सोमवार, 31 जनवरी 2022
शनिवार, 15 जनवरी 2022
परवाज़ परिंदों की अभी बद-हवास है ...
दो बूँद गिरा दे जो अभी उसके पास है,.
बादल से कहो आज मेरी छत उदास है.
तबका न कोई चैनो-अमन से है रह रहा,
सुनते हैं मगर देश में अपने विकास है.
ज़ख्मी है बदन साँस भी मद्धम सी चल रही,
टूटेगा मेरा होंसला उनको क़यास है.
था छेद मगर फिर भी किनारे पे आ लगी,
सागर से मेरी कश्ती का रिश्ता जो ख़ास है.
दीवार खड़ी कर दो चिरागों को घेर कर,
कुछ शोर हवाओं का मेरे आस पास है.
छिड़का है फिजाओं में लहू जिस्म काट कर,
तब जा के सवेरे का सिन्दूरी लिबास है.
कह दो की उड़ानों पे न कब्ज़ा किसी का हो,
परवाज़ परिंदों की अभी बद-हवास है.
शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021
खिली धूप को हम चलो गुनगुनाएँ ...
दोस्तों इस वर्ष की ये आखरी पोस्ट ... आप सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ... सबको अपार खुशियाँ मिलें ... करोना से निजात मिले, आशाएं बनी रहे ...
न लौटेंगे पल, चल ये मस्ती लुटाएँ.
नए वर्ष की ढेर शुभ-कामनाएँ.
गुजरता हुआ पल न लौटेगा फिर से,
यही एक पल है इसे ही मनाएँ.
क़सम पहले दिन के प्रथम लम्हे की है,
वज़न दस किलो हो सके तो घटाएँ.
कई वादे ख़ुद से करेंगे अभी तो,
नया साल है तो नए गुल खिलाएँ.
हमें जनवरी लौटने अब न देगी,
दिसंबर को टाटा चलो कह तो आएँ.
अभी तो ठिठुरने का मौसम है कुछ दिन,
खिली धूप को हम चलो गुनगुनाएँ.
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021
दो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ ...
यूँ तो तमाम रात अँधेरा नहीं हुआ.
फिर क्या हुआ के आज सवेरा नहीं हुआ.
धड़कन किसी का नाम सजा देगी खुद-ब-खुद,
दिल पर किसी का नाम उकेरा नहीं हुआ.
हर हद करी है पार फ़कत जिसके नाम पर,
बस वो निगाहें यार ही मेरा नहीं हुआ.
मिल कर सभी से देख लिया ज़िन्दगी में अब,
है कौन जिसको इश्क़ ने घेरा नहीं हुआ.
लाली किसी के इश्क़ की उतरी है गाल पर,
चेहरे पे बस गुलाल बिखेरा नहीं हुआ.
उनको न ढब, समझ,
न सलीका, न कुछ शऊर,
दो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ.
शनिवार, 18 दिसंबर 2021
हो न तलवार तो हम ढाल में ढाले जाते ...
अनसुनी कर के जो हम वक़्त
को टाले जाते.
घर से जाते न तो चुपचाप
निकाले जाते.
ये तो बस आपने पहचान लिया
था वरना,
दर्द तो दूर न ये पाँव के
छाले जाते.
शुक्र है वक़्त पे बरसात ने
रख ली इज़्ज़त,
देर तक अश्क़ न पलकों में
सम्भाले जाते.
मौंके पर डँसना जो मंज़ूर न
होता उनको,
आस्तीनों में कभी सांप न
पाले जाते.
चंद यादें जो परेशान किया
करती हैं,
बस में होता जो हमारे तो उठा
ले जाते.
आईना बन के हक़ीक़त न
दिखाते सब को,
हम भी बदनाम रिसालों में उछाले
जाते.
हमको हर सच की तरफ़ डट के
खड़ा रहना था,
हो न तलवार तो हम ढाल में
ढाले जाते.