स्वप्न मेरे: ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली

मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली

सागर की बाज़ुओं में उतरती हुई मिली.
तन्हा उदास शाम जो रूठी हुई मिली.
 
फिर से किसी की याद के लोबान जल उठे ,
बरसों पुरानी याद जो भूली हुई मिली.
 
बिखरा जो काँच काँच तेरा अक्स छा गया ,  
तस्वीर अपने हाथ जो टूटी हुई मिली.
 
कितने दिनों के बाद लगा लौटना है अब ,
बुग्नी में ज़िन्दगी जो खनकती हुई मिली.
 
सुनसान खूँटियों पे था कब्ज़ा कमीज़ का,
छज्जे पे तेरी शाल लटकती हुई मिली.
 
यादों के सिलसिले भी, परिन्दे भी उड़ गए ,
पेड़ों की सब्ज़ डाल जो सूखी हुई मिली.
 
ख्वाहिश जो गिर गई थी शिखर के करीब से ,      
सत्तर की उम्र में वो चिढ़ाती हुई मिली.
 
बिस्तर की हद, उदास रज़ाई की सिसकियाँ ,
सिगड़ी में एक रात सुलगती हुई मिली .
 
तितली ने जबसे इश्क़ चमेली पे लिख दिया ,
ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली.

27 टिप्‍पणियां:

  1. कितने दिनों के बाद लगा लौटना है अब ,
    बुग्नी में ज़िन्दगी जो खनकती हुई मिली.
    बहुत खूब !! हमेशा की तरह सराहना से परे लाज़वाब ग़ज़ल।

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  2. सुनसान खूँटियों पे था कब्ज़ा कमीज़ का,
    छज्जे पे तेरी शाल लटकती हुई मिली..बहुत ही खूबसूरत अहसासों से सराबोर ग़ज़ल..।

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  3. तितली ने जबसे इश्क़ चमेली पे लिख दिया ,
    ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली.
    बहुत खूब।

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  4. सुनसान खूँटियों पे था कब्ज़ा कमीज़ का,
    छज्जे पे तेरी शाल लटकती हुई मिली.
    वाह!!!!
    तितली ने जबसे इश्क़ चमेली पे लिख दिया ,
    ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली.
    सरल सहज शब्दों में हृदयस्पर्शी भाव समेटे कमाल की गजल.....एक से बढ़कर एक शेर
    वाह वाह...

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  5. यादों के सिलसिले भी, परिन्दे भी उड़ गए ,
    पेड़ों की सब्ज़ डाल जो सूखी हुई मिली.
    -----
    तितली ने जबसे इश्क़ चमेली पे लिख दिया ,
    ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली.

    वाह! बहुत खूब! दिल में उतर जाते हैं हर शब्द

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  6. तितली ने जबसे इश्क़ चमेली पे लिख दिया ,
    ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली.

    वाह !! बहुत खूब,लाजबाब सृजन,सादर नमन आपको

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  7. वाह. सभी शेर बहुत उम्दा. दाद स्वीकारें.

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  8. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 25-12-2020) को "पन्थ अनोखा बतलाया" (चर्चा अंक- 3926) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद.

    "मीना भारद्वाज"

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  9. ख्वाहिश जो गिर गई थी शिखर के करीब से ,
    सत्तर की उम्र में वो चिढ़ाती हुई मिली.
    हृदयस्पर्शी ग़ज़ल

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  11. दिल की गहराई से निकले जज्बातों को बयान करती उदास रंगों में रँगी सुंदर रचना

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  12. तितली ने जबसे इश्क़ चमेली पे लिख दिया ,
    ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली.

    -----------------------------
    बहुत खूब सर जी।

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  13. आ दिगंबर नासवा जी, बहुत सुंदर शेर लिखे गए है। हार्दिक साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ

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  14. वाह दिगंबर जी, ऐसी सुंदर ग़ज़लें कम ही लिखी जाती हैं. बिंबों के नए प्रयोग आए हैं इसमें. जितनी तारीफ़ की जाए कम पड़ेगी.

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  15. ग़ज़ब की ग़ज़ल। यह शेर ख़ास पसंद आया -
    सुनसान खूँटियों पे था कब्ज़ा कमीज़ का,
    छज्जे पे तेरी शाल लटकती हुई मिली.
    दाद स्वीकारें।

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  16. शानदार असरार हर शेर एहसास से लबरेज।
    उम्दा सृजन।

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  17. तितली ने जबसे इश्क़ चमेली पे लिख दिया ,
    ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली.
    लाजवाब पंक्तियाँ।

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  18. फिर से किसी की याद के लोबान जल उठे ,
    बरसों पुरानी याद जो भूली हुई मिली.,,,,,,,,,,निशब्द करती हुई लाईने,

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है