स्वप्न मेरे: माँ ... एक रूप

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

माँ ... एक रूप


याद नहीं तेरे होते 
कभी ईश्वर से कुछ माँगा 

हालांकि ऐसा नहीं 
की ईश्वर में आस्था नहीं   
पर तेरे आँचल का विस्तार इतना ज्यादा था 
की उसके बाहर जाने की 
ज़रूरत नहीं पड़ी 

सब कहते हैं 
ईश्वर को तो किसी ने देखा नहीं 
माँ ईश्वर का रूप ही होती ही  

शायद पागल हैं 

मुझसे पूछो  

होती तो बस माँ ही है 
जो जीते जी ईश्वर होती है 
ओर जब नहीं होती 
ईश्वर के नाम से होती है  

76 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  2. बहुत ही सुन्दर उत्कृष्ट प्रस्तुति,माँ ईश्वर से कम थोड़े ही होती हैं.

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  3. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है .....इस से बड़ी बात और क्या हो सकती है ..सुन्दर रचना

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  4. माँ बाप हमेशा बच्चों के अन्दर जीवित रहते हैं.

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  5. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    निशब्द करती रचना

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  6. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है

    ...so touching

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  7. माँ तो माँ होती है पर सर्वाधिक निकट हम उसे ईश्वर के ही पाते हैं, तभी तो तुलना कर बैठते हैं।

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  8. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है
    बिल्‍कुल सच ...
    सादर

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  9. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है


    बेहतरीन ...

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  10. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है,

    अद्भुत भाव माँ के लिए


    Recent Post: कुछ तरस खाइये

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  11. माँ तो माँ ही होती है उसकी कोइ बाराबती नहीं कर सकता |उम्दा प्रस्तुति |
    आशा

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  12. ईश्वर को तो किसी ने देखा नहीं
    माँ ईश्वर का रूप ही होती ही.

    सच कहा आपने माँ साक्षात् ईश्वर का ही रूप है. सुंदर कविता सुंदर भाव.

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  13. माँ-----
    कब याद नहीं आती ?.....
    हर पल,हर दिन .....
    मेरे साथ रहती है .....
    मुझसे बातें करती है ....
    मुझे छोड कर कहीं नहीं जाती है ....

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  14. सब कहते हैं
    ईश्वर को तो किसी ने देखा नहीं
    माँ ईश्वर का रूप ही होती ही


    सुंदर भाव.

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  15. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    ...बिल्कुल सत्य और उत्कृष्ट भाव...बहुत सुन्दर

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  16. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है ,khuubsurat rachna

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  17. ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी...

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  18. उत्कृष्ट प्रस्तुति हर माने में .अर्थ और भाव में माँ के प्रति अनुराग में .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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  19. .बहुत सुन्दर भावनात्मक सराहनीय अभिव्यक्ति आभार .अरे भई मेरा पीछा छोडो आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

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  20. अद्भुत ... माँ भगवान का ही रूप लगती है

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  21. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    मैं ईश्वर को नहीं मानती, मेरे लिए मेरे माँ-पिता ईश्वर से कम नहीं हैं. वो जबसे इस दुनिया से गए हैं, ईश्वर बन गए हैं.

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  22. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    -क्या कहें...

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  23. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    बिल्कुल सच कहा आपने

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  24. एक मार्मिक रचना माँ तो वो है भगवान के बाद जो भी कुछ देती है वो माँ ही तो देती है सच में इस समाज का ये बहुत दुर्भाग्य की बात है की वो माँ को भी एक साधारण नारी और एक नोकरानी की तरह समझता है

    बहुत खूब जनाब
    मेरी नई रचना
    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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  25. मुझसे पूछो

    होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती . . .

    Sajjan jee,
    New Delhi-92.

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  26. सब कहते हैं
    ईश्वर को तो किसी ने देखा नहीं
    माँ ईश्वर का रूप ही होती ही

    Ekdam sahi kaha aapne. Maa ko naman, shat shat naman...

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  27. आदरणीय सर आपके ह्रदय की वेदना को मैं भली भाँती समझता हूँ. माँ शब्द ही ऐसा है कहीं भी सुनता हूँ पढ़ता हूँ आँखें नम हो जाती हैं. कुछ और नहीं कह सकूँगा सादर आभार

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  28. भावनाओं से सराबोर सुन्दर रचना।

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  29. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब,

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  30. दिनांक 28 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  31. ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान् की सूरत क्या होगी ..

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  32. माँ - पिता ही तो भगवन के रूप होते है !
    सुन्दर प्रस्तुति !
    आभार !

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  33. "माँ"...... पूरी सृष्टि ही इसमें समाई....
    बहुत सुंदर और सच्ची बात !
    ~सादर!!!

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  34. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    माँ का सटीक परिचय!

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  35. मुझसे पूछो

    होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    हृदय स्पर्शी

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  36. माँ के आगे सारे शब्द निर्थक हैं..!!!

