tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post6344401008864087749..comments2024-03-28T14:28:13.874+05:30Comments on स्वप्न मेरे: और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा ...दिगम्बर नासवाhttp://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-39203925670671781902021-10-08T12:54:29.285+05:302021-10-08T12:54:29.285+05:30इश्क़ में मसरूफ़ थे कंकड़ उछाला ही नहीं,
झील के तल...इश्क़ में मसरूफ़ थे कंकड़ उछाला ही नहीं,<br />झील के तल में उतर कर चाँद सुस्ताता रहा.<br />बहुत शानदार Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-77072343563100513232021-08-22T22:42:37.843+05:302021-08-22T22:42:37.843+05:30आपकी लिखी कोई पुरानी रचना सोमवार 23 ,अगस्त ...आपकी लिखी कोई पुरानी रचना सोमवार 23 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,<br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर...<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />सादर<br />धन्यवाद।<br /><br />संगीता स्वरूप संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-34324635522864393372021-08-20T16:30:07.489+05:302021-08-20T16:30:07.489+05:30एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,
और बच्...एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,<br />और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा.,,,,,…,माँ की ममता और बच्चे का माँ के लिए प्यार दोनों का अदभुत संगम है आप की इन लाईनो में,बेहतरीन रचना, आदरणीय शुभकामनाएँ ।Madhulika Patelhttps://www.blogger.com/profile/18209148776668167493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-72571571496765257512021-08-14T13:51:31.597+05:302021-08-14T13:51:31.597+05:30बेहतरीन सृजनबेहतरीन सृजनMANOJ KAYALhttps://www.blogger.com/profile/13231334683622272666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-21271188730744876032021-08-12T17:28:46.967+05:302021-08-12T17:28:46.967+05:30वाह बेहतरीन शायरी ।वाह बेहतरीन शायरी ।Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-34374085799122459962021-08-12T00:13:39.718+05:302021-08-12T00:13:39.718+05:30वाह! यादों की बुन्गी , लाजवाब गजल हर शेर उम्दा कुछ...वाह! यादों की बुन्गी , लाजवाब गजल हर शेर उम्दा कुछ कहता सा।<br />बेहतरीन।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-28559994209503014272021-08-11T18:04:37.573+05:302021-08-11T18:04:37.573+05:30बेमिसाल अशआरों में सजी लाज़वाब ग़ज़ल ।बेमिसाल अशआरों में सजी लाज़वाब ग़ज़ल ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-58849504649867073142021-08-11T12:04:21.781+05:302021-08-11T12:04:21.781+05:30एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,
और बच्...एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,<br />और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा.<br /><br />वैसे तो सभी शेर लाज़बाब है पर आखिरी में तो माँ के गोद में लाकर सुकून दिला दी आपने ...शानदार... सादर नमन आपको Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-82142535669506660902021-08-09T23:24:23.880+05:302021-08-09T23:24:23.880+05:30इश्क़ में मसरूफ़ थे कंकड़ उछाला ही नहीं,
झील के तल...इश्क़ में मसरूफ़ थे कंकड़ उछाला ही नहीं,<br />झील के तल में उतर कर चाँद सुस्ताता रहा.<br /><br />वाह वाह!!!!<br /><br />एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,<br />और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा./<br />हमेशा की तरह अद्भुत एवं लाजवाब।<br />वाह!!!Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-74575858814911063292021-08-09T23:10:28.525+05:302021-08-09T23:10:28.525+05:30एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,
और बच्...एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,<br />और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा./// हमेशा की तरह मन को असीम आनंद से भरने वाली रचना दिगम्बर जी | ये शेर तो हीरे सरीखे है | माँ पर लिखने में मानो आत्मा का सम्पूर्ण तत्व उड़ेल देते हैं आप | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-47994916795014321812021-08-09T21:10:36.600+05:302021-08-09T21:10:36.600+05:30बहुत सुंदर।बहुत सुंदर।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-9747040509122001712021-08-09T18:04:30.858+05:302021-08-09T18:04:30.858+05:30बहुत ही सुंदर गजलबहुत ही सुंदर गजलanita _sudhirhttps://www.blogger.com/profile/15009341605719883004noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-77535575750115047842021-08-09T17:26:37.350+05:302021-08-09T17:26:37.350+05:30बहुत सुंदरबहुत सुंदरOnkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-14328084632890376502021-08-09T13:39:01.086+05:302021-08-09T13:39:01.086+05:30
एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,
और बच...<br />एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,<br />और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा...कितनी सुंदर पंक्तियां हैं,मन बच्चा हो गया। शानदार गज़ल।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-50652977994291956192021-08-09T11:51:09.522+05:302021-08-09T11:51:09.522+05:30बड़ा बन के देख लिये जिंदगी के हादसे
बच्चा बन के मन...बड़ा बन के देख लिये जिंदगी के हादसे <br />बच्चा बन के मन यूँ ही खेलता-गाता रहा <br /><br />बेहतरीन गजल Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-37497550044412644742021-08-09T10:25:48.475+05:302021-08-09T10:25:48.475+05:30इश्क़ में मसरूफ़ थे कंकड़ उछाला ही नहीं,
झील के तल...इश्क़ में मसरूफ़ थे कंकड़ उछाला ही नहीं,<br />झील के तल में उतर कर चाँद सुस्ताता रहा.<br />बहुत सुन्दर…👏👏उषा किरणhttps://www.blogger.com/profile/14723538513393658010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-44654504946674803982021-08-09T07:36:15.070+05:302021-08-09T07:36:15.070+05:30सबसे अलग अंदाज़ में लिखी गयी
आपकी बेहतरीन गज़ल।
हर ब...सबसे अलग अंदाज़ में लिखी गयी<br />आपकी बेहतरीन गज़ल।<br />हर बंध बहुत अच्छा है।<br /><br />प्रणाम सर<br />सादर।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-88053970599612867582021-08-08T21:33:43.576+05:302021-08-08T21:33:43.576+05:30आपकी लिखी रचना सोमवार 9 ,अगस्त 2021 को साझा ...आपकी लिखी रचना सोमवार 9 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,<br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर...<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />सादर<br />धन्यवाद।<br /><br />संगीता स्वरूप संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-53511046766570317902021-08-08T21:31:05.198+05:302021-08-08T21:31:05.198+05:30और बच्चा बनकर मैं बाहों में इतराता रहा। वाह! क्य...और बच्चा बनकर मैं बाहों में इतराता रहा। वाह! क्या खूब लिखा है सर। सादर<br />Vocal Babahttps://www.blogger.com/profile/02214260420282752358noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-58863947102630204762021-08-08T15:29:33.167+05:302021-08-08T15:29:33.167+05:30एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,
और बच्...एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,<br />और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा.<br /><br />सच सारे दुःख-दर्द मिटने लगते हैं जब माँ किसी भी रूप में हमारे सामने डटकर खड़ी हो जाती है <br />हर बार की तरह बहुत सुन्दर। . कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-26690521408229290442021-08-08T13:06:50.135+05:302021-08-08T13:06:50.135+05:30बहुत सुन्दर गजल बहुत सुन्दर गजल आलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-90208634291876415752021-08-08T11:33:33.079+05:302021-08-08T11:33:33.079+05:30एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,
और बच्...एक दिन यादों की बुग्नी से निकल कर माँ मिली,<br />और बच्चा बन के मैं बाहों में इतराता रहा.<br /><br />यादों में भी माँ आ जाय तो मन बच्चा ही हो जाता है । <br />बेहतरीन ग़ज़ल ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-49090779803990022122021-08-08T11:26:51.801+05:302021-08-08T11:26:51.801+05:30सच मां की गोद में सर रखकर जो सुकून मिलता है वैसा अ...सच मां की गोद में सर रखकर जो सुकून मिलता है वैसा अन्यत्र दुर्लभ है<br />बहुत खूबPShttps://www.blogger.com/profile/06527940529972603883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1407525739260276743.post-40983924133620336662021-08-08T07:00:54.303+05:302021-08-08T07:00:54.303+05:30लाजवाबलाजवाबसुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com