स्वप्न मेरे: साथ तेरा ...

बुधवार, 9 जनवरी 2013

साथ तेरा ...


होता तो मुझे था 
कुछ कुछ, हर बार    

कभी नाक बहती थी, कभी बुखार 
कभी भूत का डर तो कभी स्कूल की मार 
कभी नौकरी में समस्या 
कभी मासिक खर्च का भार 

मेरे किसी भी दुःख दर्द में 
तू तो हर वक़्त बस साथ होती थी 
सहलाती हुई 
दूर से मुस्कुराती हुई 

मन कहाँ मानता था 
तुझे कुछ हो भी सकता है 

गहरी खामोशी देख कर विश्वास न हुआ 
की तू इस दुनिया में नहीं है माँ 

हालांकि तेरे पास बैठे सब रो रहे थे   

आंसू तो शायद मेरे भी निकलने लगे थे 

पर एक मज़े की बात बताऊं    
इस बार भी दुःख मुझे ही हुवा    
और इस बार भी तू मेरे साथ ही थी 
दूर से मुस्कुराती हुई  

61 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ दुःख कभी कम नहीं होते.
    कुछ दर्द लाइलाज होते हैं....

    आपकी भावनाओं को समझ सकती हूँ..

    सादर
    अनु

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  2. duniya me Maa ke pyar se badhkar kuchh nhi ...sundar Rachna ke liye ..Badhai ..
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post.html

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  3. ये यादों के दरख्त अपनी छाया देते रहतें हैं ता - उम्र ,ये यादें माँ की होती हैं .और दरख़्त दरख़्त मेरे अन्दर .

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  4. सत्य को स्वीकार कीजिये, माँ हमेशा आपके साथ ही रहेगी, लेकिन वो आपको दुखी देखके कैसे मुस्कुराएगी भला, उनकी मुस्कराहट आपकी मुस्कान में है...

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  5. ऐसा ही यह साथ है, माँ का होता हाथ |
    दुःख में जो सहला गई, ले गोदी में माथ |
    ले गोदी में माथ, *आथ-आथी यह मेरी |
    दिखा रही सद-पाथ, दिवस या रात्रि घनेरी |
    तेरा ही देहांश, लगे दर्पण यह कैसा |
    हाड़-मांस एकांश, मातु मैं बिलकुल ऐसा ||
    *पूँजी होना

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  6. भावपूर्ण भावुक प्रस्तुति !
    दुःख तो शायद औरो को भी हुआ होगा
    मगर तू मेरा दुःख रोज की तरह
    उसी अंदाज में भांप गई
    जभी तो दूर से ही मुस्कुराती दिखी !

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  7. आपके इन शब्दों पर क्या कहूँ ..बस मौन है.

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  8. माँ की कमी केवल उसका बच्चा जान सकता है। उसके न होने का एहसास कितना भयावह हो सकता है केवल वही जान सकता है।

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  9. गहन दर्द से भरी भावनाओं की अभिव्यक्ति है ये पोस्ट ।

    वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आयें ।

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  10. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

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  11. तेरी यादों से सज़ाया है ये दिल का मेला
    भले ही समझे मुझे कोई, हूँ मैं अब "अकेला"

    माँ जी को नमन ...

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  12. बहुत खूब ..कुछ दुःख वाकई भुलाए नहीं भूलते ...वक़्त की मरहम भी काम नहीं करती उस पर ....सुन्दर रचना

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  13. बहुत गहरे भाव लिए रचना है |
    आशा

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  14. मृत्यु ही शाश्वत सत्य है .... इस सच को स्वीकारना पड़ता है ।

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  15. माँ का साया मेरे साथ-साथ चलता रहा ... हर बार की तरह मन को छूती पोस्‍ट

    सादर

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  16. माँ तो जहान होती है.. सब कुछ उसमें समां जाता है.. दुःख दर्द ख़ुशी हंसी.. अच्छी रचना..

    कुछ साल पहले एक लघु कथा लिखी थी कुछ मिलती जुलती... पढ़ें.. http://bitspratik.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html

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  17. हम क्या कहें.......
    वो रहेंगीं सदा आपके संग....
    ~सादर!!!

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  18. "भावपूर्ण" "भावुक" अब हम कहे कुछ कहते नही बन रहा खुद रोने का मन करने लगा हैँ जबकि मेरी माँ जिवित हैँ ।

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  19. अति गहन और मार्मिक, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  20. माँ होती ही है ऐसी । भावुक कर गई कविता ।

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  21. माँ के प्यार के आगे सब कुछ फीका है...
    गहरी भावनाएं लिए हृदयस्पर्शी रचना...

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  22. मेरे किसी भी दुःख दर्द में
    तू तो हर वक़्त बस साथ होती थी
    सहलाती हुई
    दूर से मुस्कुराती हुई

    भीग गया मन, मार्मिक रचना !

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  23. संध्या जी ने ठीक कहा है,,,
    सत्य को स्वीकार कीजिये,,,

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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  24. बहुत मर्मस्पर्शी लिखे हैं सर!

    सादर

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  25. पर एक मज़े की बात बताऊं
    इस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
    और इस बार भी तू मेरे साथ ही थी
    दूर से मुस्कुराती हुई ......... साथ का सुकून तो है न

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  26. शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .कृपया "विश्वास" कर लें .vishvas लिख कर शिफ्ट दबाएँ .डिक्शनरी खोलें कई ऑप्शन आयेंगें .विश्वास दबा दें .शुक्रिया .

