स्वप्न मेरे: कमबख्त यादें ...

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

कमबख्त यादें ...

कई बार
निकाल बाहर किया तेरी यादों को
पर पता नहीं
कौन सा रोशनदान खुला रह जाता है

सुबह की धूप के साथ
झाँकने लगती हो तुम कमरे के अंदर
हवा के ठन्डे झोंके के साथ
सिरहन की तरह दौड़ने लगती हो पूरे जिस्म में

चाय के हर घूँट के साथ
तेरा नशा बढ़ता जाता है

घर की तमाम सीडियों में बजने वाले गीत
तेरी यादों से अटे पड़े हैं
तेज़ संगीत के शोर में भी तुम
मेरे कानों में गुनगुनाने लगती हो

न चाहते हुवे भी एक ही सीडी बजाने लगता हूँ हर बार

तुम्हें याद है न वो गीत
अभी न जाओ छोड़कर .... के दिल अभी भरा नहीं ...

फिल्म हम दोनों ... देव आनंद और साधना ...
उलाहना देती रफ़ी की दिलकश आवाज़ ....

जाने कब नींद आ जाती है रोज की तरह

सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ...
हमेशा की तरह ...

75 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सर वाह....बहुत ही सुन्दर कविता...गहरे उतर गयी..

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  2. 'पर पता नहीं
    कौन सा रोशनदान खुला रह जाता है'
    प्यारे एहसासों की बात करती कविता की सबसे प्यारी पंक्ति...!

    जवाब देंहटाएं
  3. यादों का रोशनदान ही जो बंद नहीं होता .. सुन्दर और भावमयी रचना ..

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  4. शब्दों में सिमटे भावों के बेहतरीन फूलों ने यादों के गुलदस्ते को बहुत ही खूबसूरत बना दिया है !
    आभार !

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  5. 'पर पता नहीं
    कौन सा रोशनदान खुला रह जाता है'
    वाह ..बहुत खूब ।

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  6. बहुत खूब बहुत सुन्दर कोई रोशनदान हमेशा ही यादों का खुला रह जाता है ....

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  7. पर पता नहीं
    कौन सा रोशनदान खुला रह जाता है


    Bahut khub...
    bade apne se vichare lage....


    www.poeticprakash.com

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  8. कमाल की नज़्म है नासवा जी, बहुत गहराई लिए हुए.

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  9. कहाँ कहीं रुक पाती यादें,
    कहाँ छोड़कर जाती यादें।

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  10. वाह नासवा जी . सुन्दर प्रेममयी काविता .
    दिल तो चीज़ ही ऐसी है --कभी भरता ही नहीं .
    जाने कितनी यादें समेटे रहता है .

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  11. ऐसे व्यक्ति का रास्ता यदि बदला जाए,तो वह अध्यात्म के शीर्ष पर पहुंच सकता है।

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  12. बहुत सुन्दर रचना...यादों का रौशनदान... बहुत सुन्दर अहसास...

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  13. सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ...
    हमेशा की तरह ..

    बेहद ख़ूबसूरत कविता....

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  14. जाने कब नींद आ जाती है रोज की तरह

    सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ...
    हमेशा की तरह ...

    गजब का लिखे हैं सर!

    सादर

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  15. घर की तमाम सीडियों में बजने वाले गीत
    तेरी यादों से अटे पड़े हैं
    तेज़ संगीत के शोर में भी तुम
    मेरे कानों में गुनगुनाने लगती हो

    न चाहते हुवे भी एक ही सीडी बजाने लगता हूँ हर बार

    Waah !

    नासवा साहब, बुरा न माने तो आपकी इस बहुत सुन्दर कविता की शुरू की चंद लाईने कुछ परिवर्तन की गुंजाइश रखती है ! क्योंकि कविता का शुरुआती थीम यह है कि मैंने तो तुम्हारी यादों को कई बार दिल से या फिर घर से निकाल बाहर किया मगर कोई न कोई रोशन दान खुला रह जाता है और तुम्हारी यादें फिर से अन्दर आ जाती है ! नीचे ब्रेकेट में सुझाव यदि उचित लगे तो

    कई बार चाहा (कई बार )
    तेरी यादें निकाल बाहर करूं (निकाल बाहर किया तेरी यादों को )
    पर पता नहीं
    कौन सा रोशनदान खुला रह जाता है

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  16. यादों को शायद रोशनदान की भी जरुरत नहीं.कमबख्त कहाँ कहाँ से चली आती हैं.
    बहुत सुन्दर कविता.

