स्वप्न मेरे: दिसंबर 2021

शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

खिली धूप को हम चलो गुनगुनाएँ ...

दोस्तों इस वर्ष की ये आखरी पोस्ट ... आप सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ... सबको अपार खुशियाँ मिलें ... करोना से निजात मिले, आशाएं बनी रहे ... 

 लौटेंगे पलचल ये मस्ती लुटाएँ.
नए वर्ष की ढेर शुभ-कामनाएँ.


गुजरता हुआ पल  लौटेगा फिर से,
यही एक पल है इसे ही मनाएँ.

क़सम पहले दिन के प्रथम लम्हे की है,
वज़न दस किलो हो सके तो घटाएँ.

कई वादे ख़ुद से करेंगे अभी तो,
नया साल है तो नए गुल खिलाएँ.

हमें जनवरी लौटने अब  देगी,
दिसंबर को टाटा चलो कह तो आएँ.

अभी तो ठिठुरने का मौसम है कुछ दिन,
खिली धूप को हम चलो गुनगुनाएँ.

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

दो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ ...

यूँ तो तमाम रात अँधेरा नहीं हुआ.
फिर क्या हुआ के आज सवेरा नहीं हुआ.
 
धड़कन किसी का नाम सजा देगी खुद-ब-खुद,
दिल पर किसी का नाम उकेरा नहीं हुआ.
 
हर हद करी है पार फ़कत जिसके नाम पर,
बस वो निगाहें यार ही मेरा नहीं हुआ.
 
मिल कर सभी से देख लिया ज़िन्दगी में अब,
है कौन जिसको इश्क़ ने घेरा नहीं हुआ.
 
लाली किसी के इश्क़ की उतरी है गाल पर,
चेहरे पे बस गुलाल बिखेरा नहीं हुआ.
 
उनको न ढब, समझ, न सलीका, न कुछ शऊर,
दो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ.

शनिवार, 18 दिसंबर 2021

हो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते ...

अनसुनी कर के जो हम वक़्त को टाले जाते.
घर से जाते न तो चुपचाप निकाले जाते.

ये तो बस आपने पहचान लिया था वरना,
दर्द तो दूर न ये पाँव के छाले जाते.

शुक्र है वक़्त पे बरसात ने रख ली इज़्ज़त,
देर तक अश्क़ न पलकों में सम्भाले जाते.

मौंके पर डँसना जो मंज़ूर न होता उनको,
आस्तीनों में कभी सांप न पाले जाते.

चंद यादें जो परेशान किया करती हैं,
बस में होता जो हमारे तो उठा ले जाते.

आईना बन के हक़ीक़त न दिखाते सब को,
हम भी बदनाम रिसालों में उछाले जाते.

हमको हर सच की तरफ़ डट के खड़ा रहना था,
हो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते.


मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

लगता है अपने आप के हम भी नहीं रहे ...

ईमान, धर्म, कौल, भरोसा, यकीं रहे.
मेरे भी दिल में, तेरे भी दिल में कहीं रहे.
 
हर-सू हो पुर-सुकून, महकती हो रह-गुज़र,
चादर हो आसमां की बिस्तर ज़मीं रहे.
 
गम हो के धूप-छाँव, पशेमान ज़िन्दगी,
होठों पे मुस्कुराहटें दिल में नमीं रहे.
 
चिंगारियाँ सुलगने लगी हैं दबी-दबी,
कह दो हवा से आज जहाँ है वहीँ रहे.
 
रिश्तों की आढ़ ले के किसी को न बाँधना,
दिल में तमाम उम्र रहे, वो कहीं रहे.
 
परवरदिगार हमको अता कर सलाहियत,
सर पर तेरे यकीन की चादर तनीं रहे.
 
एक-एक कर के छीन लिया मुझसे सब मेरा,
लगता है अपने आप के हम भी नहीं रहे.