स्वप्न मेरे: अप्रैल 2022

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

बातें - बातें ...

खुद से बात करना ... करते रहना ...
सोच भी पता नहीं कहाँ से कहाँ पहुँच जाती है ... पर क्या करूं इंसानी फितरत ही ऐसी है ...
 
तुम न होतीं तो कोई और होता ... होता ज़रूर किसी का नाम जिंदगी की किताब में ... स्याही देता है सबको इश्वर ... खाली पन्ने भी देता है जिंदगी में किसी का नाम लिखने को
 
सोचता हूँ ... तुम न होतीं तो कौन होता ... तुम्हारे जैसा, तुमसे बेहतर, तुमसे अच्छा ... क्या पता न होता ... तुमसे बेहतर, तुमसे अच्छा
 
फिर सोचता हूँ तुम्हारे आगे पीछे ही क्यों सोचता हूँ ... तुमसे आगे क्यों नहीं ...
 
अकसर तेरा अक्स हवा में होता है हर सोच से पहले ... 
 
कितना अच्छा है कभी कभी नशे में डूब जाना, कुछ सोचो और सुबह होते-होते कुछ याद भी न रक्खो ...
उफ़ कितना बे-फजूल सोचता है तू ...