    बहुत सुन्दर चित्रण..!!

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  37. मुझे पंजाबी कवि की कविता के कुछ भाव याद आ रहे हैं जिस में कवि ने मां के बारे में कहा था कि जड़ सूखने से बूटा सूख जाता है। पर मां रूपी पूटा तब सूखता है जब फल फूल पतियां सूख जाते हैं। यानी कि फल फूल पतियां उस के बच्चे हैं। मां तभी सूखती हैं जब उस के बच्चों पर संकट आता है। सुंदर भाव।

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  38. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...

    आप भी पधारें
    ये रिश्ते ...

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  39. माँ ही गंगा,माँ ही यमुना, माँ ही तीरथधाम
    और माँ कहीं भी .... कहीं भी हो
    उसका हाथ सर पे होता है
    वही मंदिर,वही मस्जिद,वही गुरुद्वारा
    वही गुरबानी
    वही विद्या वही शक्ति
    वही सपनों सी कहानी
    एक आँचल में
    वेद,ऋचाएं ..... सब होते हैं

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  40. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

    सत्य भी यदि छोटा बड़ा होता हो तो इन चार पंक्तियों का भाव संसार का सबसे बड़ा सत्य है।
    आपकी आस्था को नमन !

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  41. होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है
    ....मन की बात कह दी..बहुत सुन्दर ...!!!

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  42. आपकी टिपण्णी हमारी शान है .सार्थक भाव प्रबल रचना .

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  43. "होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है "......वाह ..बहुत सुंदर ...इन्हीं से ही ये पंक्तियाँ सृजित हुई हैं ....
    परिभाषा में माँ को ढालूं इतना तो सामर्थ्य नहीं
    जीवन-परिचय माँ से पाया ईश्वर से बड़ा तथ्य यही
    अपने ब्लॉग का पता भी छोड़ रही हूँ .......यदि पसंद आये तो join करियेगा ....मुझे आपको अपने ब्लॉग पर पा कर बहुत ख़ुशी होगी .
    http://shikhagupta83.blogspot.in/

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  44. बहुत ही सुन्दर उत्कृष्ट प्रस्तुति,

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  45. आपकी कविता आपकी रचना निर्झर टाइम्स पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें http://nirjhar-times.blogspot.com और अपने सुझाव दें।

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  46. माँ के लिए लिखा हर शब्द ईश्वर की अराधना है .....

    कोख का कर्ज कोई नहीं चुका सकता ....

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  47. सहमत हैं आपसे सर जी। कुछ कमेंट भी बेहद पसंद आए। आपकी रचना का तो कहना ही क्या?

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  48. मन को छू गयी यह कविता भी..
    माँ को अर्पित श्रद्धा सुमन की काव्यांजलि में एक पुष्प और जुड गया.

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  49. बहुत गहरे कहीं छू जाती है ये कविता और ये पंक्तियां ,
    होती तो बस माँ ही होती है जो जीते जी ईश्वर होती है

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  50. अनुभूत मनोभूमि को शब्द देती रचना हर व्यक्ति को माँ के रु ब रु लाके खड़ा कर देती है .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .



    मुझसे पूछो

    होती तो बस माँ ही है
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है

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  51. wah wah....excellent.
    जो जीते जी ईश्वर होती है
    ओर जब नहीं होती
    ईश्वर के नाम से होती है
    .
    .this is best line.

    जवाब देंहटाएं
  52. ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद लौटना ऐसा लगता है जैसे घर लौट आया/ मगर काफी सारे साथी इधर उधर खो चुका/ खेर… धीरे\ धीरे सबको एकत्र करूंगा /
    'माँ' ईश्वर से बाद कर होती है क्योंकि ईश्वर को पैदा करने वाली भी 'माँ' ही होती है/ आपकी रचना हमेशा से मार्मिक रही है/ और जब माँ जैसे संबंधो पर होती है तो दिल को छूती है / दिगंबर साहब ...यही एक मात्र शक्ति है हमारी जो 'माँ' के रूप में सदा हमारे साथ है /
    आपने मुझे याद रखा यह मेरा सौभाग्य है / अभी आपकी कई कई रचनाये पढ़ना है ..इसलिए थोड़े वक्त के बाद आपसे मुखातिब होउंगा ..पहले रचनाये पढ़ लू ..

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  53. सुधार-* 'माँ' ईश्वर से बड़कर होती है

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  54. शुक्रिया जी मेरी कविता को पसंद करने के लिए.
    आपकी ये कविता पढ़ी . माँ से बढ़कर कोई नहीं , इसलिए तो कहते है कि GOD can not be everywhere that's why he made Mothers.
    बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए

    विजय
    www.poemsofvijay.blogspot.in

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  55. सच कहा आपने ईश्वर ही माँ होती है माँ ही ईश्वर होता है |

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है