स्वप्न मेरे: बता ... क्या करूं ...

बुधवार, 16 जनवरी 2013

बता ... क्या करूं ...


तूने मेरा हाथ पकड़ा 
मैं चलने लगा 
फिर चलता गया, चलता गया, चलता गया 

पता नही कब हाथ छूटा    

या मैंने छुड़ा लिया ... 

आँख खुली तो तन्हा सड़क पे हांफ रहा था 

अजनबी आँखों की चुभन 
घात लगाए खूनी पंजे 

जानता हूं इस सब से बचने का ढंग माँ 

तूने ही तो सिखाया था 
जीने का अंदाज़ 
हालात से जूझने का संकल्प 

इन सब से पार पा लूँगा 
मुश्किलें भी आसान कर लूँगा 

पर एक बार फिर से 
तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है 
बच्चा होने का मन कर रहा है 

बता क्या करूं ... 
   

71 टिप्‍पणियां:

  1. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है

    ....मन के अन्दर छुपे बच्चे की हर चाह कहाँ पूरी हो पाती है...बहुत भावपूर्ण रचना...

    जवाब देंहटाएं
  2. पुत्तर ! दायें हाथ से, ले पोती का साथ ।

    पकड़ाओ उँगली बड़ी, पकड़ो उसका हाथ ।

    पकड़ो उसका हाथ, अनोखा लगता है ना ।

    किसको पकड़े कौन, बोलिए मधुरिम बैना ।

    माँ का आशिर्वाद, यही तो माँ का उत्तर ।

    सदा रहे आबाद, हमारा प्यारा पुत्तर ।।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

    जवाब देंहटाएं
  4. मैं यहीं हूँ तेरे पास. कर आँखें बंद और ले हाथ में कलम, मुझे महसूस कर पाओगे.
    तुम्हारी
    माँ.

    जवाब देंहटाएं
  5. "पर एक बार फिर से तेरी उंगली पकडने का मन है "बहुत अच्छी भावात्मक अभिव्यक्ति |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. यूँ निराश नहीं होते.........माँ की ऊँगली तो सदा साथ है.....उसके दिए संस्कार उम्र भर राह दिखायेंगे ।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय दिगम्बर सर इन पंक्तियों ने आँखें नम कर दी. हार्दिक बधाई

    पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है

    बता क्या करूं ...

    जवाब देंहटाएं
  8. माँ का वो दुलार ही
    आज यादे बन कर रह गई ,,,उम्दा प्रस्तुति,,

    recent post: मातृभूमि,

    जवाब देंहटाएं
  9. माँ ... तो हर पल साथ है ... जब महसूस करेंगे तभी वो पास है ...
    भावमय करते शब्‍दों का संगम

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह ! माँ को याद करने का अनोखा अंदाज..

    जवाब देंहटाएं
  11. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है
    . यह माँ का अगाध प्यार ही तो है जो रह-रह कर याद आता है ..

    जवाब देंहटाएं
  12. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है

    बता क्या करूं ...
    sahi kaha hai aapne.

    जवाब देंहटाएं
  13. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है

    बता क्या करूं ...

    बहुत मुश्किल चाहत

    जवाब देंहटाएं

  14. हाँ फिर से दोहराता है व्यक्ति बचपन को लौट लौट के जीता है उस माँ को जो हर पल हिफाज़ती छाता ताने रहती ,हमें निर्द्वन्द्व रखती .,माँ के जाने के बाद इस देह लोक से परे .आभार आपकी सद्य टिप्पणियों का .

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही मार्मिक लिखा आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  16. माँ तेरे आँचल में आकाश ,तेरी आँखों में संसार ,ममता से तेरी ये धरती बंधी हैं।ऊँगली मैं तेरी थामे रहूंगा।प्राणों में मेरे तेरी ही शक्ति।तेरा ही जीवन हैं-मेरी नहीं माँ तेरी ही हैं - ये मेरी सी काया . हर बच्चे की जिजीविषा उसकी माँ हे। माँ कहा नहीं हैं।।एक बालक का आकाश ,उसका संसार उसकी माँ की ममता का ही तो विशाल विस्तार हैं। जैसे कोई राजा अंपनी प्रजा और अपने राज्य विस्तार के लिए तडपे ..बेटी और बेटे को माँ के आशीर्वाद ,प्यार और उसकी ममता के विस्तार के लिए तडपना चाहिए ही।किन्तु बालक को यह ज्ञात रहे उसकी जिजीविषा ही उसकी माता द्वारा प्रद्दत ममता का विस्तार संभव बनाएगी।।।।।अर्थात जीवन की ललक उतनी ही तीव्र रहे जितना तीव्र माँ का प्यार ....जिजीविषा उतनी ही विशाल बने जितना माँ का आँचल।।।

    जवाब देंहटाएं
  17. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है...ये तो हम सभी की चाहत है.जो मुश्किल है..

