स्वप्न मेरे: उफ़ शराब का क्या होगा ...

सोमवार, 7 सितंबर 2020

उफ़ शराब का क्या होगा ...

सच के ख्वाब का क्या होगा
इन्कलाब का क्या होगा
 
आसमान जो ले आये  
आफताब का क्या होगा
 
तुम जो रात में निकले हो
माहताब का क्या होगा
 
इस निजाम में सब अंधे
इस किताब का क्या होगा
 
मौत द्वार पर आ बैठी
अब हिसाब का क्या होगा
 
साथ छोड़ दें गर कांटे 
फिर गुलाब का क्या होगा
 
है सरूर इन आँखों  में
उफ़ शराब का क्या होगा

24 टिप्‍पणियां:

  1. है सरूर इन आँखों में
    उफ़ शराब का क्या होगा

    कत्ल कर दिया :) लाजवाब।

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  2. "मौत द्वार पर आ बैठी
    अब हिसाब का क्या होगा"
    बहुत खूब,हमेशा की तरह लाज़बाब,सादर नमन आपको

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 08 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है............ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. इस निजाम में सब अंधे
    इस किताब का क्या होगा

    मौत द्वार पर आ बैठी
    अब हिसाब का क्या होगा

    सामयिक सटीक चित्रण

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-09-2020) को   "दास्तान ए लेखनी "   (चर्चा अंक-3819) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  6. इस निजाम में सब अंधे
    इस किताब का क्या होगा

    वाह!!!

    मौत द्वार पर आ बैठी
    अब हिसाब का क्या होगा

    बहुत ही लाजवाब सृजन हमेशा की तरह....।

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  7. वाह! लाजवाब नासवा जी हर शेर सीधा अंतर तक उतरता ।
    सहज सरल सटीक।

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  8. बहुत खूब

    इस निजाम में सब अंधे
    इस किताब का क्या होगा

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  9. आदरणीय दिगंबर नासवा जी, नमस्ते! बहुत सुंदर गजल, सुंदर शेर! क्या बात है:
    है सरूर इन आँखों में
    उफ़ शराब का क्या होगा। साधुवाद!
    मैंने आपका ब्लॉग अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग "marmagyanet.blogspot.com" अवश्य विजिट करें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं।
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    https://youtu.be/Q2FH1E7SLYc
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    सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ

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    उत्तर
    1. मैंने आपकेेकव‍िता संग्रह को पढ़ा है ''कौध''...जहां प्रकृति और पर्यावरण के सन्दर्भ - बूंदों की यात्रा से लेकर मैदानी इलाकों में नदी के प्रवाह के रूप में जल संचय और जल सिंचन करती हुयी बही जा रही है। बहुत खूूूब

      हटाएं
  10. गागर में सागर जैसी भावाभिव्यक्ति ..लाज़वाब ग़ज़ल ।

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  11. नमस्कार नासवा जी ...क्या खूब ल‍िखा है

    इस निजाम में सब अंधे
    इस किताब का क्या होगा

    मौत द्वार पर आ बैठी
    अब हिसाब का क्या होगा...बहुत खूब

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  12. नमस्कार भाई जी
    सच का बयान करती कमाल की ग़ज़ल
    वाह
    बधाई

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  13. बात तो सादा है लेकिन चौंका गई. ये चार पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं-

    साथ छोड़ दें गर कांटे
    फिर गुलाब का क्या होगा

    है सरूर इन आँखों में
    उफ़ शराब का क्या होगा

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  14. हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌺🙏
    कृपया मेरी इस लिंक पर पधार कर मुझे अनुगृहीत करें...

    http://ghazalyatra.blogspot.com/2020/09/2020.html?m=1

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  15. वही लहजा है आपके लफ़्जों में
    क्या मौज बहा दी है ...

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  16. साथ छोड़ दें गर कांटे
    फिर गुलाब का क्या होगा...क्या बात है !! जबरदस्त

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है