स्वप्न मेरे: सबको बच कर रहना है जय चन्दों से ...

बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

सबको बच कर रहना है जय चन्दों से ...


बस इतना कहना है देश के बन्दों से
सबको बच कर रहना है जय चन्दों से

राजनीति जो करते हैं बलिदानों पर
ढूंढ के उनको घर के बाहर कर देना
गद्दारों का साथ सदा जो देते हैं 
कान खोल कर मेरी बातें सुन लेना 
और नहीं कुछ और नहीं अब सहना है
सबको बच कर रहना है ...  

सीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
कफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए  
घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
नहीं जरूरी संग धार के बहना है
सबको बच कर रहना है ...
 
प्रेम, अहिंसा, ज्ञान हमारी पूँजी है
जो भी हमसे मांगोगे हम दे देंगे
मगर तोड़ने वालों इतना सुन लेना
अपने माथे का चंदन हम ले लेंगे
काश्मीर तो देश का सुन्दर गहना है
सबको बच कर रहना है ...

76 टिप्‍पणियां:

  1. देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत सुन्दर सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (21-02-2019) को "हिंदी साहित्य पर वज्रपात-शत-शत नमन" (चर्चा अंक-3254) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    देश के अमर शहीदों और हिन्दी साहित्य के महान आलोचक डॉ. नामवर सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. बस इतना कहना है देश के बन्दों से
    सबको बच कर रहना है जय चन्दों से.........लाजवाब.....जय हिन्द !

    जवाब देंहटाएं
  4. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 21 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1315 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति नमन - नामवर सिंह और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।

    जवाब देंहटाएं
  6. सीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
    कफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
    घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
    थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
    नहीं जरूरी संग धार के बहना है
    सबको बच कर रहना है ...बहुत ख़ूब आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. सबसे पहले घर के जयचंद को ही ठिकाने लगाना होगा
    बहुत अच्छी सामयिक रचना

    जवाब देंहटाएं
  8. जयचंदों से बचकर रहना ही होगा नहीं तो विनाश तय है। सही समय पर सही बात कहने और सुनने का मजा ही कुछ और है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी विरेंद्र जी सही कह रहे हैं आप ...
      बहुत आभार आपका ...

      हटाएं
  9. ऐसी देशभक्ति हर किसी के अंदर हो यही मेरी भी कामना है। आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  10. पहचानने की कोशिश करते भाव .. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  11. सीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
    कफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
    घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
    थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
    नहीं जरूरी संग धार के बहना है
    सबको बच कर रहना है ...
    सटीक एवं बहुत ही लाजवाब समसामयिक प्रस्तुति...
    देश के भीतर ही गद्दार छुपे हैं पहले इन्हीं को पहचानना होगा...

    जवाब देंहटाएं
  12. जी अब समय आ गया है ... अभी न जगे तो कब ...
    आभार आपका ...

    जवाब देंहटाएं
  13. राजनीति जो करते हैं बलिदानों पर
    ढूंढ के उनको घर के बाहर कर देना
    गद्दारों का साथ सदा जो देते हैं
    कान खोल कर मेरी बातें सुन लेना
    और नहीं कुछ और नहीं अब सहना है
    सबको बच कर रहना है ...

    नमन

    जवाब देंहटाएं
  14. देश के वर्तमान हालात को बखूबी व्यक्त करती हुई देशप्रेम से ओतप्रोत रचना.वाकई देश के भीतर ही जो दुश्मन छुपे हैं उन्हें पहचान कर सैनिकों का हौसला बढ़ाना हर नागरिक का कर्त्तव्य है.

    जवाब देंहटाएं
  15. वाह आदरणीय सर बहुत खूब कहा आपने
    लाजवाब रचना सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  16. सुंदर भावनाओं को समेटे कविता. ग़द्दारों के चेहरों से नकाब तो उतरेंगे.

    जवाब देंहटाएं
  17. देशभक्ति के भावनाओं से लबरेज़ रचना.

    जवाब देंहटाएं
  18. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  19. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  20. राजनीति जो करते हैं बलिदानों पर
    ढूंढ के उनको घर के बाहर कर देना
    गद्दारों का साथ सदा जो देते हैं
    कान खोल कर मेरी बातें सुन लेना
    और नहीं कुछ और नहीं अब सहना है
    सबको बच कर रहना है ... सेनाओं के पराक्रम पर न राजनीति होनी चाहिए और न सवाल उठने चाहिए ...लेकिन नेताओं की इज्जत ऐसे ही तो कम हुई है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सच कहा है आपने ... नेताओं ने साबित कर दिया है की वो देश का नहीं सोचते ...

      हटाएं
    2. सच कह रहे हैं आप योगी की ...
      आभार आपका

      हटाएं
  21. सीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
    कफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
    घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
    थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
    नहीं जरूरी संग धार के बहना है
    सबको बच कर रहना है .... बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  22. Nice information keep sharing with us. Please check out web developer also. I hope it will help you.

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है