tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post5726827722746917726..comments2024-03-29T12:46:14.160+05:30Comments on स्वप्न मेरे: शक्ति का अह्वानदिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-37674268515923031942008-11-13T21:56:00.000+05:302008-11-13T21:56:00.000+05:30बहुत दिन बाद इस तरह की छंदबद्ध हिंदी कविता पढ़ी......बहुत दिन बाद इस तरह की छंदबद्ध हिंदी कविता पढ़ी...बोल-बोलकर पढ़ी...मजा आ गया...<b>विवेक</b>https://www.blogger.com/profile/07114599563006543017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-71516636408774549112008-11-13T21:49:00.000+05:302008-11-13T21:49:00.000+05:30शक्ति का अह्वान कर तू सर्वदा श्रृष्टि का निर्माण क...शक्ति का अह्वान कर तू सर्वदा <BR/>श्रृष्टि का निर्माण कर तू सर्वदा <BR/>लक्ष्य पर एकाग्र है जो दृष्टि तेरी <BR/>चिर विजय का रास्ता खुलने लगा<BR/>बेहद सही सटीक और सार्थक ब्लॉग जगत से लंबे समय तक गायब रहने के लिए माफी चाहता हूँ अब वापिस उसी कलम के साथ मौजूद हूँ .प्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-71048654158296492412008-11-12T22:00:00.000+05:302008-11-12T22:00:00.000+05:30चिर विजय का रास्ता खुलने लगा......वाह बंधु वाह... ...चिर विजय का रास्ता खुलने लगा......<BR/>वाह बंधु वाह... खूब कहा आपने.. बधाई..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-29452666326998983662008-11-12T21:00:00.000+05:302008-11-12T21:00:00.000+05:30संस्कृति पर हम को अपनी गर्व है जाग्रति का हर दिवस ...संस्कृति पर हम को अपनी गर्व है <BR/>जाग्रति का हर दिवस तो पर्व है <BR/>जाग अर्जुन समय के कुरुक्षेत्र में <BR/>तर्जनी पर चक्र फ़िर सधने लगा <BR/><BR/>वाह ! अतिसुन्दर सारगर्भित मंत्रमुग्ध करती काव्यरस धारा सराबोर कर विभोर कर गई...........रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-706306173801523002008-11-12T20:33:00.000+05:302008-11-12T20:33:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।दिग्भ्रमित हम ह...बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।<BR/><BR/>दिग्भ्रमित हम हो गए थे राह मे<BR/>अर्थ, माया की अनोखी चाह मे<BR/>लौट कर हम आ गए संग्राम मे<BR/>थाल पूजा का पुनः सजने लगापरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com