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  17. अति सुन्दर |
    शुभकामनाएं ||

    dcgpthravikar.blogspot.com

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  18. सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ...
    हमेशा की तरह ...
    अहसासो के कम्बल मे ही तो
    उनका बसेरा है
    फिर कहो कैसे
    जुदा हुआ जा सकता है
    अहसास कब किसी
    याद के पिंजर मे कैद हुये हैं ………
    अहसास तो बस
    सांसों की सरगम पर
    धडकनो सा धड्कते हैं …………
    अब चाहे रौशनदान कोई
    कितना भी बंद कर ले
    क्या फ़र्क पडता है ………
    रूह मे पैबस्त अहसास कब जुदा हुये हैं

    अब इसके बाद और क्या कहूँ नासवा जी

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  19. एक तो याद और उसका रोशनदान से आना... बहुत बढ़िया...

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  20. "अहसासों का कम्बल लपेटे...."
    वाह! अलहदा ख्यालों से सजी, शादाब घांस सी मुलायम और सुबह की धुप सी गुनगुनी रचना है सर....
    सादर बधाई...

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  21. ये यादें ना होती तो ये सपने ना होते,ये सपने ना होते तो ये गीत भी ना होते,सर जी,आपकी भावभीनी प्रस्तुति ने कुछ और नज़्म ताज़ा कर दिये.सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  22. ये यादें ना होती तो ये सपने ना होते,ये सपने ना होते तो ये गीत भी ना होते,सर जी,आपकी भावभीनी प्रस्तुति ने कुछ और नज़्म ताज़ा कर दिये.सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  23. सुंदर कविता !!
    यादें होती ही हैं ऐसी

    जवाब देंहटाएं
  24. सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ...
    हमेशा की तरह ...
    वाह!!! बहुत ही सुंदर भावों से रची बेहद खूबसूरत भावम्यी रचना http://mhare-anubhav.blogspot.com/
    http://aapki-pasand.blogspot.com/2011/12/blog-post_13.html
    समय मिले कभी तो आयेगा मेरे दूसरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है

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  25. आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!

    जवाब देंहटाएं
  26. देवानंद को याद करने का यह तरीका पसंद आया।

    जवाब देंहटाएं
  27. स्मृतियाँ मार्ग तलाश ही लेती हैं.... बहुत बढ़िया लगी रचना

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  28. वाह क्या बात है खूबसूरत रचना ,

    जवाब देंहटाएं
  29. सुबह की धूप के साथ
    झाँकने लगती हो तुम कमरे के अंदर
    हवा के ठन्डे झोंके के साथ
    सिरहन की तरह दौड़ने लगती हो पूरे जिस्म में

    चाय के हर घूँट के साथ
    तेरा नशा बढ़ता जाता है
    kya nahin ho tum !

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  30. कई बार चाहा
    तेरी यादें निकाल बाहर करूं
    पर पता नहीं
    कौन सा रोशनदान खुला रह जाता है

    कोमल -कोमल प्यारा सा एहसास ..कुछ गुदगुदाता सा .....!!

    जवाब देंहटाएं
  31. सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ... क्या बात है...........खूबसूरत एहसास .

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  32. आहा...दिल के नरम अहसासों के साथ ...खूबसूरत प्रस्तुति

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  33. सुंदर...
    यादें... हीं तो बचे जीवन का सहारा हैं!
    अपना तो नासवा जी ...
    शुभकामनाएँ! आपको ...आपकी अच्छी यादों के
    लिए ....!

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  34. अहसासों का अलग करना इतना आसान है क्या ?

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  35. भाई दिगम्बर जी बहुत ही सुंदर कविता है |बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं |

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  36. बहुत ही अच्छी अविव्यक्ति...लीजिए इसी के साथ आपको फोल्लो भी कर लिया ताकि ये साथ हमेशा बना रहे.

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  37. पास हो तो दुःख दूर हो तो भी तकलीफ !
    उफ्फ ये याद भी ना ? इतनी आसानीसे भुलाया नहीं जाता यादों को
    सहेज कर रखे ! सुंदर है .....

