बस इतना कहना है देश के बन्दों से
राजनीति जो करते हैं बलिदानों पर
ढूंढ के उनको घर के बाहर कर देना
गद्दारों का साथ सदा जो देते हैं
कान खोल कर मेरी बातें सुन लेना
और नहीं कुछ और नहीं अब सहना है
सबको बच कर रहना है ...
सीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
कफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
नहीं जरूरी संग धार के बहना है
सबको बच कर रहना है ...
प्रेम,
अहिंसा, ज्ञान हमारी पूँजी है
जो भी हमसे मांगोगे हम दे देंगे
मगर तोड़ने वालों इतना सुन लेना
अपने माथे का चंदन हम ले लेंगे
काश्मीर तो देश का सुन्दर गहना है
सबको बच कर रहना है ...
देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार मीना जी ...
हटाएंदेश प्रेम के भावों से परिपूर्ण बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
हटाएंआभार कैलाश जी ...
हटाएंदेश प्रेम से ओत प्रोत रचना 👌👌
हटाएंआभार आपका उर्मिला जी ...
हटाएंसटीक और सुन्दर।
जवाब देंहटाएंशुक्रीय सुशील जी ...
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (21-02-2019) को "हिंदी साहित्य पर वज्रपात-शत-शत नमन" (चर्चा अंक-3254) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
देश के अमर शहीदों और हिन्दी साहित्य के महान आलोचक डॉ. नामवर सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभार शास्त्री जी ...
हटाएंबस इतना कहना है देश के बन्दों से
जवाब देंहटाएंसबको बच कर रहना है जय चन्दों से.........लाजवाब.....जय हिन्द !
बहुत शुक्रिया रविन्द्र जी ... जय हिन्द
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 21 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1315 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत आभार आदरणीय ...
हटाएंआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति नमन - नामवर सिंह और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंआभार हर्ष जी ...
हटाएंसीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
जवाब देंहटाएंकफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
नहीं जरूरी संग धार के बहना है
सबको बच कर रहना है ...बहुत ख़ूब आदरणीय
सादर
आभार अनीता जी ...
हटाएंवाह!!बहुत खूब !!दिगंबर जी ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुभा जी ...
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत आभार
हटाएंवाह, अद्भुत रचना
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी
हटाएंसबसे पहले घर के जयचंद को ही ठिकाने लगाना होगा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक रचना
आभार आपका कविता जी ...
हटाएंजयचंदों से बचकर रहना ही होगा नहीं तो विनाश तय है। सही समय पर सही बात कहने और सुनने का मजा ही कुछ और है।
जवाब देंहटाएंजी विरेंद्र जी सही कह रहे हैं आप ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
ऐसी देशभक्ति हर किसी के अंदर हो यही मेरी भी कामना है। आपका आभार।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏
हटाएंपहचानने की कोशिश करते भाव .. बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंस्वागत है संजय जी ... आभार आपका ...
हटाएंसीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
जवाब देंहटाएंकफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
नहीं जरूरी संग धार के बहना है
सबको बच कर रहना है ...
सटीक एवं बहुत ही लाजवाब समसामयिक प्रस्तुति...
देश के भीतर ही गद्दार छुपे हैं पहले इन्हीं को पहचानना होगा...
सही कहा है आपने ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
जी अब समय आ गया है ... अभी न जगे तो कब ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
राजनीति जो करते हैं बलिदानों पर
जवाब देंहटाएंढूंढ के उनको घर के बाहर कर देना
गद्दारों का साथ सदा जो देते हैं
कान खोल कर मेरी बातें सुन लेना
और नहीं कुछ और नहीं अब सहना है
सबको बच कर रहना है ...
नमन
आभार ज़फ़र जी ...
हटाएंदेश के वर्तमान हालात को बखूबी व्यक्त करती हुई देशप्रेम से ओतप्रोत रचना.वाकई देश के भीतर ही जो दुश्मन छुपे हैं उन्हें पहचान कर सैनिकों का हौसला बढ़ाना हर नागरिक का कर्त्तव्य है.
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने ... आभार आपका ...
हटाएंवाह आदरणीय सर बहुत खूब कहा आपने
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना सादर नमन
आभार आपका ...
हटाएंसुंदर भावनाओं को समेटे कविता. ग़द्दारों के चेहरों से नकाब तो उतरेंगे.
जवाब देंहटाएंजी सही कह रहे हैं आप ...
हटाएंआभार आपका ...
देशभक्ति के भावनाओं से लबरेज़ रचना.
जवाब देंहटाएंआभार राकेश जी
हटाएंबहुत बढ़िया सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया ...
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी जरूर ...
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएंराजनीति जो करते हैं बलिदानों पर
जवाब देंहटाएंढूंढ के उनको घर के बाहर कर देना
गद्दारों का साथ सदा जो देते हैं
कान खोल कर मेरी बातें सुन लेना
और नहीं कुछ और नहीं अब सहना है
सबको बच कर रहना है ... सेनाओं के पराक्रम पर न राजनीति होनी चाहिए और न सवाल उठने चाहिए ...लेकिन नेताओं की इज्जत ऐसे ही तो कम हुई है
सच कहा है आपने ... नेताओं ने साबित कर दिया है की वो देश का नहीं सोचते ...
हटाएंसच कह रहे हैं आप योगी की ...
हटाएंआभार आपका
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवाह, वाह
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जय हिंद
बहुत आभार हिमकर जी ...
हटाएंसीमाओं पे देश की सैनिक डटे हुए
जवाब देंहटाएंकफ़न बाँध कर मुस्तैदी से खड़े हुए
घर के भीतर सजग रहे हम सब इतना
थर थर कांपे शत्रु सारे डरे हुए
नहीं जरूरी संग धार के बहना है
सबको बच कर रहना है .... बहुत सुंदर रचना
बहुत आभार आपका ...
हटाएंawesome sir keep it up iAMHJA
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
HindiPanda
शुक्रिया आपका
हटाएंthank for share with us
जवाब देंहटाएंsharing is caring
PKMKB
शुक्रिया जनाब
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