  33. संवेदनशील कविता मन को छू गयी |बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  34. बातें पुरानी छेड़ना अच्छा नही होता
    ज़ख़्मों की मिट्टी खोदना अच्छा नही होता

    Beautiful !

    .

    जवाब देंहटाएं
  35. जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता

    बहुत खूब नासवा साहब!...आपका ग़ज़ल कहने का अंदाज़ ही अलग है. गंगा-जमुनी संस्कृति की लहरों की तरह अपनी रवानी में आकार ग्रहण करते... बोलचाल की ज़ुबान में....हमारी जीवन शैली को अभिव्यक्त करते..

    ----देवेन्द्र गौतम

    जवाब देंहटाएं
  36. बातें नसीहत हैं ज़माने में बुज़ुर्गों की
    कहते में उनको रोकना अच्छा नही होता

    कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता
    बहुत खूब.....

    जवाब देंहटाएं
  37. वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    वाह क्या बात है ... नसीहतों से भरी यह ग़ज़ल बहुत शानदार है !

    जवाब देंहटाएं
  38. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (28.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

    जवाब देंहटाएं
  39. कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता
    बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  40. एक से बढ़कर एक नग जुटाएं हैं आपने...

    सभी के सभी शेर वाह वाह करवा देने लायक...

    सदा की तरह लाजवाब रचना...

    जवाब देंहटाएं
  41. जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुह मोड़ना अच्छा नहीं होता !
    बहुत सुंदर ........har pankti hakigat hai....

    जवाब देंहटाएं
  42. कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता

    वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    मैं वो करूँगा, ये करूँगा है मेरी मर्ज़ी
    बच्चों का ऐसा बोलना अच्छा नही होता
    .....bahut hi sundar dil chhu jaane wali panktiyan...aabhar

    जवाब देंहटाएं
  43. लाजवाब ....आपने तो कुछ भी कहने लायक नहीं छोड़ा. हर बात जैसे दिल को छलनी कर गयी. जिंदगी का एक एक पल कितने सलीके से संजोया है और देखा है आपने
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  44. वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    जीवन के वास्तव को कुरेदती पंक्तियाँ है. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  45. कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता

    ....बहुत प्रेरक और सार्थक सन्देश देती प्रस्तुति..बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..

    जवाब देंहटाएं
  46. सुन्दर दोहे- सन्देश परक -निम्न पंक्ति बहुत प्यारी लगी -माँ बाप को दिल से लगाये रखने की जरुरत है उनकी बातें काटना टोकना ठीक नहीं


    वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    शुक्ल भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  47. बातें नसीहत हैं ज़माने में बुज़ुर्गों की
    कहते में उनको रोकना अच्छा नही होता


    वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    Bahut sunder panktiyan..... prabhavit karati prastuti...

    जवाब देंहटाएं
  48. बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत अनमोल समझाईशें । आभार सहित...

    जवाब देंहटाएं
  49. जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता


    हर शेर बहुत सुंदर तरीके से कहा गया है ...किस किस की तारीफ करूँ ...आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  50. जो है उसे स्वीकार कर लो ख्वाब मत देखो
    सच्चाई से मुँह मोड़ना अच्छा नही होता.
    जो हो गया सो हो गया अब छोड़ दो उसको
    गुज़रे हुवे पल सोचना अच्छा नही होता.


    बहुत ही सुन्दर शेर...
    आपके ग़ज़ल कहने का अंदाज़ लाजवाब है..

    जवाब देंहटाएं
  51. आपके खुबसूरत जज्बात प्रभावी है ..मानाने योग्य ..निराला अंदाज़

    जवाब देंहटाएं
  52. कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता

    - वाह !

    जवाब देंहटाएं
  53. '
    कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता 'achha sher hai

    जवाब देंहटाएं
  54. कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता

    बहुत सटीक, सार्थक और प्यारा शेर है.

    जवाब देंहटाएं
  55. बातें नसीहत हैं ज़माने में बुज़ुर्गों की
    कहते में उनको रोकना अच्छा नही होता

    कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता

    ग़ज़ल का हर एक शेर एक सार्थक संदेश देता हुआ।
    बहुत बढ़िया रचना।

    जवाब देंहटाएं
  56. वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    वाह ...बहुत ही अच्‍छा लिखा है ... ।

    जवाब देंहटाएं
  57. कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता

    दिगंबर भाई, बहुत खूब| आज के दौर में इन बातों का महत्व और भी बढ़ जाता है| ये अनमोल ग़ज़ल है|

    जवाब देंहटाएं
  58. every single word was sweet and pleasant...
    I'd really wish every single person can think that way than we don't need place like OLD AGE homes any more.

    We should always respect elders !!!!

    जवाब देंहटाएं
  59. ग़ज़ल क्या नासवा साहब रोजमर्रा की बात कह दी .अपनों का यूं मुंह मोड़ना अच्छा नहीं होता .बधाई सशक्त ग़ज़ल के लिए .

    जवाब देंहटाएं
  60. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  61. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  62. वो हो गये बच्चों से पर माँ बाप हैं फिर भी
    हर बात पे यूँ टोकना अच्छा नही होता

    लाजवाब नासवा जी।

    जवाब देंहटाएं
  63. अच्छी नसीहते
    अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  64. हर शे'र बतलाता है इस 'शेर' के बारे में जो समझदार भी है और इतना भावुक भी.
    सार्थक,ज्ञानवर्धक मार्गदर्शन देता हर शे'र.
    वड्डे हो गए हो बाबु! हा हा हा बहुत खूब.
    वैसे ये इतनी दाद देने वाले सचमुच अच्छे बेते बहु हैं? यदि हाँ है तो फिर बुढापे से किसी को नही डरना चाहिए.

    जवाब देंहटाएं
  65. बहुत सशक्त गज़ल....हरेक शेर लाजवाब !!

    जवाब देंहटाएं
  66. ये रोशनी रफ़्तार तेज़ी चार दिन की है
    बस दौड़ना ही दौड़ना अच्छा नही होता

    बहुत ही सार्थक संदेश के साथ इस सुन्दर रचना के लिये आपका आभार नासवा जी ! यह निरर्थक दौड़ जिस दिन रुकेगी उस दिन शायद लोगों को अहसास हो जाये कि पीछे वे क्या क्या छोड़ते जा रहे थे ! उन छूटी हुई चीज़ों में उनके जन्मदाता माता-पिता भी होते हैं जिनकी कीमत बुढापे के कारण एक अनचाहे अवांछित सामान जैसी ही रह जाती है ! संवेदनशील रचना ! शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  67. कमज़ोर हैं तो क्या हुवा कुछ काम आएँगे
    माँ बाप को यूँ छोड़ना अच्छा नही होता

    नई पुरानी हलचल से एक बार फिर आपकी इस अनुपम पोस्ट पर.पढकर मन भरता ही नहीं.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.नई पोस्ट जारी की है.

    जवाब देंहटाएं
  68. कुछ फूल भी बच्चों की तरह मुस्कुराते हैं
    डाली से उनको तोड़ना अच्छा नही होता

    अमूल्य मोती..... सुन्दर गजल रुपी माला

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है