स्वप्न मेरे: घर की हर शै गीत उसी के गाती है ...

मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

घर की हर शै गीत उसी के गाती है ...


कई मित्रों का आग्रह था की गज़ल नहीं लिखी बहुत समय से ... इसलिए प्रस्तुत है एक गज़ल ... विषय तो वही है जिसकी स्मृति हमेशा मन में सहती है ... 

सुख दे कर वो दुःख सबके ले आती है
अम्मा चुपके से सबको सहलाती है

कर देती है अपने आँचल का साया 
तकलीफों की धूप घनी जब छाती है

अपना दुःख भी दुःख है, याद नहीं रखती 
सबके दुःख में यूं शामिल हो जाती है

पहले बापू की पत्नी, फिर मेरी माँ
अब वो बच्चों की दादी कहलाती है

सुख, दुःख, छाया, धूप यहीं है, स्वर्ग यहीं
घर की देहरी से कब बाहर जाती है

सूना सूना रहता है घर उसके बिन 
घर की हर शै गीत उसी के गाती है  

89 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar abhivyaktie- maa k prati prem aur uske samarpan k ehsaas ki!

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  2. बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
    पधारें "आँसुओं के मोती"

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  3. जो होकर भी नजर न आती
    दूर कहीं न जाती है...वह ही माँ कहलाती है

    भाव भीनी गजल..

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  4. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल सुन्दर भाव लिए,आभार.

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  5. मां पर केंद्रित गजल मां के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति है।

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  6. दिल को छु लेने वाली प्रस्तुति .... जैसे माँ सामने खड़ी हो गयी हो।

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  7. सूना सूना रहता है घर उसके बिन
    घर की हर शै गीत उसी के गाती है
    भावमय करते शब्‍द ....

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  8. अम्मा चुपके से सबको सहलाती है

    कर देती है अपने आँचल का साया
    तकलीफों की धूप घनी जब छाती है
    ye panktiyan bahut khoobsoorat ..

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  9. पहले बापू की पत्नी, फिर मेरी माँ
    अब वो बच्चों की दादी कहलाती है

    सुख, दुःख, छाया, धूप यहीं है, स्वर्ग यहीं
    घर की देहरी से कब बाहर जाती है
    वाह बहुत खूब .

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  10. अपना दुःख भी दुःख है, याद नहीं रखती
    सबके दुःख में यूं शामिल हो जाती है

    पहले बापू की पत्नी, फिर मेरी माँ
    अब वो बच्चों की दादी कहलाती है
    वाह, बहुत दिनों बाद की यह गजल वाकई ख़ूबसूरत है, नासवा साहब !

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  11. अपना दुःख भी दुःख है, याद नहीं रखती
    सबके दुःख में यूं शामिल हो जाती है

    पहले बापू की पत्नी, फिर मेरी माँ
    अब वो बच्चों की दादी कहलाती है
    वाह, बहुत दिनों बाद की यह गजल वाकई ख़ूबसूरत है, नासवा साहब !

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  12. पहले बापू की पत्नी, फिर मेरी माँ
    अब वो बच्चों की दादी कहलाती है

    वाह, बहुत दिनों बाद की यह गजल वाकई ख़ूबसूरत है, नासवा साहब !

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
    सूचनार्थ...सादर!

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  14. गहन अनुभूति
    सुंदर रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों

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  15. माँ के बारें में तो जितना लिखा जाए कम ही है .
    अच्छी रचना, लिखते रहिये ..

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  16. बहुत भावपूर्ण गजल
    "कर देती है अपने आँचल का साया
    तकलीफों की धुप घनी जब छाती है "
    आशा

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  17. कुछ भी दुख हो, रह रह कर वही याद आती है।

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  18. माँ की यादों पर बेहतरीन ग़ज़ल,आभार.

