स्वप्न मेरे: आकाश में तारों का आज रात पिघलना ...

मंगलवार, 11 मई 2021

आकाश में तारों का आज रात पिघलना ...

जेबों में चराग़ों को अपने ले के निकलना.
मुमकिन है के थम जाए आज रात का ढलना.
 
है गाँव उदासी का आस-पास संभालना.
हो पास तेरे कह-कहों का शोर तो चलना.
 
मासूम पतंगों की ज़िन्दगी से न खेलो,
हर बार तो अच्छा नहीं मशाल का जलना.
 
कश्ती को चलाने में होंसला है ज़रूरी,
मंज़ूर नहीं हम को साहिलों पे फिसलना.
 
पतझड़ के हैं पत्ते न दर्द रोक सकोगे,
क़दमों को बचा कर ही रास्तों पे टहलना.
 
हर मोड़ पे आती हैं लौटने की सदाएँ,
रिश्तों को समझ कर ही अपने घर को बदलना.
 
आहों का असर था के कायनात की साज़िश,
आकाश में तारों का आज रात पिघलना. 

24 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत ही बेजोड़ सृजन 👍👌

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  2. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,दिगम्बर भाई।

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  3. हर मोड़ पे आती हैं लौटने की सदाएँ,
    रिश्तों को समझ कर ही अपने घर को बदलना.
    खूबसूरत ग़ज़ल ...… हर शेर गज़ब

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  4. कश्ती को चलाने में हौसला है ज़रूरी,
    मंज़ूर नहीं हम को साहिलों पे फिसलना.
    बहुत खूब.., अत्यन्त सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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  5. आपकी लिखी कोई रचना बुधवार , 12 मई 2021 को साझा की गई है ,
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  6. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (११ -०५ -२०२१) को 'कुछ दिनों के लिए टीवी पर बंद कर दीजिए'(चर्चा अंक ४०६३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  7. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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  8. चिराग साथ रहे तो अँधेरों का क्या डर, कहकहे जारी रहें तो कट जाएगा उदास सफर !
    बहुत उम्दा खयालात से सजी गजल

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  9. आहों का असर था के कायनात की साज़िश,
    आकाश में तारों का आज रात पिघलना.


    बहुत खूब....,सादर नमन आपको

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  10. मासूम पतंगों की ज़िन्दगी से न खेलो,
    हर बार तो अच्छा नहीं मशाल का जलना.---बहुत खूब

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  11. बहुत ही बढ़िया कहा ... तलवार की धार पर चल रही है जिंदगी अब ।

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  12. जेबों में चराग़ों को अपने ले के निकलना.
    मुमकिन है के थम जाए आज रात का ढलना.

    है गाँव उदासी का आस-पास संभालना.
    हो पास तेरे कह-कहों का शोर तो चलना.
    हर एक शेर सँजोकर रखने लायक।

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  13. पतझड़ के हैं पत्ते न दर्द रोक सकोगे,
    क़दमों को बचा कर ही रास्तों पे टहलना.

    हर मोड़ पे आती हैं लौटने की सदाएँ,
    रिश्तों को समझ कर ही अपने घर को बदलना.

    वाह! बहुत खूब कही आपने
    हर बार की तरह लाजवाब प्रस्तुति

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  14. मासूम पतंगों की ज़िन्दगी से न खेलो,
    हर बार तो अच्छा नहीं मशाल का जलना.
    क्या बात!!!
    हर मोड़ पे आती हैं लौटने की सदाएँ,
    रिश्तों को समझ कर ही अपने घर को बदलना.
    लाजवाब...बहुत ही लाजवाब।

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  15. वाह!हर शेर बेमिसाल।
    बहुत उम्दा सृजन।
    सादर।

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  16. बहुत ही बेहतरीन रचना है।

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  17. बहुत खूबसूरत गजल, हर शेर कुछ कहता हुआ..

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  18. शानदार गज़ल मित्र , हर शेर लाजवाब , बधाई

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  19. वास्तव में आपने बहुत बढ़िया शेर लिखी है,आप के द्वारा लिखी शेर बहुत अच्छी होती है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
    क्या आपको स्वप्नफल में रुचि है स्वप्नफल




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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है