स्वप्न मेरे: गड्ढे में ...

बुधवार, 2 नवंबर 2016

गड्ढे में ...

मौत ने कैसा रंग जमाया गड्ढे में
मिट्टी को मिट्टी से मिलाया गड्ढे में

नेकी कर गड्ढे में डालो अच्छा है
वर्ना जितना साथ निभाया गड्ढे में

पहले तो गज भर खोदो मिल जाता था
पानी के अब खूब रुलाया गड्ढे में

मेहनत से बिगड़ी बातें बन जाती हैं
मकड़ी ने है पाठ पढ़ाया गड्ढे में

ग्रहण लगा था बचपन में तब अब्बू ने
पानी भर के चाँद दिखाया गड्ढे में

जीवन भर का साथ मगर मौत आने पर
जल्दी जल्दी हमें सुलाया गड्ढे में

घर जाते तक दुनियादारी जाग गई
मिल के डाले फूल भुलाया गड्ढे में 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है