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  38. pata hai yado ko ham hi apne ehsaso se zinda rakhte hain..to kaise band kar sakte hain un roshandano ko.

    sunder abhivyakti.

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  39. प्रेम की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति...वाह !!!

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  40. मानव मन की कोमल यादों को बख़ूबी शब्द दिये हैं आपने। बधाई।

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  41. सुन्‍दर रचना और साथ ही सांकेतिक रूप से देव साहब को श्रद्धांजलि भी दे दी है आपने।

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  42. यादों का सुन्दर गुलदस्ता..यादों से ही जीवन आगे बढ़ती है.. बहुत सुन्दर...

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  43. यादों में खो जाने के लिए प्रेरित करती हुई सुंदर कविता।

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  44. kisi achhi buri yaad ko bhulana aasan nahi.. .jab tab ye hamare saamne aa hi jaati hai...
    sundar jharokha prastut kar yaad ko jiwant bana diya aapne..
    aabhar!

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  45. हाँ....कमबख्त यादें....
    ना जीने देती हैं, ना मरने देती हैं
    पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर
    आना सुखद रहा....
    आभार
    joining ur blog...

    नाज़

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  46. प्रेम की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति| बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  47. कमबख्त यादें ...
    कई बार
    निकाल बाहर किया तेरी यादों को
    पर पता नहीं
    कौन सा रोशनदान खुला रह जाता है
    ehsaason ke samundar me gehre dubki lagvaati mohini rachnaa .

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  48. एहसासों के समुन्दर में अपने ही हमारे व्यतीत में गहरे डुबोती रचना .देव साहब का जाना हमारे अपने अतीत के नायक का हमारी अपनी अदा और हेयर स्टाइल की प्रेरणा का जाना है .हमारा हीरो -शून्य हो जाना है .

    जवाब देंहटाएं
  49. अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे,
    इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए!!

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  50. सुबह की धूप के साथ
    झाँकने लगती हो तुम कमरे के अंदर

    त्तब धूल के झिलमिल कणों में तुम्‍हारा
    अक्‍स झलक जाता है।
    बहुत अच्‍छी रचना।

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  51. चाय के हर घूँट के साथ
    तेरा नशा बढ़ता जाता है
    ....न चाहते हुवे भी एक ही सीडी बजाने लगता हूँ हर बार .....सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ...
    हमेशा की तरह ...सो जाता हूँ तेरे एहसास का कम्बल लपेटे ...
    हमेशा की तरह ...behtarin is rachna kee in panktiyon ne mujhe behad prafullit kiya...ahasaason ko jaagati ek shandaar rachna,,,sadar pranam ke sath

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  52. बढ़िया रचना ...अभिव्यक्ति को सुंदर रूप दिया है नासवा जी !
    शुभकामनायें आपको !

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  53. यादों और गीतों में रिश्ता गहरा है
    हर इक पृष्ठ पुराना अभी सुनहरा है
    रोशनदान से आना-जाना ही बेहतर
    इन राहों पर नहीं किसी का पहरा है.
    आस अधूरी,प्यास अधूरी रहने दो
    कौन मुसाफिर सारा जीवन ठहरा है.
    नहीं बहाना करो चिरागों, तारों का
    अभी न जाओ छोड़,राह में कोहरा है.
    (अधूरी आस छोड़कर, अधूरी प्यास छोड़कर,
    सितारे झिलमिला उठे, चराग जगमगा उठे)
    से साभार

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  54. पता नहीं कौन सा रोशन दान खुला रह जाता है...
    मेरे मन स्थिति के जैसे कविता... मेरे ही क्या अधिकांश के मन स्थिति के जैसी कविता...

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  55. न जाओ हमें छोड़कर....फिर भी वो चले जाते है,याद बहुत आते हैं !

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  56. "एहसासों का कम्बल" और "यादों के रौशनदान" ..... बहुत खूब !

    जवाब देंहटाएं
  57. यादों का रौशनदान यूँ ही खुला रहे..और हम भी मह्स्सोस करते रहे उससे आती गुनगुनी धूप को...:)

    जवाब देंहटाएं
  58. खूबसरत एहसास को बेहद खूबसूरती के साथ शब्दों में ढाला है.

    जवाब देंहटाएं
  59. अति सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  60. हमारा मुकम्मल वजूद यही तो है .

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है