tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post2888639409866366667..comments2024-03-29T15:40:17.367+05:30Comments on स्वप्न मेरे: मौन ... दिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-83072890060776202292014-06-24T06:53:16.691+05:302014-06-24T06:53:16.691+05:30 शुक्रिया नासवा साहब आपकी टिप्पणियों का। शुक्रिया नासवा साहब आपकी टिप्पणियों का। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-43584796539870445882014-06-22T19:49:35.679+05:302014-06-22T19:49:35.679+05:30हाँ तोड़ता ज़रूर है मौन। लेकिन संवाद कायम करके इसे भ...हाँ तोड़ता ज़रूर है मौन। लेकिन संवाद कायम करके इसे भरना क्या हरेक के साथ ज़रूरी है या फिर ये चंद रिश्तों के लिए ही महदूद रखा जाए। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-19698932342290674912014-06-20T09:17:18.845+05:302014-06-20T09:17:18.845+05:30कभी कभी मौन तोड़कर बाहर आना भी ज़रूरी हो जाता है वरन...कभी कभी मौन तोड़कर बाहर आना भी ज़रूरी हो जाता है वरना हमेशा के लिए शून्य डिग्री में बर्फ की तरह जड़ होकर रहजाना भी ज़िंदगी नहीं होती। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-41794546883339535522014-06-09T12:47:42.387+05:302014-06-09T12:47:42.387+05:30मौन में अपने भीतर अपने अपने संवाद होते हैं और उन स...मौन में अपने भीतर अपने अपने संवाद होते हैं और उन संवादों को जब तक बाहर न निकालें पिघलते नहीं . सार्थक अभिव्यक्ति . संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-2175402433175778032014-04-02T23:12:28.743+05:302014-04-02T23:12:28.743+05:30जब साथ-साथ चलते हुये सिर्फ पास-पास रह जाते हैं तो ...जब साथ-साथ चलते हुये सिर्फ पास-पास रह जाते हैं तो पसर जाता है मौन एक क़फन की तरह!<br />हर बार की तरह एक सहज और सार्थक अभिव्यक्ति!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-72861673508967760142014-04-02T22:33:31.813+05:302014-04-02T22:33:31.813+05:30ओह। ………… गहरी संवेदना समेटे है आपकी ये रचना। ओह। ………… गहरी संवेदना समेटे है आपकी ये रचना। Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-90409691747134589462014-04-02T17:56:36.968+05:302014-04-02T17:56:36.968+05:30ज़िंदगी बर्फ नहीं होती कि पिघली और खत्म
अपने अपने श...ज़िंदगी बर्फ नहीं होती कि पिघली और खत्म<br />अपने अपने शून्य के तापमान से<br />खुद ही बाहर आना होता है<br />संवाद भी इतना आसान कहाँ है मौन की गहरी खाई को पाटने को.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति dr.mahendraghttps://www.blogger.com/profile/07060472799281847141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-47363842133543706672014-04-02T17:27:05.039+05:302014-04-02T17:27:05.039+05:30
अपने अपने शून्य के तापमान से
खुद ही बाहर आना होत...<br /> अपने अपने शून्य के तापमान से<br />खुद ही बाहर आना होता है ...<br />क्या खूबसूरत गढ़ा है आपने <br />ऐसी अभिव्यक्ति जो बरबस ही घर कर गयी! Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-15526696558225786082014-04-02T16:49:07.688+05:302014-04-02T16:49:07.688+05:30इतना आसान भी कहाँ होता है मौन तोड़ पाना. इतना आसान भी कहाँ होता है मौन तोड़ पाना. shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-31780108882319462132014-04-02T11:37:32.925+05:302014-04-02T11:37:32.925+05:30
----शायद अति में होने वाली हर स्थिति की तरह मौंन ...<br />----शायद अति में होने वाली हर स्थिति की तरह मौंन की सीमा भी जरूरी है---<br />जिंदगी बर्फ़ नहीं होती कि पिघली और खत्म---खुद ही बाहर आना होता है--<br />बहुत ही गहन अभिव्यक्ति,कुछ पंक्तियां---अपनी पछाइयां सी छोडती नजर आतीं हैं.मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-10227303843137789672014-04-02T10:35:56.243+05:302014-04-02T10:35:56.243+05:30मौन को संवाद से तोडा जा सकता है. बहुत सुंदर रचना.म...मौन को संवाद से तोडा जा सकता है. बहुत सुंदर रचना.मौन का एक और पहलू है जब आत्मिक प्यार होता है तो मौन ही संवाद हो जाता है.RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI'https://www.blogger.com/profile/14562043182199283435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-41848874269107627012014-04-02T09:59:20.780+05:302014-04-02T09:59:20.780+05:30तू मै से परे
मौन भी तो
मधुर क्षण है !
सार्थक रचन...तू मै से परे <br />मौन भी तो <br />मधुर क्षण है !<br />सार्थक रचना !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-49698405227838720182014-04-02T09:51:28.985+05:302014-04-02T09:51:28.985+05:30मौन की गहरी खाई
आपस के संवाद से ही पाटनी पड़ती है ....मौन की गहरी खाई<br />आपस के संवाद से ही पाटनी पड़ती है ...<br />बहुत सुन्दर रचना.<br />नई पोस्ट : <a href="http://yunhiikabhi.blogspot.in/2014/03/blog-post_30.html" rel="nofollow"> हंसती है चांदनी </a> राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-36807461690539282882014-04-02T00:24:47.393+05:302014-04-02T00:24:47.393+05:30'तुम भी तो यही कर रही थीं'
इसका तो यही संभ...'तुम भी तो यही कर रही थीं'<br />इसका तो यही संभाव्य उत्तर लगता है,'फिर क्या करती?और तो मैं कुछ कर नहीं पाती...' प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-24279578030313937702014-04-01T22:14:29.041+05:302014-04-01T22:14:29.041+05:30कभी कभी मौन गहरे से गहरा खड्डा भर देता है
पर जब सं...कभी कभी मौन गहरे से गहरा खड्डा भर देता है<br />पर जब संवाद तोड़ रहा हो दरवाज़े<br />पड़ोस कि खिड़कियाँ <br />तो शब्द वापस नहीं लौटते......<br />बहुत खुब ...कौशल लालhttps://www.blogger.com/profile/04966246244750355871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-45443684953227013752014-04-01T21:55:09.774+05:302014-04-01T21:55:09.774+05:30नमस्ते भैया ....बहुत खुबसुरत रचना ..सही कहें आप आप...नमस्ते भैया ....बहुत खुबसुरत रचना ..सही कहें आप आपसी संवाद से खाई पाटनी होती है सविता मिश्रा 'अक्षजा'https://www.blogger.com/profile/16410119759163723925noreply@blogger.com