    जवाब देंहटाएं
  18. कहाँ उत्तर मिलते हैं ऐसे प्रश्नों के, मर्मस्पर्शी

    जवाब देंहटाएं
  19. मन माँ की ऊँगली में जाने कितने हल पाता है ........ चलना आ जाने से, एक बड़ा-छोटा घर होने से क्या ... माँ की गोद आकाश,धरती सब लगती है

    जवाब देंहटाएं
  20. तूने ही तो सिखाया था
    जीने का अंदाज़
    हालात से जूझने का संकल्प

    इन सब से पार पा लूँगा
    मुश्किलें भी आसान कर लूँगा

    बहुत सुन्दर.....!

    जवाब देंहटाएं
  21. कई बार इंसान के जीवन में ऐसे पल आते हैं जब वो र्सि‍फ अपनी मां की उंगली पकड़ना चाहता है....भावपूर्ण रचना

    जवाब देंहटाएं
  22. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

    जवाब देंहटाएं
  23. भावपूर्ण प्रस्तुति .कविता में मन के भीतर की टीस सुनायी देती है .
    .......
    उनकी उंगली पकडना ...ख्यालों में ही अब ये मुमकिन है.

    जवाब देंहटाएं
  24. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

    जवाब देंहटाएं
  25. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है

    बता क्या करूं ...
    marmik panktiyaan ...

    जवाब देंहटाएं
  26. अनूठी यादें ताजा हो गयी। बेहतरीन रचना।
    सादर
    मधुरेश

    जवाब देंहटाएं
  27. अब दूसरों को अपनी अँगुली का सहारा देने की बारी है !

    जवाब देंहटाएं

  28. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है
    बेहतरीन रचना।


    New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
    New post: कुछ पता नहीं !!!

    जवाब देंहटाएं
  29. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है

    बता क्या करूं ... काश इस बात का जवाब कोई दे पाता ...माता पिता को खोने का दुःख ....:(

    जवाब देंहटाएं
  30. माँ की दी हुई शिक्षा हमेशा साथ रहती है... और माँ की उंगली पकड़ने की ख्वाहिश.... बहुत मासूम ! जब भी हम ज़िंदगी के रास्तों में उलझते हैं... माँ ही याद आती है...
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .....आप भी पधारो आपका स्वागत है मेरा पता है ...http://pankajkrsah.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  32. bahut bahut..khoob.
    dil ki chhu gyi apki rachna,
    maa ke hath ka koi sani nhi..

    जवाब देंहटाएं
  33. मन को छूते और भिगोते भाव....

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  34. अति सुंदर कृति
    ---
    नवीनतम प्रविष्टी: गुलाबी कोंपलें

    जवाब देंहटाएं
  35. Maa jaisa duniya me koi nhi...
    sundar Rachna ke leye , Badhai
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_5971.html

    जवाब देंहटाएं
  36. "एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है"

    अंतस के कपाटों पर दस्तक दे गई

    जवाब देंहटाएं
  37. किसी अपने के चले जाने के बाद बहुत से प्रश्न मन में अधूरे ही रहते हैं ...अधूरे सपनों जैसे

    जवाब देंहटाएं
  38. पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है
    बच्चा होने का मन कर रहा है

    बता क्या करूं ...

    बहुत खुब....

    जवाब देंहटाएं
  39. कुछ भी हो हौसला तो बनाए रखना होगा आंटी!

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  40. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... बच्चा होने को चाहता है मन फिर से

    जवाब देंहटाएं
  41. माँ की ऊंगली थामे बच्चे को देखना कितना सुखद है.... और माँ कहीं भी क्यों न हो, बच्चे को यूँ ही हांफते कैसे छोड़ सकती है?