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  27. मेरे किसी भी दुःख दर्द में
    तू तो हर वक़्त बस साथ होती थी
    सहलाती हुई
    दूर से मुस्कुराती हुई

    wah kya bat hai gahare bhavon se paripoorn rachana ...badhai .

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  28. मर्मस्पर्शी रचना.
    ......
    सत्य को स्वीकारने में वक्त लगेगा .

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  29. मां..मां तो होती हैं ऐसी है....सदा साथ देने वाली

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  30. बहुत गहन भाव लिए हृदयस्पर्शी रचना
    New post : दो शहीद

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  31. माँ...शब्द-भाव और सोच सब में हर वक्त साथ है

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  32. पर एक मज़े की बात बताऊं
    इस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
    और इस बार भी तू मेरे साथ ही थी
    दूर से मुस्कुराती हुई
    ...कभी दु:खी नहीं देखना चाहती माँ अपने बच्चों को तभी तो मुस्कुरा कर अपने साथ होने का अहसास कराती है हरपल

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  33. माँ का विछोह सचमुच मन को अंदर तक हिला जाता है. सुंदर कविता.

    लोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की शुभकामनायें.

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  34. पर एक मज़े की बात बताऊं
    इस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
    और इस बार भी तू मेरे साथ ही थी
    दूर से मुस्कुराती हुई

    ....अंतस को छूती बहुत मर्मस्पर्शी भावपूर्ण रचना...

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  35. बाऊ जी नमस्ते!
    मेरी माँ, आपकी माँ सहेली बन गयीं होंगी अब तक!

    --
    थर्टीन रेज़ोल्युशंस

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  36. स्वाभिमान बड़ा है वोट से .सरकार अपमान के साथ जी सकती है (भौंदू बच्चा है )लेकिन देश गुस्से में है .उसका स्वाभिमान बकाया है .हमारे मनीष तिवारी कहतें हैं -बड़ा अमानवीय व्यवहार है हरामी

    बच्चे का भौंदू को कभी भी मार जाता है .हम इसकी निंदा करते है .विदेश मंत्री कहतें हैं -हम बात ही तो कर सकते हैं और क्या कर सकतें हैं .हरामी बच्चा है ही हरामी .जारज संतान है हिन्दुस्तान की

    .इसके बाप का अता पता नहीं है।बेहतरीन तंज है वैसे भौंदू अब कह रहा है आगे से मेरे गाल पे मारेगा ,मैं झट दूसरा गाल भी आगे कर दूंगा . बापू ने हमें यही सिखाया है .मेघालय और त्रिपुरा त्रिपुरा

    के चुनाव नज़दीक है हरामी बच्चे के गाल पे लगा दिया तो मुसलमान नाराज़ हो जायेंगे .

    हैं तो ये असली मिसायल और बम लेकिन मुसलमान नाराज हो जायेंगे त्रिपुरा -मेघालय के .वोट बड़ा होता है देश के स्वाभिमान से .भारत धर्मी समाज के दो अदद सिरों से .

    आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .

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  37. कुछ दुःख कभी कम नहीं होते.
    कुछ दर्द लाइलाज होते हैं....
    मार्मिक चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  38. गहरी खामोशी देख कर विश्वास न हुआ
    की तू इस दुनिया में नहीं है माँ

    हालांकि तेरे पास बैठे सब रो रहे थे |
    बहुत ही सुन्दर भाव | पढ़ते ही गला रुध गया |मकर संक्रांति की शुभ कामनाएं |

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  39. मकर संक्रांति पर्व की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  40. अर्थ और विचार की सशक्त अभिव्यक्ति .सुन्दर भाव और संकल्पों की कविता .

    भाव को बाँध लेते हैं वे क्षण जब हम भावना में भी उनके करीब होते हैं .वो पल छिन फिर से प्रसवित होने लगते हैं .मकर संक्रांत (सकट ,)संक्रांति की मुबारकबाद .आपकी सद्य टिप्पणियों के लिए

    आभार .

    मुबारक मकर संक्रांति पर्व .

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  41. माँ हर पीड़ा में साथ होती है ...
    मार्मिक भाव ...

    मंगल पर्व मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
    सादर !

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  42. रेड राइस भी सरजी ,ब्राउन भी .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .

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  43. साथ तेरा—तू इस दुनिया में नही है मां----दूर से मुस्कुराती हुई---
    जिंदगी कैसी है पहेली----वजूदों के बुलबुले गुम हो जाते हैं आसमानों
    में---हम जो पीछे रह जाते हैं,फ़कत दो आंसुओं के काबिल.
    बस,जो मुट्ठी में है,कस कर बांधे रहिये,जी भर कर निहार लीजिये.

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  44. साथ तेरा—तू इस दुनिया में नही है मां----दूर से मुस्कुराती हुई---
    जिंदगी कैसी है पहेली----वजूदों के बुलबुले गुम हो जाते हैं आसमानों
    में---हम जो पीछे रह जाते हैं,फ़कत दो आंसुओं के काबिल.
    बस,जो मुट्ठी में है,कस कर बांधे रहिये,जी भर कर निहार लीजिये.

    जवाब देंहटाएं
  45. माँ साथ ही होती है,हमेशा हर दुःख दर्द ओढ़ कर मुस्कुराती हुई
    मार्मिक कविता

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है