स्वप्न मेरे: उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना

सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना

ग़र निभाने की चले बात मना मत करना.
दिल के रिश्तों में कभी जोड़-घटा मत करना.
 
रात आएगी तो इनका ही सहारा होगा,
भूल से दिन में चराग़ों से दगा मत करना. 
 
माना वादी में अभी धूप की सरगोशी है,
तुम रज़ाई को मगर ख़ुद से जुदा मत करना.
 
कुछ गुनाहों का हमें हक़ मिला है कुदरत से,
बात अगर जान भी जाओ तो गिला मत करना.
 
दिल की बातों में कई राज़ छुपे होते हैं,
सुन के बातों को निगाहों से कहा मत करना.
 
है ये मुमकिन के सभी ख्वाब कभी हों पूरे ,
अपने सपनों को कभी खुद से फ़ना मत करना.
 
ज़िन्दगी अपनी लगा देते हैं जो शिद्दत से,
उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना. 

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब लिखा दिगंबर जी. ये पंक्तियाँ दिल बहुत करीब हैं-

    है ये मुमकिन के सभी ख्वाब कभी हों पूरे ,
    अपने सपनों को कभी खुद से फ़ना मत करना.

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  2. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (6-10-2020 ) को "उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना. "(चर्चा अंक - 3846) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  3. बहुत सुंदर शेर !!
    हमेशा से आपका लिखा बहुत सहज और approachable
    होता है।
    थैंक यू !

    Pls visit -
    https://turnslow.com/aasmaan-ki-aur-taakati-ladkiyaan-hindi-poems-by-anulata-raj-nair/

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  4. वाह ! दिल के रिश्ते हों या चिराग दोनों ही जीवन के पथ पर उजाला फैलाते हैं, हर पंक्ति जीवन की सच्चाई की उजागर करती हुई !

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  5. प्रेम, प्यार, वात्सल्य, त्याग, अनुभवों का जीता-जगता स्वरुप - बुजुर्ग

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  6. ज़िन्दगी अपनी लगा देते हैं जो शिद्दत से,
    उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना. ...लाजवाब !! 

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  7. मन को छू गया यह शेर ...
    ज़िन्दगी अपनी लगा देते हैं जो शिद्दत से,
    उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना.
    बहुत उम्दा और अर्थपूर्ण। बधाई।

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  8. है ये मुमकिन के सभी ख्वाब कभी हों पूरे ,
    अपने सपनों को कभी खुद से फ़ना मत करना.
    बेहतरीन सृजन ।

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  9. आ दिगंबर नासवा जी, आपके एक - एक शेर बहुत सुंदर बन पड़े हैं। यह शेर तो लाजवाब है:
    कुछ गुनाहों का हमें हक़ मिला है कुदरत से,
    बात अगर जान भी जाओ तो गिला मत करना."
    वाह! क्या बात है१--ब्रजेन्द्रनाथ

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  10. बेहतरीन सर सराहना से परे।
    सादर

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  11. रात आएगी तो इनका ही सहारा होगा,
    भूल से दिन में चराग़ों से दगा मत करना.
    वाह!!!!
    बहुत ही लाजवाब सृजन हमेशा की तरह...
    एक से बढ़कर एक शेर।

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  12. दिगंबर भाई को हमेशा पढ़ कर आनंद आता है वो लिखते ही सबसे जुदा हैं... जिंदाबाद इस ग़ज़ल के लिए

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  13. ज़िन्दगी अपनी लगा देते हैं जो शिद्दत से,
    उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना,,,,,,,जी सच है हमें हमेशा इन बातों का ध्यान रखना चाहिए बहुत सुंदर भावपूर्ण दिल को स्पर्श करती हुई रचना ।

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