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  19. Amma chupke se sabako sahalati hain...Ma to ma hai,usaka sthan bhala kon le sakata hai.aapaki rahana man ko chhu gai,shubhkamnayen

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  20. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  21. Amma chupake se sabako sahlati hain, ma to ma hain koi unaka sthan nahi le sakata.man ko chhu gai aapaki yah behtarin rachana.subhkamnayen.

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  22. बहुत प्यारी ग़ज़ल....
    विषय भी इससे प्यारा हो नहीं सकता.

    सादर
    अनु

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  23. aaah ha...........kya bat hai sr waaaaaah waaaaah jitni tarif kru inti km hai waaaaah

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  24. स्वार्थ नही सन्देह नही ,बस प्यार भरा विश्वास
    झूठे चेहरों की दुनिया में है एक सच्चाई माँ ।

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  25. सूना सूना रहता है घर उसके बिन
    घर की हर शै गीत उसी के गाती है
    ..बहुत बढ़िया ... अपनेपन से भीगी सुन्दर प्रस्तुति ...

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  26. कर देती है अपने आँचल का साया
    तकलीफों की धूप घनी जब छाती है

    बहुत ही प्यारी सी ग़ज़ल..सच कहा भाव तो वही हैं, विधा कोई भी हो...इतने प्यार से याद करते हैं माँ को, मन भर आता है.

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  27. कर देती है अपने आँचल का साया
    तकलीफों की धूप घनी जब छाती है

    bahut sundar ...

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  28. बहुत सुंदर ग़ज़ल....!
    माँ होती ही ऐसी है...
    "एक आँसू भी मेरा जिससे टकराता है पहले..
    वो आँचल है तेरा... हर मुसीबत जो मेरी हर ले..."
    ~सादर!!!

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  29. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  30. बहुत ही सुंदर और गहन भाव लिये हुये.

    रामराम.

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  31. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210)

    पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
    सूचनार्थ...सादर!

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  32. बेहद प्रभावी...घर की हर शय गीत उसी के गाती है...कण कण में वह मुसकाती है|

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  33. उनकी उपस्थति हर रूप में बनी रहेगी ..... मन छू गयी रचना

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  34. माँ को हर जगह पाकर भी ढूंढती नज़रें... मन के गहन भाव लिए है ग़ज़ल.बहत उम्दा .

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  35. सुन्दर भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी. आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें दादा साहेब फाल्के और भारत रत्न :राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

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  36. गजल या कविता..ज्यादा समझ नहीं..पर भाव के साथ इतने प्यार से आप लिखते हैं कि पूरी पढ़े बिना नहीं रहा जाता...

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  37. माँ को इससे ज्यादह और कैसे परिभाषित कर सकते हैं ! बहुत ही सुंदर रचना ! अपनी माँ की यादें ताज़ा हो गयीं !

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  38. बहुत सुन्दर गजल नासवा जी,
    बड़े दिनों बाद पढने को मिली ...आभार !

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  39. अपना दुःख भी दुःख है, याद नहीं रखती
    सबके दुःख में यूं शामिल हो जाती है

    ग़ज़ल माँ को पास ले गयी. कुछ और नहीं कह सकता इस ग़ज़ल के बारे में .

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  40. बढ़िया है आदरणीय -
    शुभकामनायें-

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  41. ममतामयी गज़ल!!

    आकाश को कागज करूँ, सभी तरूवर को कलम, सभी सागर की रोशनाई करूँ फिर भी माँ की ममता कही न जाय!!

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  42. बहुत भावमयी ग़ज़ल...दिल को छू जाती है...

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  43. वाह क्या बात है! बहुत सुन्दर!

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  44. पहले बापू की पत्नी, फिर मेरी माँ
    अब वो बच्चों की दादी कहलाती है
    नारी तेरी बस यही कहानी.

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  45. वाह! बेहद उम्दा रचना |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  46. सूना सूना रहता है घर उसके बिन
    घर की हर शै गीत उसी के गाती है
    अम्म जब तब मन को यूं सहलाती है ....भाव शान्ति करती रचना .

