होता तो मुझे था
कुछ कुछ, हर बार
कभी नाक बहती थी, कभी बुखार
कभी भूत का डर तो कभी स्कूल
की मार
कभी नौकरी में समस्या
कभी मासिक खर्च का भार
मेरे किसी भी दुःख दर्द में
तू तो हर वक़्त बस साथ होती
थी
सहलाती हुई
दूर से मुस्कुराती हुई
मन कहाँ मानता था
तुझे कुछ हो भी सकता है
गहरी खामोशी देख कर विश्वास न हुआ
की तू इस दुनिया में नहीं है माँ
हालांकि तेरे पास बैठे सब
रो रहे थे
आंसू तो शायद मेरे भी
निकलने लगे थे
पर एक मज़े की बात बताऊं
इस बार भी दुःख मुझे ही हुवा
और इस बार भी तू मेरे साथ
ही थी
दूर से मुस्कुराती हुई