    जवाब देंहटाएं
  42. बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती सटीक अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  43. हाँ सालों साल पीछा कर्ट हैं माँ की यादें .शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .आज भी पीछा करती है वह जबकि उसने एक नवम्बर ,1997 को ही शरीर छोड़ महाप्रयाण किया था .हम अपने आप को वहीँ पाते हैं जहां थे उसके समक्ष .

    जवाब देंहटाएं
  44. काश वह उंगली फिर मिले ...!
    शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  45. बचपन कभी लौटकर नहीं आता ,,,,
    लेकिन जिन्दा रहता है हमारे अन्दर (अगर हम उसे ना मारे तो ),,,
    और माँ का साथ तो हमेशा ही अच्छा लगता है

    सुन्दर भावाबिव्यक्ति ..
    सादर .

    जवाब देंहटाएं
  46. माँ कभी दूर नहीं जाती, वो हमेशा हमारे लिए अपने एहसास छोड़ जाती है, वो किसी भी दुनिया में क्यूँ न हो हमेशा अपना आशीष देती रहती है !!

    New Post

    Gift- Every Second of My life.

    जवाब देंहटाएं
  47. माँ के सामीप्य का अहसास ही एक नयी उर्जा प्रदान करता है. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  48. माँ कितना सुकून देता है यह शब्द । माँ सी और कोई नही ।

    जवाब देंहटाएं
  49. तूने ही तो सिखाया था
    जीने का अंदाज़
    हालात से जूझने का संकल्प ...

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

    जवाब देंहटाएं
  50. तहे दिल से शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी के लिए

    जवाब देंहटाएं
  51. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...

    जवाब देंहटाएं
  52. भाई साहब !गृह मंत्री, भारत सरकार तो अब 'भारत धर्मी समाज 'को ही' कश्मीरी पंडित' बनाने पर आमादा है .आप भारत धर्मी समाज को पहले संकुचित अर्थों में 'हिन्दू' कहतें हैं फिर हिन्दू संगठन

    फिर

    आतंकवादियों का प्रशिक्षण स्थल . .पूर्व में उपाध्यक्ष कांग्रेस राहुल गांधी भी हिन्दू आतंकवाद को जिहादी आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक बतला चुके हैं .इन अभागे सेकुलरों को नहीं मालूम -जिहादी

    का धर्म क्या होता है .जिहादी इस्लाम की श्रेष्ठता के कायल हैं जो मुसलमान नहीं है इस्लाम को नहीं मानता वह काफिर है सर कलम कर दो उसका यही फरमान है इनका .फतुवा खोर नहीं हैं हिन्दू

    और वृहद् हिन्दू समाज बोले तो भारत धर्मी समाज .हम बिलकुल नहीं कहते मुस्लमान आतंकी हैं अलबत्ता जो भी आतंकी पकड़ा जाता है मुसलमान ही निकलता है .हिन्दू आतंक प्रोएक्टिव पालिसी

    नहीं हैं छिटपुट प्रतिक्रिया है मिस्टर टिंडे .

    वह वक्र मुखी भोपाली बाज़ीगर फिर बोला है कहता है मैं जो बात दस सालों से कह रहा हूँ ,गृह मंत्री आज कह रहें हैं .यही ढोंग है जयपुर चिंतन शिविर का .

    शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का

    जवाब देंहटाएं
  53. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  54. दिल की गहरायी से लिखी है इसी लिए तो दिल को छू रहे है हर शब्द

    शायद पहली बार आपके ब्लॉग में आया
    और तृप्त हो गया
    बहत खूब दिगम्बर जी ..

    जवाब देंहटाएं
  55. इन सब से पार पा लूँगा
    मुश्किलें भी आसान कर लूँगा

    पर एक बार फिर से
    तेरी ऊँगली पकड़ने का मन कर रहा है !

    मेरा भी मन कर रहा है आपकी कविता पढ़ कर !
    सुन्दर ....बहुत सुन्दर.....बहुत बहुत सुन्दर...

    जवाब देंहटाएं
  56. तूने ही तो सिखाया था
    जीने का अंदाज़
    हालात से जूझने का संकल्प
    nice lines.

    जवाब देंहटाएं
  57. माँ शब्द ही पढने को प्रेरित करता है... और सच ही तो है...
    तुम सा कोई पूज्य नहीं माँ
    तुम सब देवों से बढ़ कर हो माँ
    सादर...

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है