स्वप्न मेरे: खो कर ही इस जीवन में कुछ पाना है ...

मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019

खो कर ही इस जीवन में कुछ पाना है ...


मूल मन्त्र इस श्रृष्टि का ये जाना है
खो कर ही इस जीवन में कुछ पाना है

नव कोंपल उस पल पेड़ों पर आते हैं
पात पुरातन जड़ से जब झड़ जाते हैं    
जैविक घटकों में हैं ऐसे जीवाणू 
मिट कर खुद जो दो बन कर मुस्काते हैं
दंश नहीं मानो, खोना अवसर समझो
यही शाश्वत सत्य चिरंतन माना है
खो कर ही इस जीवन में ...

बचपन जाता है यौवन के उद्गम पर   
पुष्प नष्ट होता है फल के आगम पर  
छूटेंगे रिश्ते, नाते, संघी, साथी
तभी मिलेगा उच्च शिखर अपने दम पर
कुदरत भी बोले-बिन, बोले गहरा सच 
तम का मिट जाना ही सूरज आना है
खो कर ही इस जीवन में ...

कुछ रिश्ते टूटेंगे नए बनेंगे जब  
समय मात्र होगा बन्धन छूटेंगे जब  
खोना-पाना, मोह प्रेम दुःख का दर्पण    
सत्य सामने आएगा सोचेंगे जब 
दुनिया रैन-बसेरा, माया, लीला है
आना जिस पल जग में निश्चित जाना है 
खो कर ही इस जीवन में ...

50 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !बेहतरीन सृजन आदरणीय
    ज़िंदगी की समीक्षा यथार्थ में सिमटी जीवन के अनुभव से पगी एक बेहतरीन सृजन बन उभरी है लाज़वाब

    बचपन जाता है यौवन के उद्गम पर
    पुष्प नष्ट होता है फल के आगम पर
    छूटेंगे रिश्ते, नाते, संघी, साथी
    तभी मिलेगा उच्च शिखर अपने दम पर
    कुदरत भी बोले-बिन, बोले गहरा सच
    तम का मिट जाना ही सूरज आना है
    खो कर ही इस जीवन में ...वाह !

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-10-2019) को    "विजय का पर्व"   (चर्चा अंक- 3483)     पर भी होगी। --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --विजयादशमी कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जीवन की सच्चाई को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने, दिगम्बर भाई। दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना।

      हटाएं
  3. दंश नहीं मानो, खोना अवसर समझो
    यही शाश्वत सत्य चिरंतन माना है
    खो कर ही इस जीवन में ...
    बहुत सुन्दर शब्दों में शाश्वतता का संदेश देता अति उत्तम सृजन ।
    विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ नासवा जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार मीना जी ... आपको भी विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

      हटाएं
  4. कुछ देर तक याद रखना है
    कुछ देर में भूल भी जाना है

    लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भूलेंगे तभी दुबारा याद करेंगे ... आपको विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

      हटाएं
  5. बहुत सुंदर सार्थक और शाश्र्वत रचना ।

    प्रकृति का सच है आना और जाना आपने बहुत सुंदरता से उल्लेख किया , काव्यात्मक प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 08 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 9 अक्टूबर 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. कुछ रिश्ते टूटेंगे नए बनेंगे जब
    समय मात्र होगा बन्धन छूटेंगे जब
    खोना-पाना, मोह प्रेम दुःख का दर्पण
    सत्य सामने आएगा सोचेंगे जब
    दुनिया रैन-बसेरा, माया, लीला है
    आना जिस पल जग में निश्चित जाना है
    खो कर ही इस जीवन में ...
    जीवन का सारांश लिख डाला है आपने इन पंक्तियों में। विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार आपका ... आपको भी विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

      हटाएं
  9. जैविक घटकों में हैं ऐसे जीवाणू
    मिट कर खुद जो दो बन कर मुस्काते हैं
    दंश नहीं मानो, खोना अवसर समझो
    यही शाश्वत सत्य चिरंतन माना है

    बहुत सुंदर. नई आशाएँ जगाती और प्रेरक कविता.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी शुक्रिया .... आपको विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

      हटाएं
  10. वाह! शानदार पंक्तियाँ सर जी।

    जवाब देंहटाएं
  11. जीवन के सत्य की शानदार रचना

    जवाब देंहटाएं
  12. कुछ रिश्ते टूटेंगे नए बनेंगे जब
    समय मात्र होगा बन्धन छूटेंगे जब
    ...नि:शब्द कर दिया आपकी इस कविता ने

    जवाब देंहटाएं
  13. कुछ रिश्ते टूटेंगे नए बनेंगे जब
    समय मात्र होगा बन्धन छूटेंगे जब
    खोना-पाना, मोह प्रेम दुःख का दर्पण
    सत्य सामने आएगा सोचेंगे जब


    बेहतरीन गीत
    बधाई और शुभकामनाएं 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत आभार ... आपको भी विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

      हटाएं
  14. दुनिया रैन-बसेरा, माया, लीला है
    आना जिस पल जग में निश्चित जाना है

    जीवन का सारा सारांश समेटे हुए ...
    बहुत ही सुंदर.. रचना ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार आपका कामिनी जी ... आपको विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

      हटाएं
  15. दुनिया रैन-बसेरा, माया, लीला है
    आना जिस पल जग में निश्चित जाना है...वाह!ज़िन्दगी के सच का यहीं तराना है!!!

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत खूब सर ! हर एक पंक्ति मन पर गहरी छाप छोड़ती हुई, एक संग्रहणीय रचना, एक अनमोल कृति !!!

    जवाब देंहटाएं
  17. कुछ रिश्ते टूटेंगे नए बनेंगे जब
    समय मात्र होगा बन्धन छूटेंगे जब

    apki rchnaa hmeshaa aise hoti hain jo har koi apni neezi zindgi me rojmrraa mehsus kr rhaa hota he....

    sateek..sarthak aur sabse praabhshaali baat ..bhaasha shaili

    bahut bahut bdhaayi apko

    जवाब देंहटाएं
  18. यथार्थ को प्रगट करती हुई कविता। सचमुच जीवन दो दिन का मेला है।

    जवाब देंहटाएं
  19. नव निर्माण निरंतर प्रक्रिया है प्रकृति की
    बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  20. वाह! बढ़िया... सिखलाती समझाती रचना I जीवन से मिलवाती रचना I

    जवाब देंहटाएं
  21. एक जायेगा तो दूसरा आएगा.
    किसी का जाना नींव है आने वाले की.
    गहन अध्ययन का परिणाम, सुंदर रचना.
    मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है आपका 👉🏼 ख़ुदा से आगे 

    जवाब देंहटाएं
  22. दुनियाँ रैन बसेरा है, बहुत सुंदर, सादर

    जवाब देंहटाएं
  23. कुछ रिश्ते टूटेंगे नए बनेंगे जब
    समय मात्र होगा बन्धन छूटेंगे जब
    खोना-पाना, मोह प्रेम दुःख का दर्पण
    सत्य सामने आएगा सोचेंगे जब
    दुनिया रैन-बसेरा, माया, लीला है
    आना जिस पल जग में निश्चित जाना है
    खो कर ही इस जीवन में ...मन के कोने कोने को महका देते हैं आपके शब्द ! बहुत ही खूबसूरत शब्द पिरोये हैं आपने दिगंबर जी

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है