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  47. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल नासवा साहेब,
    दो पंक्तियाँ मेरी तरफ से भी समर्पित हैं माँ के नाम :

    जाड़े में वो धुप सरीखी, गर्मी में है छाया सी
    पतझड़ में खुशबू बन वो, जीवन में समाती है
    'अदा'

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  48. इस स्वर्ग से वंचित होना बेहद दुखद है। सदा की तरह गहरे भाव लिए कविता

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  49. कितने रूप बदलती है जिंदगी , मगर माँ ही है , जो हमेशा माँ रहती है !
    सोचती हूँ अक्सर उन बदनसीबों को जिनकी माँ ऐसी नहीं होती !
    बहुत बढ़िया !

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  50. एक रचना मैंने लिखी थी -
    अंधियारी काली रातों में
    जैसे जलता एक दीया
    ऐसी थी मेरी अम्‍मा।

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  51. सूना सूना रहता है घर उसके बिन
    घर की हर शै गीत उसी के गाती है

    अभी हाल ही में फेस बुक में कहीं पढ़ा ''इंसान अपना पहला प्यार कभी नहीं भूलता फिर माँ का प्यार क्यों भूल जाता है ?'' पर आपके लिए ये बात लागु नहीं होती ..अपनी तमाम जिम्मेदारियों के बीच भी माँ को याद करना और उसे सम्मान देना बहुत बड़ी बात है ....
    बधाई ...!!

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  52. सच कहा आपने
    घर की हर शै गीत उसी के गाती है

    माँ की छाया जिस गजल में हो वो तो ऐसे ही बहुत सुंदर हो जाती है
    सादर आभार !

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  53. माँ बहुत से जीवन जीती है, बहुत भावप्रवण गज़ल

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  54. "घर की हर शै गीत उसी के गाती है"

    सादर

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  55. माँ तू बहुत याद ही आती है...
    ह्रदय स्पर्शी भाव ... शुभकामनायें

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  56. विचलित होता मीत मेरा मन ,

    माँ बन छाया चुपके से आ जाती है .

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  57. DIGAMBAR JI , SABHEE PANKTIYAAN
    BEHTREEN HAIN . MAA KO AAPNE KHOOB
    YAAD KIYAA HAI .

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  58. मन के उद्गारों की प्रभावी अभिव्यक्ति

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  59. यूरिक एसिड कम करने के लिए खुराक में प्रोटीन कम करें हरी तरकारी बढ़ा दें ,पनीर ,चीज़ ,नान वेज न लें .टमाटर ,पालक ,छाछ (दही,बटर )भी न लें .

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  60. अपनी उपलब्धि पर हम इतराते हैं,
    अम्मा बस चुपके-चुपके मुस्काती है!
    इस विषय पर आपने भी कई बार लिखा है और जब भी लिखा है, रुलाया है!!

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  61. सूना सूना रहता है घर उसके बिन
    घर की हर शै गीत उसी के गाती है.

    माँ आखिर माँ है. मार्मिक प्रस्तुति.

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  62. माँ तो बस....माँ है....
    सारी कायनात फीकी उससके आगे.....

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  63. क्या बात है सर जी.....!

    बहुत खूब!

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  64. कर देती है अपने आँचल का साया
    तकलीफों की धूप घनी जब छाती है||

    क्या खूब कहा है साहब.. ! ये छाँव तो वरदान है इंसान पर !

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  65. पढ़कर मुनव्वर राणा की याद आ गई। बेहतरीन, लाजवाब!!

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  66. बहुत बढ़िया.ह्रदय स्पर्शी भाव .सुन्दर प्रस्तुति..

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  67. बहुत बहुत भावपूर्ण एवं सुन्दर गजल .

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  68. अपना दुःख भी दुःख है, याद नहीं रखती
    सबके दुःख में यूं शामिल हो जाती है

    मन से उपजी हुई मार्मिक गज़ल.....

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  69. वाह..चारो के चारो पोस्ट बहुत सुन्दर हैं...माँ पर लिखे चारो पोस्ट !!

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है